⚙️अन्नकूट उत्सव - Annakut Festival

Annakut Date: Tuesday, 10 November 2026

अन्नकूट उत्सव जिसे गोवर्धन पूजा भी कहा जाता है दिवाली के एक दिन बाद मनाया जाने वाला एक सुंदर हिंदू उत्सव है। अन्नकूट शब्द का शाब्दिक अर्थ है अन्न का पर्वत। यह उत्सव पोषण और प्रचुरता के लिए भगवान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है और भगवान कृष्ण द्वारा गोकुल के ग्रामीणों को इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाने का स्मरण कराता है। दिवाली का चौथा दिन (कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा) अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है।

संबंधित अन्य नामगोवर्धन पूजा
शुरुआत तिथिकार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा
कारणश्री कृष्ण
उत्सव विधिभजन कीर्तन, झांकी,आरती,भंडारे
Read in English - Annakut Festival
Annakut Festival, also known as Govardhan Puja, is a beautiful Hindu festival celebrated a day after Diwali.

अन्नकूट उत्सव के आध्यात्मिक कथा (गोवर्धन लीला)

❀ अन्नकूट का अर्थ है = अन्न (भोजन) + कूट (पर्वत)। भागवत पुराण के अनुसार, गोकुल के ग्रामीण वर्षा के लिए भगवान इंद्र की पूजा करते थे। कृष्ण ने उन्हें गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी, जो उनके मवेशियों और फसलों का पोषण करता था।
❀ क्रोधित होकर, इंद्र ने उन्हें दंड देने के लिए भारी वर्षा की। कृष्ण ने सात दिनों तक अपनी छोटी उंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठाया और उसके नीचे लोगों और जानवरों को आश्रय दिया।
❀ अपनी गलती का एहसास होने पर, इंद्र ने कृष्ण को प्रणाम किया। तब से, भक्त अभिमान पर विश्वास और विनम्रता की इस विजय का उत्सव मनाते हैं।
❀ यह उत्सव कृष्ण की इस शिक्षा पर प्रकाश डालता है कि ईश्वर और प्रकृति में विश्वास अभिमान से किए जाने वाले अनुष्ठानों से कहीं अधिक महान है (जैसा कि तब प्रदर्शित हुआ जब उन्होंने लोगों को इंद्र की पूजा करने से रोक दिया और इसके बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा की)।

अन्नकूट उत्सव कैसे मनाया जाता है

❀ प्रातःकालीन अनुष्ठान: भक्त गाय के गोबर, मिट्टी या अनाज से एक प्रतीकात्मक पर्वत (गोवर्धन) बनाकर गोवर्धन पूजा करते हैं।
❀ भोजन अर्पण: सैकड़ों व्यंजन - मिठाइयाँ, नमकीन, फल ​​और पके हुए व्यंजन - तैयार किए जाते हैं और उन्हें पहाड़ जैसी परतों में सजाया जाता है। कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में भगवान कृष्ण या गोवर्धन महाराज को अर्पित करते हैं।
❀ आरती और भजन: भक्त कृष्ण भजन गाते हैं और भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की आरती करते हैं।
❀ प्रसाद वितरण: अर्पित किया गया भोजन (अन्नकूट भोग) बाद में भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
❀ स्वामीनारायण मंदिरों और इस्कॉन केंद्रों में, अन्नकूट दर्शन विशेष रूप से भव्य होता है, जिसमें देवताओं को सैकड़ों से हज़ारों व्यंजन अर्पित किए जाते हैं।

उत्सव के प्रमुख स्थान

❀ मथुरा और वृन्दावन - कृष्ण पूजा के पारंपरिक केंद्र।
❀ गोवर्धन पर्वत (ब्रज क्षेत्र) - भक्त गोवर्धन परिक्रमा (पहाड़ी की परिक्रमा) करते हैं।
❀ स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर (दिल्ली, अहमदाबाद, लंदन आदि में) - भव्य अन्नकूट प्रदर्शन।
❀ दुनिया भर में इस्कॉन मंदिर - कीर्तन और प्रसादम वितरण के साथ गोवर्धन पूजा और अन्नकूट प्रसाद का आयोजन करते हैं।

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
आवृत्ति
वार्षिक
समय
1 दिन
शुरुआत तिथि
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा
महीना
अक्टूबर / नवंबर
मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
कारण
श्री कृष्ण
उत्सव विधि
भजन कीर्तन, झांकी,आरती,भंडारे
महत्वपूर्ण जगह
Barsana, Mathura, Vrindavan, Braj Pradesh, Shri Krishna Mandir, Shrinathji Temple Nathdwara, ISKCON Temples

Updated: Oct 23, 2025 11:36 AM

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