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✨सूरसम्हारम - Soorasamharam

Soorasamharam Date: Thursday, 7 November 2024

दक्षिण भारत में भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को मुरुगन या अयप्पा के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर नामक राक्षस का वध किया था इसलिए इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से जीवन में उच्च योग के लक्षण प्राप्त होते हैं। स्कंद षष्ठी के दौरान, भक्त छह दिनों का उपवास रखते हैं जो कार्तिक या पिरथमाई के चंद्र महीने के पहले दिन से शुरू होता है और छठे दिन समाप्त होता है जिसे सूरसम्हारम दिवस के रूप में जाना जाता है। स्कंद षष्ठी का दिन चंद्र मास के आधार पर तय किया जाता है और यह त्योहार कार्तिक महीने के छठे दिन पड़ता है। यह त्योहार तमिल कैलेंडर के अइप्पासी या कार्तिकई महीने में आता है।

स्कंद षष्ठी और सूरसम्हारम कैसे मनाएं?
❀ सूरसम्हारम स्कंद षष्ठी के दौरान छह दिवसीय त्योहार का आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण दिन है। ऐसा माना जाता है कि सूरसम्हारम के दिन भगवान मुरुगन ने राक्षस सुरपद्मन को युद्ध में हराया था। इसीलिए दुनिया को बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देने के लिए हर साल सूरसम्हारम का त्योहार मनाया जाता है।

❀ यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि, जिस दिन षष्ठी तिथि और पंचमी तिथि एक साथ आती है, उस दिन सूरसम्हारम व्रत किया जाता है। इसीलिए अधिकांश मंदिर पंचमी तिथि को स्कंद षष्ठी मनाते हैं, जब षष्ठी तिथि पंचमी तिथि पर सूर्यास्त से पहले शुरू होती है।

❀ तिरुचेंदुर मुरुगन मंदिर में स्कंद षष्ठी उत्सव सबसे लोकप्रिय है। कार्तिक माह की पहली तिथि से प्रारंभ होकर छह दिवसीय उत्सव का समापन सूरसम्हारम के दिन होता है। सूरसम्हारम के अगले दिन थिरु कल्याणम मनाया जाता है।

सूरसम्हारम उत्सव के दौरान क्या होता है?
स्कंद षष्ठी उत्सव के अंतिम दिन सूरसम्हारम से पहले कई समारोह होते हैं। विशेष पूजाएँ आयोजित की जाती हैं और मुरुगन के देवता का अभिषेकम के अनुष्ठान में अभिषेक किया जाता है। भक्त मंदिर जाके देवता के दर्शन करते हैं।

यह त्यौहार मुख्य रूप से कहाँ मनाया जाता है?
स्कंद षष्ठी, जिसे कंडा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान मुरुगन को समर्पित एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। स्कंद षष्ठी उत्सव मुख्य रूप से तमिल हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। सूरसम्हारम उत्सव को सुरनपोरु भी कहा जाता है।

संबंधित अन्य नामसूरसम्हारम, सुरनपोरु, स्कंद षष्ठी
शुरुआत तिथिकार्तिक चन्द्र माह के प्रथम दिवस
कारणभगवान मुरुगन
उत्सव विधिमंदिर में प्रार्थना, व्रत, घर में पूजा

Soorasamharam in English

In South India, Kartikeya, the son of Bhagwan Shiva and Goddess Parvati, is known as Murugan or Ayyappa. According to the scriptures, on the day of Skanda Shashti, Bhagwan Kartikeya had killed a demon named Tarakasura, so by worshiping Bhagwan Kartikeya on this day one attains the characteristics of high yoga in life. During Skanda Sashti, the devotees observe a fast for six days which starts from the first day of the lunar month of Kartik or Pirthmai and ends on the sixth day which is known as Soorasamharam day.

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
27 October 202515 November 20264 November 202723 October 2028
आवृत्ति
वार्षिक
समय
1 दिन
शुरुआत तिथि
कार्तिक चन्द्र माह के प्रथम दिवस
समाप्ति तिथि
कार्तिक चन्द्र माह षष्ठी
महीना
नवम्बर - दिसम्बर
कारण
भगवान मुरुगन
उत्सव विधि
मंदिर में प्रार्थना, व्रत, घर में पूजा
महत्वपूर्ण जगह
दक्षिण भारत
पिछले त्यौहार
18 November 2023
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