कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 23
नारद जी बोले - हे राजन! यही कारण है कि कार्तिक मास के व्रत उद्यापन में तुलसी की जड़ में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। नर्मदा का दर्शन, गंगा का स्नान और तुलसी वन का संसर्ग
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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 22
राजा पृथु ने नारद जी से पूछा - हे देवर्षि! कृपया आप अब मुझे यह बताइए कि वृन्दा को मोहित करके विष्णु जी ने क्या किया और फिर वह कहाँ गये?
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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 20
अब राजा पृथु ने पूछा - हे देवर्षि नारद! इसके बाद युद्ध में क्या हुआ तथा वह दैत्य जलन्धर किस प्रकार मारा गया, कृपया मुझे वह कथा सुनाइए।
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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 21
अब ब्रह्मा आदि देवता नतमस्तक होकर भगवान शिव की स्तुति करने लगे। वे बोले - हे देवाधिदेव! आप प्रकृति से परे पारब्रह्म और परमेश्वर हैं..
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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 19
राजा पृथु ने पूछा - हे नारद जी! अब आप यह कहिए कि भगवान विष्णु ने वहाँ जाकर क्या किया तथा जलन्धर की पत्नी का पतिव्रत किस प्रकार भ्रष्ट हुआ?
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...किंतु यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थीं। यमुना अपने भाई यमराज के यहां प्राय: जाती और उनके सुख-दुख की बातें पूछा करती। तथा यमुना, यमराज को अपने घर पर आने के लिए भी आमंत्रित करतीं, किंतु व्यस्तता तथा अत्यधिक दायित्व के कारण वे उसके घर न जा पाते थे।
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एक बुढ़िया माई थीं, उसके सात बेटे और एक बेटी थी। बेटी कि शादी हो चुकी थी। जब भी उसके बेटे कि शादी होती, फेरों के समय एक नाग आता और उसके बेटे को डस लेता..
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चित्रगुप्त की कथा - यम द्वितीया
यम द्वितिया, कार्तिक द्वितीया अथवा भैया दूज पर श्री चित्रगुप्त जी की पढ़ी जाने वाली पौराणिक कथा, पूजन एवं विधि..एक बार युधिष्ठिरजी भीष्मजी से बोले..
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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 18
अब रौद्र रूप महाप्रभु शंकर नन्दी पर चढ़कर युद्धभूमि में आये। उनको आया देख कर उनके पराजित गण फिर लौट आये और सिंहनाद करते हुए आयुद्धों से दैत्यों पर प्रहार करने लगे।..
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भगवान राम के राजतिलक में निमंत्रण से छूटे भगवान चित्रगुप्त
जब भगवान् राम दशानन रावण को मार कर अयोध्या लौट रहे थे, तब उनके खडाऊं को राजसिंहासन पर रख कर राज्य चला रहे राजा भरत...
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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 16
राजा पृथु ने कहा: हे नारद जी! ये तो आपने भगवान शिव की बडी़ विचित्र कथा सुनाई है। अब कृपा करके आप यह बताइये कि उस समय राहु उस पुरूष से छूटकर कहां गया?
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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 13
दोनो ओर से गदाओं, बाणों और शूलों आदि का भीषण प्रहार हुआ। दैत्यों के तीक्ष्ण प्रहारों से व्याकुल देवता इधर-उधर भागने लगे तब देवताओं को इस प्रकार भयभीत हुआ देख गरुड़ पर चढ़े भगवान युद्ध में आगे बढ़े..
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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 14
तब उसको इस प्रकार धर्मपूर्वक राज्य करते हुए देख देवता क्षुब्ध हो गये। उन्होंणे देवाधिदेव शंकर का मन में स्मरण करना आरंभ..
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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 12
नारद जी ने कहा: तब इन्द्रादिक देवता वहाँ से भय-कम्पित होकर भागते-भागते बैकुण्ठ में विष्णु जी के पास पहुंचे। देवताओं ने अपनी रक्षा के लिए उनकी स्तुति की..
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