वृंदावनी वेणू: भजन (Vrindavani Venu)


वृंदावनी वेणु कवणाचा माये वाजे ।
वेणुनादें गोवर्धनु गाजे ॥
पुच्छ पसरूनि मयूर विराजे ।
मज पाहता भासती यादवराजे ॥

तृणचारा चरूं विसरली ।
गाई-व्याघ्र एके ठायीं जाली ।
पक्षीकुळें निवांत राहिलीं ।
वैरभाव समूळ विसरली ॥

वृंदावनी वेणु कवणाचा माये वाजे ।
वेणुनादें गोवर्धनु गाजे ॥

ध्वनी मंजुळ मंजुळ उमटती ।
वांकी रुणझुण रुणझुण वाजती ।
देव विमानीं बैसोनि स्तुती गाती ।
भानुदासा फावली प्रेम-भक्ति ॥

वृंदावनी वेणु कवणाचा माये वाजे ।
वेणुनादें गोवर्धनु गाजे ॥
Vrindavani Venu - Read in English
Teri Surat Pe Jaun Balihar Rasiya, Main to Nachungi Tere Darbar Rasiya ॥
मूळ रचना
वृंदावनी वेणु कवणाचा माये वाजे ।
वेणुनादें गोवर्धनु गाजे ॥

पुच्छ पसरूनि मयूर विराजे ।
मज पाहता भासती यादवराजे ॥

तृणचारा चरूं विसरली ।
गाई-व्याघ्र एके ठायीं जाली ।
पक्षीकुळें निवांत राहिलीं ।
वैरभाव समूळ विसरली ॥

यमुनाजळ स्थिर स्थिर वाहे ।
रविमंडळ चालतां स्तब्ध होय ।
शेष-कूर्म-वराह चकित राहे ।
बाळा स्तन देऊं विसरली माय ॥

ध्वनी मंजुळ मंजुळ उमटती ।
वांकी रुणझुण रुणझुण वाजती ।
देव विमानीं बैसोनि स्तुती गाती ।
भानुदासा फावली प्रेम-भक्ति ॥
- संत भानुदास
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अजितकुमार कडकडे

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