⚱️ घी संक्रांति - Ghee Sankranti

Ghee Sankranti Date: Friday, 16 August 2024

उत्तराखंड राज्य अपनी संस्कृति और परंपरा के लिए जाना जाता है। ऐसे पारंपरिक त्योहारों में घी संक्रांति प्रसिद्ध है। घी संक्रांति को क्षेत्रीय भाषा में घी त्यार, घ्यू त्यार, घु संक्रांति और ओल्गिया भी कहा जाता है। घी संक्रांति के दिन घी खाने का विशेष महत्व है।

घी संक्रांति कब और कैसे मनाई जाती है:
◉ घी संक्रांति पर्व भादो मास की प्रथम तिथि को मनाया जाता है।
◉ लोग कटोरी में घी भरकर पहले भोग लगाते हैं, फिर उसके उपरांत विभिन्न प्रकार के ब्यंजन बनाकर भोग चढ़ाते हैं।
◉ घी संक्रांति का पर्व उत्तराखंड राज्य मैं धूम धाम से मनाया जाता है।

घी संक्रांति पर्व से जुड़ी लोक मान्यताएं
◉ इस दिन बेदू रोटी / बेड़वा रोटी (उरद की दाल से भरी हुई रोटी) को मक्खन या घी के साथ खाने का रिवाज है।
◉ इस पर्व पर कृषक वर्ग सबसे पहले ग्राम देवता को गेबे (अरबी पत्ते), मक्का, दही, घी, मक्खन आदि का ओलग अर्पित करते हैं।
◉ पंडितों, पुजारियों और रिश्तेदारों को भी ओलाग दिया जाता है।

घी संक्रांति के बारे में अधिक जानकारी:
◉ मूल रूप से यह एक मौसमी त्योहार है। जिसे खेती से जुड़े किसानों और पशुपालकों द्वारा उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।
◉ इस दिन गांव के घरों की महिलाएं अपने बच्चों के सिर पर ताजा मक्खन मलती हैं। साथ ही उनकी लंबी उम्र की कामना करते हैं।
◉ गांव के किसान अपने खेतों में उगाए गए फल, सब्जियां और सब्जियां शाही दरबार में चढ़ाते थे। इसे ओलाग का रिवाज कहा जाता था।
◉ व्यक्ति का पारवारिक आधार चाहे जो भी हो इस दिन सभी के लिए घी अथवा मक्खन सिर पर मलना तथा खाना में इसका प्रयोग अवश्य ही किया जाता है।

◉ कुमाऊं मंडल में इस ऋतु उत्सव को 'ओलगिया' कहा जात है। इस त्यौहार पर उपहार दिए जाते हैं अतः विशेष भेंट को ओलग कहा जाता था। जो कि पुराने समय मे यहाँ के कृषकों के द्वारा अपने भूस्वामियों तथा शासन को यह उपहार दिए जाते थे। पुरातन लोक मान्यताओं के अनुसार इस दिन दामाद की ओर से भी अपने ससुरालियों को उपहार (ओलग) दिया जाता था।

त्योहार की वर्तमान परिस्थिति
जो लोग किसान नहीं थे अर्थात शिल्पकार लोग अपने स्थानीय स्वामियों तथा आश्रयदाताओं को अपने हाथ की बनी शिल्पीय वस्तुएं, यथा लोहार-दराती, कुदाल, दीपकदान, पिजरें आदि, दर्जी नमूनेदार टोपियां, बटुए, देवी देवताओं के कपड़े आदि तथा बढ़ई बच्चों के खेलने के लिए कड़कड़वा बाजा, डोली, लकड़ी की गुल्लख आदि लाकर भेंट करते थे। गृहशिल्पों के विलुप्त हो जाने तथा परम्परागत व्यवसायों की विमुखता के कारण 'ओलग' (भेंट) देने की परम्परा भी समाप्त हो सी ही गयी है।

किन्तु ग्रामीण समाज में 'घी संक्रान्ति' को मनाये जाने तथा सर्वप्रथम देवी-देवताओं तथा पूज्यजनों को भेंट करके ही गाबे खाने की परम्परा अभी भी जीवित है। पर नवीन शहरीकरण वाले चक्र में यह कब तक जीवित रह सकेगी यह कहना कठिन ही है।

संबंधित अन्य नामघी त्यार, घ्यू त्यार, घु संक्रांति, ओल्गिया, घी संक्रान्ति, घी त्यौहार, घ्यू सग्यान
कारणसिंह संक्रांति
Read in English - Ghee Sankranti
The state of Uttarakhand is known for its culture and tradition. Ghee Sankranti is also called Ghu Sankranti, Ghu Tyar, Ghiyu Sankrant and Olgia.

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
17 August 202517 August 202617 August 202716 August 2028
महीना
अगस्त
प्रकार
पहाड़ी त्योहार
कारण
सिंह संक्रांति
महत्वपूर्ण जगह
उत्तराखंड राज्य,
पिछले त्यौहार
17 August 2023, 17 August 2022

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Ghee Sankranti Wishes

Updated: Aug 17, 2023 12:56 PM

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