🌑चंद्र ग्रहण - Chandra Grahan

Chandra Grahan Date: Tuesday, 3 March 2026

चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है। यह केवल पूर्णिमा के दौरान होता है, जब चंद्रमा सूर्य से पृथ्वी के सबसे दूर बिंदु पर होता है। एक चंद्र ग्रहण लंबे समय तक चलता है, पूरा होने में कई घंटे लगते हैं, पूर्णता के साथ आमतौर पर औसतन लगभग 30 मिनट से एक घंटे तक। ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है और पृथ्वी की पूर्ण या आंशिक छाया चंद्रमा पर पड़ती है, तो आंशिक या पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है।

चंद्र ग्रहण सूतक काल
धार्मिक दृष्टि से सूतक काल को अशुभ माना जाता है। किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं किया जाता है, ऐसी मान्यताएं पौराणिक काल से चली आ रही हैं।

संबंधित अन्य नामलूनर एक्लिप्स
शुरुआत तिथिपूर्णिमा
उत्सव विधिघर पर प्रार्थना
Read in English - Chandra Grahan
Chandra grahan occurs when the Moon passes through the Earth shadow. This occurs only during the full moon (Purnima), when the Moon is at Earth's farthest point from the Sun.

चन्द्र ग्रहण कब है? - Chandra Grahan Kab Hai

चन्द्र ग्रहण 2023
29 October 2023 1:06 AM - 2:22 AM

सूतक समय
28 October 2023 2:52 PM - 29 October 2023 2:22 AM

बच्चों, बृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक
28 October 2023 8:52 PM - 29 October 2023 2:22 AM

28 अक्टूबर 2023 की शाम को सूतक होने के कारण, पूर्णिमा से जुड़े सभी शुभ कार्यों के लिए 27 अक्टूबर 2023 का दिन अधिक उत्तम रहेगा। शरद पूर्णिमा के दिन वाली खीर 28 अक्टूबर 2023 प्रात: 4:17 AM से 4:42 AM तक चन्द्रमा की रोशनी में रखें।

* चंद्र ग्रहण की अधिकतर गणनाऐं भारत की राजधानी दिल्ली के समय के अनुसार दी गई हैं।

चंद्र ग्रहण के पीछे पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब समुद्र मंथन हो रहा था, तब अमृत पान को लेकर देवताओं और राक्षसों के बीच एक बहुत बड़ा युद्ध चल रहा था, जब देवताओं ने राक्षसों को धोखा दिया और अमृत पी लिया।

भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और एक सुंदर लड़की का रूप धारण किया और सभी को विश्वास दिलाया कि अमृत सभी को समान रूप से वितरित किया जाएगा। राक्षस और देवता अलग-अलग बैठे और विष्णु ने मोहिनी के रूप में देवताओं को अमृत बांटना शुरू कर दिया, राहु नाम का एक राक्षस जो सोचता था कि अगर वह देवताओं के बीच बैठ जाएगा, तो उसे भी अमृत का हिस्सा मिलेगा। वह देवताओं के साथ बैठा था और उसने भी अमृत लिया था। वह हमेशा के लिए अमर हो गया था, ऐसा करते हुए सूर्य देव और चंद्रमा भगवान ने उसे पकड़ लिया और यह बात विष्णु को बताई और विष्णु ने सुदर्शन चक्र से राहु की धार को अलग कर दिया, उस घटना के बाद राहु और केतु का जन्म हुआ।

असुर के मस्तक का नाम राहु और धड़ का नाम केतु था। वह सूर्य देव और चंद्र देव दोनों के कट्टर शत्रु थे, इसलिए वह हमेशा अपनी स्थिति में आते हैं और उन दोनों पर ग्रहण लगाते हैं।

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?

👎 ग्रहण के समय भगवान की पूजा नहीं करनी चाहिए।
👎 खाना नहीं बनाना चाहिए और न ही कुछ खाना-पीना चाहिए।
👎 गर्भवती महिलाओं को ग्रहण नहीं देखना चाहिए या घर से बाहर नहीं जाना चाहिए।
👎 तुलसी और अन्य पेड़-पौधों को नहीं छूना चाहिए।

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें?

👍 ग्रहण शुरू होने से पहले यानी जब सूतक काल चल रहा हो तो पहले से ही टूटे हुए तुलसी के पत्तों को खाने की चीजों में रखना चाहिए।
👍 अपने इष्ट देवताओं के नाम स्मरण करना चाहिए, इसके प्रभाव को कम करने के लिए मंत्रों का जाप करना चाहिए।
👍 ग्रहण खत्म होने के बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।

मध्य रात्रि चन्द्र ग्रहण

जब भी चन्द्र ग्रहण रात्रि १२ बजे से पहले लग जाता है परन्तु मध्यरात्रि के पश्चात समाप्त होता है। अर्थात चंद्रग्रहण का अधिव्यापन (ओवरलैप) करता है, तब जिस दिनाँक मे चन्द्रग्रहण अधिकतम होता है वह दिनाँक चन्द्रग्रहण के लिये दर्शायी जाती है।

उपच्छाया चन्द्र ग्रहण

जो चन्द्रग्रहण नग्न आँखों से स्पष्ट न देखा जा सके उस चन्द्रग्रहण को उपच्छाया वाला चन्द्रग्रहण कहते हैं। एसे चन्द्रग्रहण का धार्मिक महत्व नहीं होता है, इसीलिये इस प्रकार के चन्द्रग्रहण को पञ्चाङ्ग में समावेश नहीं किया जाता है। अतः ग्रहण से सम्बन्धित कोई कर्मकाण्ड अथवा सूतक मान्य नहीं होता है।

जब कोई चन्द्रग्रहण आपके शहर में दर्शनीय हो तभी उससे संबंधित नियम, कर्मकांड एवं सूतक आपके शहर पर लाघू होंगे। फिर चाहे चन्द्रग्रहण किसी दूसरे देशों अथवा शहरों में क्यों न हो। परंतु मौसम के कारण अगर चन्द्रग्रहण दर्शनीय न हो तो ऐसी स्थिति में चन्द्रग्रहण संबंधित कर्मकांड एवं सूतक अनुसरण किए जाएँगे। केवल प्रच्छाया वाले चन्द्रग्रहण ही धार्मिक कर्मकाण्डों एवं पञ्चाङ्ग के उपयुक्त होते हैं।

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
आवृत्ति
वार्षिक
समय
1 दिन
शुरुआत तिथि
पूर्णिमा
उत्सव विधि
घर पर प्रार्थना
पिछले त्यौहार
7 September 2025, Partial lunar eclipse : 29 October 2023, No Lunar Eclipse in India : 5 May 2023, Partial lunar eclipse : 8 November 2022

Updated: Sep 07, 2025 22:12 PM

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