पितृ पक्ष - Pitru Paksha

जो आपका नहीं, उसके लिए दुख क्यों? - प्रेरक कहानी (Jo Apaka Nahi Usake Lie Dukh Kyon)


जो आपका नहीं, उसके लिए दुख क्यों? - प्रेरक कहानी
Add To Favorites Change Font Size
एक आदमी सागर के किनारे टहल रहा था। एकाएक उसकी नजर चांदी की एक छड़ी पर पड़ी, जो बहती-बहती किनारे आ लगी थी। वह खुश हुआ और झटपट छड़ी उठा ली। अब वह छड़ी लेकर टहलने लगा।
धूप चढ़ी तो उसका मन सागर में नहाने का हुआ। उसने सोचा, अगर छड़ी को किनारे रखकर नहाऊंगा, तो कोई ले जाएगा। इसलिए वह छड़ी हाथ में ही पकड़ कर नहाने लगा। तभी एक ऊंची लहर आई और तेजी से छड़ी को बहाकर ले गई। वह अफसोस करने लगा और दुखी हो कर तट पर आ बैठा।

उधर से एक संत आ रहे थे। उसे उदास देख पूछा, इतने दुखी क्यों हो? उसने बताया, स्वामी जी नहाते हुए मेरी चांदी की छड़ी सागर में बह गई। संत ने हैरानी जताई, छड़ी लेकर नहा रहे थे? वह बोला, क्या करता? किनारे रख कर नहाता, तो कोई ले जा सकता था।

लेकिन चांदी की छड़ी ले कर नहाने क्यों आए थे?: स्वामी जी ने पूछा।

ले कर नहीं आया था, वह तो यहीं पड़ी मिली थी: उसने बताया।

सुन कर स्वामी जी हंसने लगे और बोले: जब वह तुम्हारी थी ही नहीं, तो फिर दुख या उदासी कैसी?

कभी कुछ खुशियां अनायास मिल जाती हैं और कभी कुछ श्रम करने और कष्ट उठाने से मिलती हैं। जो खुशियां अनायास मिलती हैं, परमात्मा की ओर से मिलती हैं, उन्हें सराहने का हमारे पास समय नहीं होता।

इंसान व्यस्त है तमाम ऐसे सुखों की गिनती करने में, जो उसके पास नहीं हैं - आलीशान बंगला, शानदार कार, स्टेटस, पॉवर वगैरह और भूल जाता है कि एक दिन सब कुछ यूं ही छोड़कर उसे अगले सफर में निकल जाना है।
यह भी जानें

Prerak-kahani Sant Prerak-kahaniReal Life Prerak-kahaniChandi Ki Chadi Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

मन को शांत रखने के उपाय - प्रेरक कहानी

सेठ उस साधु के पास के पास जाकर बोला, महाराज मेरे पास बहुत पैसा है, लेकिन मन की शांति नहीं है। साधु ने कहा कि, बेटा जैसा मैं करूं उसे चुपचाप देखते रहना...

ऋण तो चुकाना ही होगा - प्रेरक कहानी

भाई ! तुम उधार कब लौटाओगे ? इस जन्म में या फिर अगले जन्म में ?

मैं मरूंगा ही नहीं तो चूड़ियां फोड़ेगी कैसे - सत्य कथा

शारदा उनकी पत्नी रोने लगी तो रामकृष्ण ने आंखें खोलीं और कहा कि चुप, किसलिए रोती है? मैं न कहीं गया, न कहीं आया, मैं जहां हूं वहीं रहूंगा। तो शारदा ने पूछा, तुम्हारी देह के चले जाने के बाद मेरी चूड़ियों का क्या करना?

तुलसीदास जी द्वारा भगवान् श्रीराम, लक्ष्मण दर्शन - सत्य कथा

चित्रकूटके घाट पर, भइ संतन की भीर । तुलसिदास चंदन घिसें, तिलक देन रघुबीर ॥..

तुलसीदास जी रचित श्री रामचरितमानस के प्रथम श्रोता - सत्य कथा

श्री रामचरितमानस के प्रथम श्रोता संत: मनुष्यों में सबसे प्रथम यह ग्रन्थ सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ मिथिला के परम संत श्रीरूपारुण स्वामीजी महाराज को।

तुलसीदास जी द्वारा ब्राह्मण को जीवन दान - सत्य कथा

ब्राह्मण की मृत्यु हो गयी, उसकी पत्नी उसके साथ सती होने के लिए जा रही थी। गोस्वामी श्री तुलसीदास जी अपनी कुटी के द्वार पर बैठे हुए भजन कर रहे थे।

भगवान कहाँ रहते हैं? - प्रेरक कहानी

एक ब्राह्मण था, वह घरों पर जाकर पूजा पाठ कर अपना जीवन यापन किया करता था। एक बार उस ब्राह्मण को नगर के राजा के महल से पूजा के लिये बुलावा आया।

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Durga Chalisa - Durga Chalisa
Bhakti Bharat APP