Download Bhakti Bharat APP
Sawan 2024 - Hanuman Chalisa - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Hanuman Chalisa -

ऋषि पंचमी व्रत कथा (Rishi Panchami Vrat Katha)


ऋषि पंचमी व्रत कथा
Add To Favorites Change Font Size
विदर्भ देश में उत्तंक नामक एक सदाचारी ब्राह्मण देव रहते थे। उनकी पत्नी बड़ी पतिव्रता थी, जिसका नाम सुशीला था। उन ब्राह्मण के एक पुत्र तथा एक पुत्री दो संतान थी। विवाह योग्य होने पर उन्होने समान कुलशील वर के साथ कन्या का विवाह कर दिया। दैवयोग से कुछ दिनों बाद वह विधवा हो गई। दुःखी ब्राह्मण दम्पति कन्या सहित गंगा तट पर कुटिया बनाकर रहने लगे।
एक दिन ब्राह्मण कन्या सो रही थी कि उसका शरीर कीड़ों से भर गया। कन्या ने सारी बात माँ से कही। माँ ने पति से सब कहते हुए पूछा: प्राणनाथ! मेरी साध्वी कन्या की यह गति होने का क्या कारण है?

उत्तंक जी ने समाधि द्वारा इस घटना का पता लगाकर बताया: पूर्व जन्म में भी यह कन्या ब्राह्मणी थी। इसने रजस्वला होते ही बर्तन छू दिए थे। इस जन्म में भी इसने लोगों की देखा-देखी भाद्रपद शुक्ल पंचमी अर्थात ऋषि पंचमी का व्रत नहीं किया। इसलिए इसके शरीर में कीड़े पड़े हैं।

धर्म-शास्त्रों की मान्यता है कि रजस्वला स्त्री पहले दिन चाण्डालिनी, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी तथा तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र होती है। वह चौथे दिन स्नान करके शुद्ध होती है। यदि यह शुद्ध मन से अब भी ऋषि पंचमी का व्रत करें तो इसके सारे दुःख दूर हो जाएंगे और अगले जन्म में अटल सौभाग्य प्राप्त करेगी।

पिता की आज्ञा से पुत्री ने विधिपूर्वक ऋषि पंचमी का व्रत एवं पूजन किया। व्रत के प्रभाव से वह सारे दुःखों से मुक्त हो गई। अगले जन्म में उसे अटल सौभाग्य सहित अक्षय सुखों का भोग मिला।
यह भी जानें

Katha Rishi Panchami KathaVrat KathaPanchami KathaBhadrapad Panchami Katha

अगर आपको यह कथाएँ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस कथाएँ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

श्री पूर्णत्रयेसा मंदिर पौराणिक कथा

भगवन विष्णु के श्री पूर्णत्रयेसा मंदिर की उत्पत्ति पौराणिक कथा | एक बार की बात है, द्वापर युग में, एक ब्राह्मण की पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया। दुर्भाग्य से, जन्म लेने और जमीन को छूने के तुरंत बाद, बच्चे की तुरंत मृत्यु हो गई।

शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा

संतोषी माता व्रत कथा | सातवें बेटे का परदेश जाना | परदेश मे नौकरी | पति की अनुपस्थिति में अत्याचार | संतोषी माता का व्रत | संतोषी माता व्रत विधि | माँ संतोषी का दर्शन | शुक्रवार व्रत में भूल | माँ संतोषी से माँगी माफी | शुक्रवार व्रत का उद्यापन

हिरण्यगर्भ दूधेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा!

पुराणों में हरनंदी के निकट हिरण्यगर्भ ज्योतिर्लिंग का वर्णन मिलता है। हरनंदी,हरनद अथवा हिरण्यदा ब्रह्मा जी की पुत्री है...

अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा | बृहस्पतिदेव की कथा

भारतवर्ष में एक राजा राज्य करता था वह बड़ा प्रतापी और दानी था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्‌मणों...

श्रावण संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। श्रावण के कृष्ण चतुर्थी की रात्रि में चंद्रोदय होने पर पूजन करना चाहिए।

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा

कोटि रुद्र संहिता के अनुसार कथा | कोटि रुद्र संहिता के अनुसार कथा | बैजू नामक चरवाहे की कथा | रावणोश्वर बैद्यनाथ कथा

श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा

दारूका नाम की एक प्रसिद्ध राक्षसी थी, जो पार्वती जी से वरदान प्राप्त कर अहंकार में चूर रहती थी। उसका पति दरुका महान् बलशाली राक्षस था।...

Hanuman Chalisa -
Hanuman Chalisa -
×
Bhakti Bharat APP