Shri Hanuman Bhajan

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कांवर यात्रा की परंपरा किसने शुरू की?

धार्मिक ग्रंथों में माना जाता है कि भगवान परशुराम ने ही कांवर यात्रा की शुरुआत की थी। इसीलिए उन्हें प्रथम कांवरिया भी कहा जाता है।

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सावन शिवरात्रि 2025

आइए जानें! सावन शिवरात्रि से जुड़ी कुछ जानकारियाँ एवं सम्वन्धित कुछ प्रेरक तथ्य.. | सावन शिवरात्रि: Friday, 2 August 2024

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नया हनुमान मन्दिर का प्राचीन इतिहास

नया हनुमान मन्दिर को उन्नीसवीं शती के आरम्भ में सुगन्धित द्रव्य केसर विक्रेता लाला जटमल द्वारा 1783 में बनवाया गया।

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भगवान जगन्नाथ का नीलाद्रि बीजे अनुष्ठान क्या है?

नीलाद्रि बीजे, वार्षिक रथ यात्रा उत्सव के अंत और भगवान जगन्नाथ की गर्भगृह में वापसी को चिह्नित करता है या फिर आप भगवान जगन्नाथ और उनकी प्यारी पत्नी माँ महालक्ष्मी के बीच एक प्यारी सी कहानी बता सकते हैं।

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ISKCON एकादशी कैलेंडर 2025

यह एकादशी तिथियाँ केवल वैष्णव सम्प्रदाय इस्कॉन के अनुयायियों के लिए मान्य है | ISKCON एकादशी कैलेंडर 2025

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पुरी जगन्नाथ के गुंडिचा रानी और नाकचणा कथा

श्रीगुंडिचा मंदिर की दीवार के सामने दो द्वार हैं। एक 'सिंहद्वार' और दूसरा 'नाकचणा द्वार'। 'श्रीगुंडिचायात्रा' के दिन मंदिर के सिंहद्वार से तीन रथ निकलते हैं और गुंडिचा मंदिर के सिंहद्वार की ओर बढ़ते हैं।

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दही हांडी महोत्सव

त्योहार गोकुलाष्टमी, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है, कृष्ण के जन्म और दही हांडी उत्सव का जश्न मनाते है।

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रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ का मुकुट टाहिया

रथयात्रा के समय पहण्डी बिजे के दौरान भगवन टाहिया धारण करते हैं। टाहिया एकमात्र आभूषण है जिसे रथयात्रा अनुष्ठान के दौरान भगवान पहनते हैं।

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भगवान जगन्नाथ के नील माधव के रूप में होने के पीछे क्या कहानी है?

नील माधव (या नीला माधव) के रूप में भगवान जगन्नाथ की कहानी प्राचीन हिंदू परंपराओं, विशेष रूप से ओडिशा की परंपराओं में निहित एक गहरी आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक कहानी है।

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पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा के तीन रथ

रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा का वार्षिक रथ उत्सव है। वे तीन अलग-अलग रथों पर यात्रा करते हैं और लाखों लोग रथ खींचने के लिए इकट्ठा होते हैं।

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शिव ने शिवा को बताया भक्ति क्या है?

भगवान शिव ने देवी शिवा अर्थात आदिशक्ति महेश्वरी सती को उत्तम भक्तिभाव के बारे मे इस प्रकार बताया..अरुणोदयमारभ्य सेवाकालेऽञ्चिता हृदा। निर्भयत्वं सदा लोके स्मरणं तदुदाहृतम्॥

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लक्षदीपम

तिरुवनंतपुरम में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर अपने लक्षदीपम उत्सव के लिए प्रसिद्ध है - एक लुभावने उत्सव जिसमें मंदिर परिसर में एक लाख (100,000) तेल के दीपक जलाए जाते हैं।

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बांके बिहारी मंदिर में घंटियाँ क्यों नहीं हैं?

उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर कई मायनों में अनोखा है, और इसकी सबसे उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक यह है कि मंदिर में घंटियाँ नहीं हैं।

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जगन्नाथ मंदिर प्रसाद को 'महाप्रसाद' क्यों कहा जाता है?

जगन्नाथ मंदिर में सदियों से पाया जाने वाला महाप्रसाद लगभग 600-700 रसोइयों द्वारा बनाया जाता है, जो लगभग 50 हजार भक्तों के बीच वितरित किया जाता है।

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भगवान जगन्नाथ के अलग-अलग बेश?

बेश एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है पोशाक, पोशाक या पहनावा। 'मंगला अलाती' से 'रात्रि पहुड़' तक प्रतिदिन, पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर की 'रत्नवेदी' पर देवताओं को सूती और रेशमी कपड़ों, कीमती पत्थरों से जड़े सोने के आभूषणों, कई प्रकार के फूलों और अन्य पत्तियों और जड़ी-बूटियों से सजाया जाता है। जैसे तुलसी, दयान, मरुआ आदि। चंदन का लेप, कपूर और कभी-कभी कीमती कस्तूरी का उपयोग दैनिक और आवधिक अनुष्ठानों में किया जाता रहा है।

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