अशोक षष्ठी का महत्व
❀ यह दिन बच्चों के कल्याण, दीर्घायु और सुख के लिए देवी षष्ठी की पूजा का प्रतीक है।
❀ भक्ति भारत के मुताबिक माताएँ अपने पुत्रों और पुत्रियों के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु व्रत और अनुष्ठान करती हैं।
❀ \"अशोक\" शब्द का अर्थ है \"दुःख रहित\", जो बच्चों के लिए दुःख-मुक्त जीवन की कामना का प्रतीक है।
अशोक षष्ठी के अनुष्ठान और पालन
❀ विवाहित महिलाएँ, विशेषकर माताएँ, सुबह जल्दी उठती हैं, स्नान करती हैं और अशोक वृक्ष (सारका अशोक) के नीचे देवी षष्ठी की पूजा करती हैं, जो इस दिन पवित्र माना जाता है।
❀ देवी को फल, मिठाई, चावल, हल्दी और फूल चढ़ाती हैं और भक्ति के प्रतीक के रूप में अशोक वृक्ष के चारों ओर लाल धागे बाँधती हैं।
❀ भक्त इनदिनों मैं चावल परहेज करते हैं, कुट्टू आटा या साबू दाना का सेवन करते हैं।
❀ इस अनुष्ठान में अशोक के पत्तों का भी उपयोग किया जाता है, ऐसा माना जाता है कि ये दुःख दूर भगाते हैं (अशोक = \"कोई दुःख नहीं\")।
❀ कुछ क्षेत्रों में षष्ठी ब्रत कथा सुनाने के लिए कथावाचन सत्र आयोजित किए जाते हैं, जिसमें देवी की सुरक्षात्मक शक्तियों पर ज़ोर दिया जाता है।