सांबा दशमी ओडिशा का एक पारंपरिक त्योहार है, जिसे मुख्य रूप से ओडिशा की महिलाएं मनाती हैं। यह त्योहार भगवान सांबा को समर्पित है, जो भगवान कृष्ण और जाम्बवती के पुत्र हैं। यह त्योहार अच्छे स्वास्थ्य, रोगों से सुरक्षा और बच्चों की लंबी आयु का प्रतीक है। आमतौर पर माताएं अपने बेटों की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं।
सांबा दशमी कब मनाया जाता है?
सांबा दशमी पौष माह (दिसंबर-जनवरी) के शुक्ल पक्ष की दशमी (दसवें दिन) को मनाई जाती है, जो आमतौर पर पौष पूर्णिमा से एक दिन पहले होती है।
सांबा दशमी के रीति-रिवाज
❀ सुबह जल्दी स्नान करना और झोटी/अल्पना बनाना
❀ 21 पारंपरिक भोग बनाना
❀ भगवान सांबा और सूर्य देव को भोजन अर्पित करना
❀ सांबा दशमी कथा सुनाना
❀ उपवास या आंशिक उपवास रखना
सांबा दशमी का सांस्कृतिक महत्व
सांबा दशमी ओडिशा की सूर्य पूजा, मातृत्व प्रेम, पारंपरिक खान-पान और महिलाओं द्वारा संचालित आध्यात्मिक प्रथाओं में गहरी आस्था को दर्शाती है।
सांबा दशमी का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव की पूजा करने से भगवान सांबा कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए थे। इसलिए, यह त्योहार इन बातों से गहराई से जुड़ा हुआ है:
❀ स्वास्थ्य और उपचार
❀ पुत्रों की रक्षा
❀ परिवार के सदस्यों का कल्याण
| शुरुआत तिथि | पौष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी |
| कारण | Bhagwan Vishnu, Surya Dev |
| उत्सव विधि | मंदिर में प्रार्थना, व्रत, घर में पूजा |
Updated: Dec 29, 2025 19:12 PM