Shri Krishna Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

उलटे भजन का सीधा भाव (Ulate Bhajan Ka Seedha Bhav)


उलटे भजन का सीधा भाव
Add To Favorites Change Font Size
एक बार एक व्यक्ति श्री वृंदावन धाम में दर्शन करने गया। दर्शन करके लौट रहा था। तभी एक संत अपनी कुटिया के बाहर बैठे बड़ा अच्छा पद गा रहे थे कि हो नयन हमारे अटके श्री बिहारी जी के चरण कमल में बार-बार वह संत यही गाये जा रहे थे | उस संत के मुख से तभी उस व्यक्ति ने जब इतना मीठा पद सुना तो वह आगे ना बढ़ सका, और संत के पास बैठकर ही पद सुनने लगा और संत के साथ-साथ गाने लगा।
कुछ देर बाद वह इस पद को गाता-गाता अपने घर जाने लगा, रास्ते में वह सोचता जा रहा था कि, वाह ! संत ने बड़ा प्यारा पद गाया। जब घर पहुँचा तो वह पद भूल गया।अब वह याद करने लगा कि संत क्या गा रहे थे, बहुत देर याद करने पर भी उसे याद नहीं आ रहा था। फिर कुछ देर बाद उसने गाया हो नयन बिहारी जी के अटके, हमारे चरण कमल में इस प्रकार वह अनजाने में ही उलटा गाने लगा।

उसे गाना यह था नयन हमारे अटके बिहारी जी के चरण कमल में अर्थात बिहारी जी के चरण कमल इतने प्यारे हैं कि नजर उनके चरणों से हटती ही नहीं हैं। नयन मानो वही अटक के रह गए हैं। पर वह गा रहा था कि बिहारी जी के नयन हमारे चरणों में अटक गए, अब यह पंक्ति उसे इतनी अच्छी लगीं कि वह बार-बार बस यही पंक्ति गाये जा रहा था।

आँखे बंद है, बिहारी के चरण हृदय में है और बड़े भाव से वह तो बस गाये जा रहा है। अब बिहारी जी तो ठहरे प्रेम भाव के भूखे , अपने भक्त के इस निश्चल प्रेम को देख कर वह अपने को रोक ना सके । बहुत समय तक जब वह गाता रहा, तो अचानक क्या देखता है, सामने साक्षात् बिहारी जी खड़े हैं। और उसे प्रेम से निहार रहे हैं, उसे अपने नेत्रों पर विश्वास ना हुआ, वह झट उनके चरणों में गिर पड़ा।

और इस प्रकार प्रेम की एक पंक्ति ने भगवान् और भक्त दोनों को मिला दिया। वास्तव में बिहारी जी ने उसके शब्दों की भाषा सुनी ही नहीं क्योंकि बिहारी जी तो शब्दों की भाषा जानते ही नहीं है, वो तो बस एक ही भाषा जानते है और वह है भाव की भाषा, प्रेम की भाषा। भले ही उस भक्त ने उलटा गाया पर बिहारी जी ने उसके भाव देखे कि वास्तव में यह गाना तो सही चाहता है परन्तु शब्द उलटे हो गए, शब्द उलटे हुए तो क्या हुआ, उसके भाव तो कितने निर्मल है। और यही निर्मल भाव बिहारी जी को वहाँ तक खींच कर ले गए |
यह भी जानें
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

हार से क्रोध का कनेक्शन - प्रेरक कहानी

बहुत समय पहले की बात है नवनीत। आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। शास्त्रार्थ की निर्णायक थीं मंडन मिश्र की धर्म पत्नी देवी भारती। ...

भगवन नाम का प्रताप - प्रेरक कहानी

एक व्यक्ति गाड़ी से उतरा। और बड़ी तेज़ी से एयरपोर्ट में घुसा, जहाज़ उड़ने के लिए तैयार था, उसे किसी कार्यक्रम मे पहुंचना था जो खास उसी के लिए आयोजित किया जा रहा था। वह अपनी सीट पर बैठा और हवाई जहाज उड़ गया।

तुलसीदास जी रचित श्री रामचरितमानस के प्रथम श्रोता - सत्य कथा

श्री रामचरितमानस के प्रथम श्रोता संत: मनुष्यों में सबसे प्रथम यह ग्रन्थ सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ मिथिला के परम संत श्रीरूपारुण स्वामीजी महाराज को।

तुलसीदास जी द्वारा भगवान् श्रीराम, लक्ष्मण दर्शन - सत्य कथा

चित्रकूटके घाट पर, भइ संतन की भीर । तुलसिदास चंदन घिसें, तिलक देन रघुबीर ॥..

आठवी पीढ़ी की चिन्ता - प्रेरक कहानी

आटा आधा किलो | सात पीढ़ी की चिंता सब करते हैं.. आठवी पीढ़ी की कौन करता है - एक दिन एक सेठ जी को अपनी सम्पत्ति के मूल्य निर्धारण की इच्छा हुई। लेखाधिकारी को तुरन्त बुलवाया गया।

श्रमरहित पराश्रित जीवन विकास के द्वार बंद करता है!

महर्षि वेदव्यास ने एक कीड़े को तेजी से भागते हुए देखा। उन्होंने उससे पूछा: हे क्षुद्र जंतु, तुम इतनी तेजी से कहाँ जा रहे हो?

तुलसीदास जी द्वारा ब्राह्मण को जीवन दान - सत्य कथा

ब्राह्मण की मृत्यु हो गयी, उसकी पत्नी उसके साथ सती होने के लिए जा रही थी। गोस्वामी श्री तुलसीदास जी अपनी कुटी के द्वार पर बैठे हुए भजन कर रहे थे।

Aditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya Stotra
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP