Download Bhakti Bharat APP
Hanuman Chalisa - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Hanuman Chalisa - Shiv Chalisa -

श्री गुरु रविदास जन्मस्थल - Sri Guru Ravidas Janmasthal

मुख्य आकर्षण - Key Highlights

◉ श्री गुरु रविदास जन्मस्थान मंदिर दलितों, रविदासियों और रामदासिया सिखों के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक स्थल है।
◉ मंदिर में हर साल रविदास जयंती मनाई जाती है, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं।
◉ मंदिर में 130 किलो वजनी सोने की पालकी, 35 किलो वजनी सोने का दीपक, 35 किलो वजनी सोने का छत्र और 32 सोने के कलश हैं।

श्री गुरु रविदास जन्म स्थान मंदिर, सीर गोवर्धनपुर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित है। श्री गुरु रविदास जन्म स्थान मंदिर, दलितों, रविदासियों और रामदासिया सिखों के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक स्थल है। इसे गुरु रविदास के जन्मस्थान पर बना मंदिर है। हर साल संत रविदास जी के जन्मदिन पर लाखों भक्त यहाँ इकट्ठा होते हैं।

श्री गुरु रविदास जन्मस्थल मंदिर का इतिहास और वास्तुकला
1960 के दशक के मध्य में, डेरा बल्लान के नेताओं ने रविदास के जन्मस्थान पर तीर्थस्थल बनाने का प्रयास शुरू किया। 1972 में पूज्य जन्मस्थली पर एक छोटा मंदिर बना कर शुरुआत की गई। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के संस्थापक कांशी राम ने समारोहपूर्वक मंदिर का स्वर्ण गुंबद स्थापित किया।

संत रविदास मंदिर चमकदार सफेद रंग का निर्मित है। मंदिर में कई बहुमूल्य बस्तुएं सोने से बनी हुई हैं, जिनमें संत रविदास की पालकी भी शामिल है। पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश के अलावा, दुनिया भर से अनुयायियों ने संत के मंदिर के शीर्ष को सोने में बदलने के लिए धन का दान किया है। दान में 130 किलोग्राम वजन की एक सोने की पालकी, 35 किलोग्राम वजन का एक सोने का दीपक, 35 किलोग्राम वजन का एक सोने का छत्र और 32 सोने के कलश शामिल है।

श्री गुरु रविदास जन्मस्थल मंदिर दर्शन का समय
मंदिर पूरे सप्ताह खुला रहता है और भक्त सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक मंदिर में दर्शन कर सकते हैं। इस मंदिर में लंगर हर समय खुला रहता है।

श्री गुरु रविदास जन्मस्थल मंदिर में प्रमुख उत्सव
मंदिर में हर साल रविदास जयंती बड़ी ही धूम-धाम से मनाई जाती है, जिसमें भारत के सहित विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। उत्सव में संगीतमय प्रार्थनाएं एवं कीर्तनो का आयोजन किया जाता है। श्री गुरु रविदास जन्म स्थान दलितों के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक स्थल है। यह रविदासियों और रामदासिया सिखों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल है।

श्री गुरु रविदास जन्मस्थल मंदिर तक कैसे पहुंचें?
श्री गुरु रविदास जन्म स्थान मंदिर सीर गोवर्धनपुर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यहाँ परिवहन के विभिन्न साधनों से पहुँचा जा सकता है। यह स्थान अन्य शहरों से सड़क, रेलवे दोनों माध्यमों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसलिए कोई भी श्री गुरु रविदास जन्म स्थान मंदिर तक आसानी से पहुँच सकता है।

प्रचलित नाम: गुरु रविदास जन्मस्थल, गुरु रविदास

समय - Timings

दर्शन समय
6 AM - 9 PM
त्योहार
Ravidas Jayanti | यह भी जानें: एकादशी

Sri Guru Ravidas Janmasthal in English

Sri Guru Ravidas Janmasthan Mandir is located at Seer Govardhanpur, Varanasi, Uttar Pradesh.

फोटो प्रदर्शनी - Photo Gallery

Photo in Full View
Temple Shikhar

Temple Shikhar

Pravesh Dwar and Garbh Grih

Pravesh Dwar and Garbh Grih

जानकारियां - Information

धर्मार्थ सेवाएं
शयनगृह, कपड़द्वार, विश्राम कक्ष, रेस्तरां, प्रतीक्षा क्षेत्रों में बैठने की व्यवस्था, व्हीलचेयर, सहायता डेस्क
समर्पित
Sri Guru Ravidas
नि:शुल्क प्रवेश
हाँ जी

क्रमवद्ध - Timeline

6 AM - 9 PM

कैसे पहुचें - How To Reach

पता 📧
Sant Ravidas Temple Rd, opp. Laxmi Electronic, Sear Govardhan Dafi Varanasi Uttar Pradesh
सोशल मीडिया
निर्देशांक 🌐
25.2565363°N, 82.9987002°E
श्री गुरु रविदास जन्मस्थल गूगल के मानचित्र पर
http://www.bhaktibharat.com/mandir/guru-ravidas-janmasthal

अगला मंदिर दर्शन - Next Darshan

अपने विचार यहाँ लिखें - Write Your Comment

अगर आपको यह मंदिर पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस मंदिर को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

शिव आरती - ॐ जय शिव ओंकारा

जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥

श्री राम स्तुति

Ram Stuti Lyrics in Hindi and English - श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं। नव कंज लोचन कंज मुख...

हनुमान आरती

मनोजवं मारुत तुल्यवेगं, जितेन्द्रियं,बुद्धिमतां वरिष्ठम्॥ आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥..

×
Bhakti Bharat APP