
श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर बिरला श्रृंखला का सबसे प्रथम मंदिर है, अतः इसे बिरला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भारत की स्वतंत्रता से पहले दिल्ली का नवनिर्मित पहला सबसे बड़ा हिंदू मंदिर था। मंदिर का निर्माण कार्य सन् 1933 से प्रारंभ होकर सन् 1939 तक हुआ, मंदिर का उद्घाटन राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी द्वारा किया गया था।
बिरला मंदिर 30,000 M2 विस्तरित क्षेत्र मे फैला हुआ है, जिसमे से 2,100 M2 क्षेत्र का उपयोग मंदिर निर्माण के लिए किया गया है। आज भी इस मंदिर की गिनती दिल्ली के कुछ चुनिंदा बड़े हिंदू मंदिरों मे की जाती है।
मंदिर के गर्भ-ग्रह में भगवान श्री लक्ष्मीनारायण के साथ माँ भगवती तथा श्री गौरी-शंकर भी विराजमान हैं। मुख्य प्रार्थना स्थल के सामने श्री गणेश, गीता स्तंभ तथा श्री बजरंगबली उपस्थित है। गीता भवन के विशाल सभागार को पार करते ही भगवान श्री योगेश्वर एवं श्री राम परिवार के दर्शन किए जा सकते हैं। गीता भवन की सबसे अभूतपूर्व सुंदरता, प्रतिबिम्ब में शोभायमान अनंत रूप मुरली मनोहर श्री कृष्ण के असंख्य प्रतिरूप हैं।
मंदिर के साथ विकसित हुआ विशाल उद्यान बच्चों की उत्सुकता को अत्यधिक बढ़ाने वाला स्थान है। यहाँ बने पानी के फ़ुब्बारे, चीता, भालू, गेंडा, मगरमच्छ, ऊंट तथा अन्य जीव-जन्तु की प्रतिमाए बच्चों के मान को और भी अधिक मोहित करते हैं। मंदिर के इस उद्यान में एक क्रत्रिम गुफा भी देखी जा सकती है। गुफा के ही पास राक्षस के विशाल मुंह से प्रवेश करते हुए एक शिव मंदिर की स्थापना भी की गई है।

Temple full front view

Vedshal with green view

Four sided elephant fountain

Geeta bhavan from the back side

Shiv mandir with large demon face as entry gate

Shri Krishna kaliya naag leela as a fountain

All three viman from garden side

Seational water cannel between temple and garden

A full horizontal view from garden side

Artificial cave, now its close

Activity area for different festivals

Shiv dham with two sided entry, first entry gate

One of the entry for man made guff, loin face entry

A beautiful view of Maa Ganga with crocodiles as the of fountain

A symmetrical view of back side balcony

White Shri Gita updesh rath of Shri Krishna

One more three shikhar view from garden area

One view of temple dharmshala
1933
मंदिर का निर्माण कार्य।
1939
मंदिर का उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था।

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