कर्नाटक के मैसूर से लगभग 13 किलोमीटर दूर चामुंडी पहाड़ियों की चोटी पर स्थित चामुंडेश्वरी मंदिर, दक्षिण भारत के सबसे प्रतिष्ठित शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर देवी चामुंडेश्वरी (चामुंडी देवी) को समर्पित है - जो देवी दुर्गा का एक अवतार हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने बुराई के प्रतीक भैंस के सिर वाले राक्षस महिषासुर का वध किया था।
चामुंडेश्वरी मंदिर का इतिहास और वास्तुकला
चामुंडेश्वरी मंदिर के मुख्य गर्भगृह में देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति स्थापित है, जो सोने और बहुमूल्य आभूषणों से सुसज्जित है। मंदिर तक जाने वाली 1008 सीढ़ियाँ एक प्रमुख तीर्थयात्रा मार्ग है, जहाँ कई भक्त नंगे पैर चढ़ते हैं।
एक ग्रेनाइट चट्टान को तराशकर बनाई गई एक विशाल नंदी (बैल) की मूर्ति पहाड़ी के बीचों-बीच स्थापित है - जो दर्शनार्थियों के लिए एक पवित्र पड़ाव है। नवरात्रि (दशहरा) के दौरान, मंदिर और मैसूर शहर भव्य समारोहों और प्रकाश प्रदर्शनों से जीवंत हो उठते हैं। मंदिर की स्थापत्य शैली द्रविड़ शैली की है और इसमें एक भव्य सात-स्तरीय गोपुरम (टॉवर) है। यह 18 महाशक्तिपीठों में से एक है; वह स्थान जहाँ देवी चामुंडी ने महिषासुर का वध किया था।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक शक्तिशाली राक्षस राजा, महिषासुर को वरदान प्राप्त था कि कोई भी मनुष्य उसे नहीं मार सकता। शक्ति के नशे में चूर होकर, उसने स्वर्ग और पृथ्वी पर आतंक मचाना शुरू कर दिया। शांति बहाल करने के लिए, देवताओं ने देवी चामुंडेश्वरी (दुर्गा का एक रूप) की रचना की, जिन्होंने इसी पहाड़ी पर महिषासुर को पराजित किया और उसका वध किया - इसलिए मैसूरु (पूर्व में महिषुरु) का नाम उन्हीं के नाम पर पड़ा। मंदिर परिसर में भगवान गणेश, भोग नंदीश्वर की प्रतिमाएं भी हैं।
मंदिर के प्रवेश द्वार के पास महिषासुर की एक विशाल मूर्ति स्थापित है, जिसके हाथ में तलवार और एक नाग है - जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
चामुंडेश्वरी मंदिर दर्शन समय
चामुंडेश्वरी मंदिर पूरे सप्ताह खुला रहता है और दर्शन का समय सुबह 7:30 बजे से रात 9 बजे तक है।
चामुंडेश्वरी मंदिर में मनाए जाने वाले उत्सव
मैसूरु दशहरा सबसे भव्य उत्सव है, जो देवी चामुंडेश्वरी की महिषासुर पर विजय का उत्सव मनाता है। आषाढ़ (जून-जुलाई) महीने के शुक्रवार को विशेष पूजा-अर्चना होती है और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। नवरात्रि, देवी को समर्पित भक्ति, संगीत, नृत्य और विशेष अनुष्ठानों की नौ रातों के लिए मनाई जाती है।
चामुंडेश्वरी मंदिर कैसे पहुँचें:
यह मंदिर कर्नाटक के मैसूर से लगभग 13 किमी दूर चामुंडी पहाड़ियों की चोटी पर स्थित है। सड़क मार्ग से, मैसूर शहर से पहाड़ी की चोटी तक नियमित बसों और टैक्सियों द्वारा पहुँचा जा सकता है। निकटतम स्टेशन मैसूर जंक्शन है जो केवल 13 किमी दूर है। मैसूर हवाई अड्डा (15 किमी) या केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, बेंगलुरु (180 किमी) भी यहाँ से पहुँचा जा सकता है।
प्रचलित नाम: चामुंडी देवी मंदिर