फाल्गुन संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा
विष्णु शर्मा के 7 पुत्र थे। वे सातों अलग-अलग रहते थे। विष्णु शर्मा की जब वृद्धावस्था आ गई तो उसने सब बहुओं से कहा-तुम सब गणेश चतुर्थी का व्रत किया करो।
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श्री सत्यनारायण कथा - द्वितीय अध्याय
सूत जी बोले: हे ऋषियों ! जिसने पहले समय में इस व्रत को किया था उसका इतिहास कहता हूँ, ध्यान से सुनो!...
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श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे राजन्! माघ शुक्ल एकादशी के दिन आने वाली एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है।
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पौष पुत्रदा एकादशी के उपरांत, माघ माह के कृष्ण पक्ष मे आने वाली इस एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है। इस व्रत के करने से अनेक प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं।
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सकट चौथ पौराणिक व्रत कथा - राजा हरिश्चंद्र..
इस घटना के बाद कुम्हार डर गया और राजा के समक्ष पहुंच पूरी कहानी बताई। इसके पश्चात राजा ने बच्चे और उसकी मां को बुलवाया तो मां ने संकटों को दूर करने वाले सकट चौथ की महिमा..
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सकट चौथ व्रत कथा: एक साहूकार और साहूकारनी
एक साहूकार और एक साहूकारनी थे। वह धर्म पुण्य को नहीं मानते थे। इसके कारण उनके कोई बच्चा नहीं था।..
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सकट चौथ पौराणिक व्रत कथा - श्री महादेवजी पार्वती
एक बार महादेवजी पार्वती सहित नर्मदा के तट पर गए। वहाँ एक सुंदर स्थान पर पार्वतीजी ने महादेवजी के साथ चौपड़ खेलने की इच्छा व्यक्त की..
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श्री सत्यनारायण कथा - तृतीय अध्याय
सूतजी बोले: हे श्रेष्ठ मुनियों, अब आगे की कथा कहता हूँ। पहले समय में उल्कामुख नाम का एक बुद्धिमान राजा था।...
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भगवान श्रीकृष्ण बोले: पौष माह के शुक्ल पक्ष मे आने वाली इस एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इसमें भी नारायण भगवान की पूजा की जाती है।
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वनवास के समय धर्मराज युधिष्ठिर के आग्रह करने पर महर्षि बृहदश्व ने नल-दमयन्ती की कथा सुनाई।
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भगवान श्रीकृष्ण बोले: पौष माह के कृष्ण पक्ष मे आने वाली इस एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी के देवता श्रीनारायण हैं..
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यह जन्म से ब्राह्मण लेकिन कर्म से असुर था और अरब के पास यवन देश में रहता था। पुराणों में इसे म्लेच्छों का प्रमुख कहा गया है।
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पौष संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा
पौष मास में चतुर्थी का व्रत कर रहे व्रतधारियों को दोनों हाथों में पुष्प लेकर श्री गणेश जी का ध्यान तथा पूजन करने के पश्चात पौष गणेश चतुर्थी की यह कथा अवश्य ही पढ़ना अथवा सुनना चाहिए।
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मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष मे आने वाली इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन गीता जयंती मनाई जाती हैं साथ ही यह धनुर्मास की एकादशी कहलाती हैं..
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मां अन्नपूर्णा माता का महाव्रत मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष पंचमी से प्रारम्भ होता है और मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी को समाप्त होता है। यह उत्तमोत्तम व्रत सत्रह दिनों का होता है और कई भक्त 21दिन तक भी पालन करते हैं।
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