पापांकुशा एकादशी के अलगे दिन द्वादशी तिथि को पद्मनाभ द्वादशी व्रत आता है। पद्मनाभ द्वादशी आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाई जाती है। पद्मनाभ द्वादशी को भगवान विष्णु के अनंत पद्मनाभ स्वरूप की पूजा करने का विधान है।
चातुर्मास में भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं तथा उनकी इस विश्राम अवस्था को पद्मनाभ कहा जाता है। अतः इस तिथि को पद्मनाभ द्वादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि जागृतावस्था प्राप्त करने हेतु अंगडाई लेते है तथा पद्मासीन ब्रह्या जी ओंकार (ॐ) ध्वति उच्चारित करते हैं।
इस दिन भगवान श्री हरि के पद्मनाभ स्वरूप की चंदन एवं कमल से पूजन करने का विधान है। पद्मनाभ द्वादशी के विशेष पूजन से निर्धन भक्ति धनवान एवं नि:संतानों को संतान सुख के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शुरुआत तिथि | आश्विन शुक्ला द्वादशी |
उत्सव विधि | व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन |
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