ऋषि पंचमी व्रत का महत्व हिन्दू धर्म में दोषों से मुक्त होने के लिए किया जाता हैं। यह एक त्यौहार नहीं अपितु एक व्रत हैं, इस व्रत में सप्त-ऋषियों की पूजा-अर्चना की जाती हैं। हिन्दू धर्म में माहवारी के समय, स्त्रियों द्वारा बहुत से नियम नियमों का पालन किया जाता हैं। अगर गलती वश इस समय में कोई चूक हो जाती हैं, तो महिलाओं को दोष मुक्त करने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है।
सप्त ऋषि ऋषियों के नाम क्रमश इस प्रकार हैं:
कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ
ऋषि पंचमी व्रत भाद्रपद माह की शुक्ल पंचमी के दिन किया जाता है। सामान्यतः यह व्रत अगस्त अथवा सितम्बर माह में आता है। यह व्रत गणेश चतुर्थी के अगले ही दिन अगस्त अथवा सितम्बर माह में होता है।
कश्यपोऽत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोऽथ गौतमः ।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः ॥
दहन्तु पापं मे सर्वं गृह्नणन्त्वर्घ्यं नमो नमः ॥
शुरुआत तिथि | भाद्रपद शुक्ला पञ्चमी |
कारण | दोष मुक्त करने के लिए |
उत्सव विधि | व्रत, पूजा, व्रत कथा, सप्त ऋषि की पूजा, भजन-कीर्तन |
Updated: Sep 19, 2023 15:58 PM