Updated: Nov 10, 2019 01:21 AM बारें में | संबंधित जानकारियाँ | यह भी जानें
वैकुण्ठ चतुर्दशी को हरिहर का मिलन कहा जाता हैं अर्थात भगवान शिव और विष्णु का मिलन। विष्णु एवं शिव के उपासक इस दिन को बहुत उत्साह से मनाते हैं। दिवाली त्यौहार की तरह भगवान शिव और विष्णु का मिलन का उत्साह से मनाया जाता हैं। खासतौर पर यह उज्जैन, वाराणसी में मनाई जाती हैं। इस दिन उज्जैन में भव्य आयोजन किया जाता हैं। शहर के बीच से भगवान की सवारी निकलती हैं, जो महाकालेश्वर मंदिर तक जाती हैं। इस दिन उज्जैन में उत्सव का माहौल चारो और रहता हैं।
वैकुण्ठ चतुर्दशी कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन पहले मनाया जाता है। एक ऐसा त्यौहार है जहाँ भक्त भगवान शिव एवं विष्णु दोनों को उसी दिन एक साथ पूजा करते है। यही वह दिन है जब भगवान विष्णु को वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर में विशेष सम्मान दिया जाता है, तथा मंदिर वैकुण्ठ धाम की तरह सजाया जाता है। भगवान विष्णु, भगवान शिव को तुलसी पत्तियां प्रदान करते हैं और भगवान शिव बदले में भगवान विष्णु को बेलपत्र देते हैं।
वैकुण्ठ चतुर्दशी महाराष्ट्र में मराठियों द्वारा भी बड़ी धूम धाम से मनाते है. महाराष्ट्र में वैकुण्ठ चतुर्दशी की शुरुवात शिवाजी महाराज और उनकी माता जिजाबाई ने की थी।