श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर, भगवान विठ्ठल (विठोबा) और देवी रुक्मिणी को समर्पित एक पवित्र मंदिर है, जो भगवान कृष्ण/विष्णु और उनकी पत्नी के पूजनीय स्वरूप हैं। यह सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर महाराष्ट्र के पंढरपुर में चंद्रभागा नदी के पावन तट पर स्थित है। यह वारकरी संप्रदाय का प्रमुख तीर्थस्थल है।
विठोबा मंदिर का इतिहास और वास्तुकला
विठोबा की मूर्ति एक चौकोर चट्टान पर स्थापित है, और उनकी पत्नी, रखुमाई (रुक्मिणी), उनके बाईं ओर स्थित हैं। श्री विठ्ठल को ईश्वरीय करुणा और वारकरी परंपरा का प्रतीक है और माता रुक्मिणी को भक्ति, पवित्रता और शक्ति की प्रतिमूर्ति के रूप में पूजा जाता है। मंदिर का निर्माण 17वीं शताब्दी या उसके बाद का है।
यह मंदिर संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम, संत नामदेव, संत एकनाथ और कई अन्य महान भक्ति संतों से जुड़ा है। इसे महाराष्ट्र का आध्यात्मिक हृदय माना जाता है, जहाँ प्रतिवर्ष लाखों भक्त एकत्रित होते हैं। दीपस्तंभों और ऐतिहासिक शिलालेखों से युक्त विशाल मंदिर परिसर है।
यह मंदिर शुद्ध भक्ति, विनम्रता और भगवान व भक्त के बीच के रिश्ते का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि \"पांडुरंग\" या \"विट्ठल\" अपने भक्तों की प्रेमपूर्वक प्रतीक्षा करते हैं, जिससे पंढरपुर निःशर्त दिव्य कृपा का स्थान बन जाता है।
विठोबा मंदिर का दर्शन समय
विठोबा मंदिर पूरे सप्ताह खुला रहता है और दर्शन का समय सुबह 4 बजे से रात 11 बजे तक है।
विठोबा मंदिर के प्रमुख त्यौहार
विठोबा मंदिर में वारकरी संप्रदाय का प्रमुख त्यौहार एकादशी है। आषाढ़ी एकादशी और कार्तिकी एकादशी सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है। मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी भी भव्य रूप से मनाई जाती है।
विठोबा मंदिर कैसे पहुँचें
विठोबा मंदिर महाराष्ट्र के सोलापुर में मंगलवार पेठ, क्षत्रिय गली के पास स्थित है। यह मंदिर शहर के मध्य में स्थित है, और आप राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) से मोहोल और फिर राज्य राजमार्ग (SH) से पंढरपुर तक कार से पहुँच सकते हैं, या सार्वजनिक परिवहन द्वारा, जिसका निकटतम रेलवे स्टेशन पंढरपुर में और एक प्रमुख रेलवे स्टेशन सोलापुर में है।
प्रचलित नाम: श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर सोलापुर
बुनियादी सेवाएं
पेयजल, प्रसाद, सीसीटीवी सुरक्षा, जूता स्टोर, पार्किंग स्थल