आषाढ़ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा
हे महाराज! द्वापर युग में महिष्मति नगरी का महीजित नामक राजा था। वह बड़ा ही पुण्यशील और प्रतापी राजा था। वह अपनी प्रजा का पालन पुत्रवत करता था।
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रोहिणी शकट भेदन, दशरथ रचित शनि स्तोत्र कथा
प्राचीन काल में दशरथ नामक प्रसिद्ध चक्रवती राजा हुए थे। राजा के कार्य से राज्य की प्रजा सुखी जीवन यापन कर रही थी...
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संतोषी माता व्रत कथा | सातवें बेटे का परदेश जाना | परदेश मे नौकरी | पति की अनुपस्थिति में अत्याचार | संतोषी माता का व्रत | संतोषी माता व्रत विधि | माँ संतोषी का दर्शन | शुक्रवार व्रत में भूल | माँ संतोषी से माँगी माफी | शुक्रवार व्रत का उद्यापन
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अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा | बृहस्पतिदेव की कथा
भारतवर्ष में एक राजा राज्य करता था वह बड़ा प्रतापी और दानी था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्मणों...
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महाप्रभु जगन्नाथ को कलियुग का भगवान भी कहते है. पुरी (उड़ीसा) में जग्गनाथ स्वामी अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ निवास करते है.मगर रहस्य ऐसे है कि आजतक कोई न जान पाया हर 12 साल में महाप्रभु की मूर्ती को बदला जाता है
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भद्र देश के एक राजा थे, जिनका नाम अश्वपति था। भद्र देश के राजा अश्वपति के कोई संतान न थी...
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श्री सत्यनारायण कथा - प्रथम अध्याय
एक समय की बात है नैषिरण्य तीर्थ में शौनिकादि, अठ्ठासी हजार ऋषियों ने श्री सूतजी से पूछा हे प्रभु!...
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सर्वसुख, राजसम्मान तथा पुत्र-प्राप्ति के लिए मंगलवार व्रत रखना शुभ माना जाता है। पढ़े हनुमान जी से जुड़ी मंगलवार व्रत कथा...
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किसी नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। दूर-दूर तक उसका व्यापार फैला हुआ था। नगर के सभी लोग उस व्यापारी का सम्मान करते थे..
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आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी जिसे योगिनी एकादशी कहते हैं। योगिनी एकादशी का उपवास रखने से समस्त पापों का नाश होता है, तथा इस लोक में भोग और परलोक मुक्ति भी मिलती है...
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एक ग्राम में अति दीन ब्राह्मण निवास करता था.. अत: जो भी मनुष्य रवि प्रदोष व्रत को करता है, वह सुखपूर्वक और निरोगी होकर अपना पूर्ण जीवन व्यतीत करता है।
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पाण्डव निर्जला एकादशी व्रत कथा
निर्जला एकादशी व्रत का पौराणिक महत्त्व और आख्यान भी कम रोचक नहीं है। जब सर्वज्ञ वेदव्यास ने पांडवों को चारों पुरुषार्थ संकल्प कराया था...
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श्री रुक्मणी मंदिर प्रादुर्भाव पौराणिक कथा
निर्जला एकादशी व्रत का पौराणिक महत्त्व और आख्यान भी कम रोचक नहीं है। जब सर्वज्ञ वेदव्यास ने पांडवों को चारों पुरुषार्थ संकल्प कराया था...
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भगवान् श्रीरामका जन्म अयोध्याके सूर्यवंशमें हुआ था। चक्रवर्ती महाराज सगर उनके पूर्वज थे। उनकी केशिनी और सुमति नामकी दो रानियाँ थीं।
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चक्रवर्ती राजा दिलीप की गौ-भक्ति कथा
महाराज दिलीप और देवराज इन्द्र में मित्रता थी। देवराज के बुलाने पर दिलीप एक बार स्वर्ग गये। देव असुर संग्राम में देवराज ने महाराज दिलीप से सहायता मांगी।..
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