श्री सौंस्थान गोकर्ण पर्तगली जीवोत्तम मठ, सबसे प्राचीन और सर्वाधिक प्रतिष्ठित सारस्वत ब्राह्मण मठों में से एक है। दक्षिण गोवा में कुशावती नदी के तट पर, शांत पर्तगली गाँव में स्थित, यह मठ गौड़ सारस्वत ब्राह्मण (जीएसबी) समुदाय से संबंधित गोकर्ण-पर्तगली संप्रदाय का आध्यात्मिक केंद्र है।
श्री सौंस्थान गोकर्ण पर्तगली जीवोत्तम मठ का इतिहास और वास्तुकला
❀ 14वीं शताब्दी में स्थापित, इस मठ की एक सतत गुरु परंपरा है, जिसके वर्तमान प्रमुख परम पूज्य श्रीमद् विद्याधिराज तीर्थ स्वामीजी हैं ।
❀ यह मठ प्राचीन पांडुलिपियों, वैदिक अध्ययन और जीएसबी सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण के लिए जाना जाता है।
❀ प्राचीन पीपल वृक्ष (अध्यात्म वट वृक्ष) - 500 वर्ष से अधिक पुराना, तपस्या और दिव्य उपस्थिति का प्रतीक।
❀ सुंदर मंदिर, शांत वातावरण और पारंपरिक कोंकणी वास्तुकला हजारों भक्तों को आकर्षित करती है।
❀ मठ श्री माधवाचार्य द्वारा स्थापित द्वैत वेदांत की परंपराओं का पालन करता है।
❀ संरक्षक श्री राम, श्री विट्ठल, श्री लक्ष्मी नारायण, श्री रघुपति और गुरु परम्परा की पूजा करते हैं।
❀ भक्त इस मठ को वैदिक शिक्षा, धर्म, सेवा और भक्ति का केंद्र मानते हैं।
श्री सौंस्थान गोकर्ण पर्तगली जीवोत्तम मठ, गोवा का दर्शन समय
भक्तिभारत के अनुसार यह मठ पूरे सप्ताह खुला रहता है और दर्शन का समय सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक है।
श्री सौंस्थान गोकर्ण पर्तगली जीवोत्तम मठ, गोवा के प्रमुख त्यौहार
मंदिर में सभी त्यौहार मनाए जाते हैं, लेकिन राम रथोत्सव, चातुर्मास्य, पट्टाभिषेक और गुरु पूर्णिमा प्रमुख त्यौहार हैं जिन्हें भव्यता के साथ मनाया जाता है।
श्री सौंस्थान गोकर्ण पर्तगली जीवोत्तम मठ, गोवा कैसे पहुँचें
श्री सौंस्थान गोकर्ण पर्तगली जीवोत्तम मठ, राष्ट्रीय राजमार्ग 66 द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है; मडगांव और कारवार से बसें और टैक्सियाँ नियमित रूप से चलती हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन कैनाकोना/मडगांव है और निकटतम हवाई अड्डा गोवा का डाबोलिम हवाई अड्डा है।
प्रचलित नाम: श्री सौंस्थान गोकर्ण पर्तगली जीवोत्तम मठ