श्री राम धुन में मन तू, जब तक मगन ना होगा, भव जाल छूटने का, तब तक जतन ना होगा ॥
अब ना बानी तो फिर ना बनेगी, नर तन बार बार नहीं मिलता, हीरा सा जनम क्यों विरथा गवायों..
राम रस बरस्यो री, आज म्हारे आंगन में । जाग गये सब सोये सपने, सभी पराये हो गये अपने,
राम बिना नर ऐसे जैसे, अश्व लगाम बिना । जल जाये जिह्वा पापिनी..
अमृत को छोड़ कर, जहर काहे पीजे, राम नाम लीजे, और सदा मौज कीजे II
सियारानी का अचल सुहाग रहे। मैया रानी का अचल सुहाग रहे। राजा राम जी के सिर पर ताज रहे। जब तक पृथ्वी अहिषीश रहे...
बधैया बाजे आँगने में, बधैया बाजे आँगने मे II चंद्रमुखी मृगनयनी अवध की, तोड़त ताने रागने में, बधैया बाजे आँगने मे..