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💰महालक्ष्मी व्रत - Mahalakshmi Vrat

Mahalakshmi Vrat Date: Sunday, 31 August 2025
महालक्ष्मी व्रत

सनातन धर्म में महालक्ष्मी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत कम से कम 16 दिनों तक रखा जाता है। माता लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में पूजा जाता है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत शुरू होता है। साथ ही इसका समापन आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। ऐसे में ये 16 दिन देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित हैं। ऐसे में जिस भी व्यक्ति पर देवी लक्ष्मी की कृपा होती है उसे जीवन में धन संबंधी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है।

महालक्ष्मी व्रत कथा:
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, एक बार धर्म राज युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि वह अपना खोया हुआ राज्य कैसे वापस पा सकते हैं। भगवान कृष्ण ने उन्हें अपनी हानि, समृद्धि और धन वापस पाने के लिए महालक्ष्मी व्रत करने की सलाह दी। भगवान कृष्ण ने कहा कि जो लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और लगातार सोलह दिनों तक व्रत रखते हैं उन्हें सभी वांछित इच्छाओं का आशीर्वाद मिलता है। कुछ क्षेत्रों में, भक्त सूर्योदय के समय भगवान सूर्य को जल चढ़ाते हैं। जो भक्त इन सोलह दिनों तक व्रत करने में असमर्थ हैं, वे इस व्रत को 3 दिनों - पहला दिन, 8वां दिन और 16वां दिन - कर सकते हैं।

संबंधित अन्य नाममहालक्ष्मी व्रत
शुरुआत तिथिभाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि
कारणमाता लक्ष्मी
उत्सव विधिमंदिर में प्रार्थना, व्रत, घर में पूजा

Mahalakshmi Vrat in English

Every year Mahalakshmi Vrat starts from the Ashtami date of Shukla Paksha of Bhadrapada month. Also, it concludes on the Ashtami Tithi of Krishna Paksha of Ashwin month.

महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि

11 September 2024
❀ अगर आप महालक्ष्मी व्रत कर रहे हैं तो सबसे पहले सुबह उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें।

❀ मंदिर को साफ करें और वहां एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। इसके बाद चौकी पर देवी लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। ध्यान रखें कि इस दिन देवी लक्ष्मी की हाथी पर सवार मूर्ति की पूजा की जाती है इसलिए इस मूर्ति की स्थापना करें।

❀ पूजा स्थान पर सोने और चांदी के सिक्के भी रखें। महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत में 16 गांठों वाला धागा बांधने की परंपरा है।

❀ फिर देवी लक्ष्मी को फूलों की माला पहनाएं और उन्हें सिन्दूर का तिलक लगाएं। इसके बाद चंदन, अबीर, गुलाल, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी और नारियल चढ़ाएं। पूजा के दौरान धागे को 16-16 की संख्या में 16 बार बांधना चाहिए।

❀ ऐसे में व्रत के आखिरी दिन शाम के समय पूजा के लिए अपने हाथ पर 16 गांठ वाला लाल धागा बांधें। इसके बाद देवी महालक्ष्मी के सामने 16 देसी घी के दीपक जलाएं और देवी लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें। व्रत के अगले दिन 16 गांठ वाला एक धागा अपनी तिजोरी में रखें। इस धागे को अपने पास रखने से आपके घर में धन की कमी नहीं होती है।

❀ इसके बाद अगरबत्ती जलाएं और फिर हाथी की पूजा करें।

❀ अंत में भोग लगाएं और मां लक्ष्मी कथा और आरती का पाठ करके पूजा संपन्न करें।

महालक्ष्मी व्रत सामग्री

महालक्ष्मी पूजा के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि आप जो भी चढ़ा रहे हैं वह सोलह की गिनती में होना चाहिए। जैसे 16 लौंग, 16 इलायची या 16 श्रृंगार सामग्री आदि। आप देवी लक्ष्मी को कुमकुम, बताशा, शंख, कमलगट्टा, मखाना, चावल और फूल चढ़ा सकते हैं।

महालक्ष्मी व्रत मंत्र:
ॐ श्रीं ह्रीं श्री कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः।

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
18 September 20267 September 202727 August 202815 September 20295 September 2030
आवृत्ति
वार्षिक
समय
16 दिन
शुरुआत तिथि
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि
समाप्ति तिथि
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि
महीना
सितंबर - अक्टूबर
मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं श्री कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः।
कारण
माता लक्ष्मी
उत्सव विधि
मंदिर में प्रार्थना, व्रत, घर में पूजा
पिछले त्यौहार
24 September 2024, 11 September 2024, 6 October 2023, 22 September 2023
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