कुंभ मेला 2025 तथ्य: भक्तों के लिए टोल फ्री और व्हाट्सएप नंबर जारी किए गए
Blogs
वैशाख मास पारंपरिक हिंदू कैलेंडर में दूसरा महीना होता है। यह महीना ग्रेगोरियन कैलेंडर में अप्रैल और मई के साथ मेल खाता है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में इसे दूसरे महीने के रूप में गिना जाता है। गुजराती कैलेंडर में, यह सातवां महीना है। पंजाबी, बंगाल, असमिया और उड़िया कैलेंडर में वैशाख महीना पहला महीना है।
Blogs
फाल्गुन मास हिंदू पंचांग का अंतिम महीना है, जिसके बाद हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। चैत्र हिंदू पंचांग के बारह महीनों में पहला महीना है, और फागुन आखिरी महीना है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास फरवरी या मार्च में आता है।
Blogs
हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ का महीना ग्यारहवां महीना होता है। माघ मास की पूर्णिमा चन्द्रमा और अश्लेषा नक्षत्र में होती है, इसलिए इस मास को माघ मास कहा जाता है। माघ मास में सुख-शांति और समृद्धि के लिए पूजा किया जाता है।
Blogs
पौष मास, यह हिंदू महीना मार्गशीर्ष मास के बाद आता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार 10वां महीना है।
Blogs
यह एकादशी तिथियाँ केवल वैष्णव सम्प्रदाय इस्कॉन के अनुयायियों के लिए मान्य है | ISKCON एकादशी कैलेंडर 2025
Blogs
तिलक एक हिंदू परंपरा है जो काफी समय से चली आ रही है। विभिन्न समूह विभिन्न प्रकार के तिलकों का उपयोग करते हैं।
Blogs
नमस्कार भक्ति, प्रेम, सम्मान और विनम्रता जैसे दिव्य गुणों की एक सरल और सुंदर अभिव्यक्ति है।
Blogs
भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा हेतु हर काल में अवतार लिया। भगवान श्री विष्णु के दस अवतार यानी दशावतार की प्रामाणिक कथाएं।
Blogs
दिनभर पूजा की भोग, फूल, चुनरी, आदि सामिग्री चढ़ाई - पुण्य; पूजा के बाद, गन्दिगी के लिए समान पेड़/नदी के पास फेंक दिया - अधूरा पुण्य
Blogs
तुलाभारम क्या है, तुलाभारम कैसे करें?
तुलाभारम और तुलाभरा जिसे तुला-दान के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन हिंदू प्रथा है यह एक प्राचीन अनुष्ठान है। तुलाभारम द्वापर युग से प्रचलित है। तुलाभारम का अर्थ है कि एक व्यक्ति को तराजू के एक हिस्से पर बैठाया जाता है और व्यक्ति की क्षमता के अनुसार बराबर मात्रा में चावल, तेल, सोना या चांदी या अनाज, फूल, गुड़ आदि तौला जाता है और भगवान को चढ़ाया जाता है।
Blogs
बुधवार, 26 फरवरी 2025 को संपूर्ण भारत मे महा शिवरात्रि का उत्सव बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाएगा। महा शिवरात्रि क्यों, कब, कहाँ और कैसे? | आरती: | चालीसा | मंत्र | नामावली | कथा | मंदिर | भजन
Blogs
नया हनुमान मन्दिर का प्राचीन इतिहास
नया हनुमान मन्दिर को उन्नीसवीं शती के आरम्भ में सुगन्धित द्रव्य केसर विक्रेता लाला जटमल द्वारा 1783 में बनवाया गया।
Blogs
प्रयाग के संगम तट पर एक माह रहकर लोग कल्पवास करते हैं। यह परम्परा सदियों से चली आ रही है। ’कल्पवास‘ एक ऐसा व्रत है जो प्रयाग आदि तीर्थों के तट पर किया जाता है।
Blogs