Shri Krishna Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

श्री लक्ष्मी चालीसा (Shri Lakshmi Chalisa)


श्री लक्ष्मी चालीसा
॥ दोहा॥
मातु लक्ष्मी करि कृपा,
करो हृदय में वास ।
मनोकामना सिद्घ करि,
परुवहु मेरी आस ॥
॥ सोरठा॥
यही मोर अरदास,
हाथ जोड़ विनती करुं ।
सब विधि करौ सुवास,
जय जननि जगदंबिका ॥

॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही ।
ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥

तुम समान नहिं कोई उपकारी ।
सब विधि पुरवहु आस हमारी ॥

जय जय जगत जननि जगदम्बा ।
सबकी तुम ही हो अवलम्बा ॥

तुम ही हो सब घट घट वासी ।
विनती यही हमारी खासी ॥

जगजननी जय सिन्धु कुमारी ।
दीनन की तुम हो हितकारी ॥

विनवौं नित्य तुमहिं महारानी ।
कृपा करौ जग जननि भवानी ॥

केहि विधि स्तुति करौं तिहारी ।
सुधि लीजै अपराध बिसारी ॥

कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी ।
जगजननी विनती सुन मोरी ॥

ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता ।
संकट हरो हमारी माता ॥

क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो ।
चौदह रत्न सिन्धु में पायो ॥ 10

चौदह रत्न में तुम सुखरासी ।
सेवा कियो प्रभु बनि दासी ॥

जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा ।
रुप बदल तहं सेवा कीन्हा ॥

स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा ।
लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा ॥

तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं ।
सेवा कियो हृदय पुलकाहीं ॥

अपनाया तोहि अन्तर्यामी ।
विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी ॥

तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी ।
कहं लौ महिमा कहौं बखानी ॥

मन क्रम वचन करै सेवकाई ।
मन इच्छित वांछित फल पाई ॥

तजि छल कपट और चतुराई ।
पूजहिं विविध भांति मनलाई ॥

और हाल मैं कहौं बुझाई ।
जो यह पाठ करै मन लाई ॥

ताको कोई कष्ट नोई ।
मन इच्छित पावै फल सोई ॥ 20

त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि ।
त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी ॥

जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै ।
ध्यान लगाकर सुनै सुनावै ॥

ताकौ कोई न रोग सतावै ।
पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै ॥

पुत्रहीन अरु संपति हीना ।
अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना ॥

विप्र बोलाय कै पाठ करावै ।
शंका दिल में कभी न लावै ॥

पाठ करावै दिन चालीसा ।
ता पर कृपा करैं गौरीसा ॥

सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै ।
कमी नहीं काहू की आवै ॥

बारह मास करै जो पूजा ।
तेहि सम धन्य और नहिं दूजा ॥

प्रतिदिन पाठ करै मन माही ।
उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं ॥

बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई ।
लेय परीक्षा ध्यान लगाई ॥ 30

करि विश्वास करै व्रत नेमा ।
होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा ॥

जय जय जय लक्ष्मी भवानी ।
सब में व्यापित हो गुण खानी ॥

तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं ।
तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं ॥

मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै ।
संकट काटि भक्ति मोहि दीजै ॥

भूल चूक करि क्षमा हमारी ।
दर्शन दजै दशा निहारी ॥

बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी ।
तुमहि अछत दुःख सहते भारी ॥

नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में ।
सब जानत हो अपने मन में ॥

रुप चतुर्भुज करके धारण ।
कष्ट मोर अब करहु निवारण ॥

केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई ।
ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई ॥

॥ दोहा॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी,
हरो वेगि सब त्रास ।
जयति जयति जय लक्ष्मी,
करो शत्रु को नाश ॥

रामदास धरि ध्यान नित,
विनय करत कर जोर ।
मातु लक्ष्मी दास पर,
करहु दया की कोर ॥

Shri Lakshmi Chalisa in English

Maatu Lakshmi Kari Kripa, Hridaya Mein Vaas । Manokamna Siddha Kari, Paruvahu Meri Aas ॥
यह भी जानें

Chalisa Maa Lakshmi ChalisaMata Laxmi ChalisaLaxmi Pujan ChalisaNavratri ChalisaKojagari Vrat Chalisa

अन्य प्रसिद्ध श्री लक्ष्मी चालीसा वीडियो

अगर आपको यह चालीसा पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस चालीसा को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

चालीसा ›

शिव चालीसा

शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.. शिव चालीसा लिरिक्स के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न होते हैं

भैरव चालीसा

श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धरि माथ । जय जय श्री काली के लाला । जयति जयति काशी-कुतवाला ॥...

बटुक भैरव चालीसा

जय जय श्रीकाली के लाला रहो दास पर सदा दयाला, भैरव भीषण भीम कपाली क्रोधवन्त लोचन में लाली

हनुमान चालीसा

हनुमान चालीसा लिरिक्स | जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ राम दूत अतुलित बल धामा | बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए, शनि के प्रकोप से बचने हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करें

शनि चालीसा

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल। दीनन के दुख दूर करि...

दुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥

संतोषी माता चालीसा

जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥

Shiv Chalisa - Shiv Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP