Shri Hanuman Bhajan
Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp ChannelDownload APP Now - Download APP NowDurga Chalisa - Durga ChalisaRam Bhajan - Ram Bhajan

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: प्रथम पद (Shri Ramcharitmanas Sundar Kand Pad 1)


Add To Favorites Change Font Size
चौपाई:
जामवंत के बचन सुहाए ।
सुनि हनुमंत हृदय अति भाए ॥
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई ।
सहि दुख कंद मूल फल खाई ॥1॥
जब लगि आवौं सीतहि देखी ।
होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी ॥
यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा ।
चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा ॥2॥

सिंधु तीर एक भूधर सुंदर ।
कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर ॥
बार-बार रघुबीर सँभारी ।
तरकेउ पवनतनय बल भारी ॥3॥

जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता ।
चलेउ सो गा पाताल तुरंता ॥
जिमि अमोघ रघुपति कर बाना ।
एही भाँति चलेउ हनुमाना ॥4॥

जलनिधि रघुपति दूत बिचारी ।
तैं मैनाक होहि श्रम हारी ॥5॥

दोहा:
हनूमान तेहि परसा कर
पुनि कीन्ह प्रनाम ।
राम काजु कीन्हें बिनु
मोहि कहाँ बिश्राम ॥1॥
यह भी जानें
अर्थात

जाम्बवान्‌ के सुंदर वचन सुनकर हनुमान्‌ जी के हृदय को बहुत ही भाए। (वे बोले-) हे भाई! तुम लोग दुःख सहकर, कन्द, मूल, फल खाकर तब तक मेरी राह देखना॥1॥

जब तक मैं सीताजी को देखकर (लौट) न आऊँ। काम अवश्य होगा, क्योंकि मुझे बहुत ही हर्ष हो रहा है। यह कहकर और सबको मस्तक नवाकर तथा हृदय में श्री रघुनाथ जी को धारण करके हनुमान्‌ जी हर्षित होकर चले॥2॥

समुद्र के तीर पर एक सुंदर पर्वत था। हनुमान्‌ जी खेल से ही (अनायास ही) कूदकर उसके ऊपर जा चढ़े और बार-बार श्री रघुवीर का स्मरण करके अत्यंत बलवान्‌ हनुमान्‌ जी उस पर से बड़े वेग से उछले॥3॥

जिस पर्वत पर हनुमान्‌ जी पैर रखकर चले (जिस पर से वे उछले), वह तुरंत ही पाताल में धँस गया। जैसे श्री रघुनाथ जी का अमोघ बाण चलता है, उसी तरह हनुमान्‌ जी चले॥4॥

समुद्र ने उन्हें श्री रघुनाथ जी का दूत समझकर मैनाक पर्वत से कहा कि हे मैनाक! तू इनकी थकावट दूर करने वाला हो (अर्थात्‌ अपने ऊपर इन्हें विश्राम दे)॥5॥

हनुमान्‌ जी ने उसे हाथ से छू दिया, फिर प्रणाम करके कहा- भाई! श्री रामचंद्र जी का काम किए बिना मुझे विश्राम कहाँ?॥1॥

Granth Ramcharitmanas GranthSundar Kand Granth

अन्य प्रसिद्ध श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: प्रथम पद वीडियो

अगर आपको यह ग्रंथ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस ग्रंथ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

विनय पत्रिका

गोस्वामी तुलसीदास कृत विनयपत्रिका ब्रज भाषा में रचित है। विनय पत्रिका में विनय के पद है। विनयपत्रिका का एक नाम राम विनयावली भी है।

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 41

बुध पुरान श्रुति संमत बानी । कही बिभीषन नीति बखानी ॥ सुनत दसानन उठा रिसाई ।..

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 44

कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू । आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू ॥ सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं ।..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Durga Chalisa - Durga Chalisa
×
Bhakti Bharat APP