कांची कामाक्षी मंदिर दक्षिण भारत के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है, जो देवी पार्वती के अवतार देवी कामाक्षी को समर्पित है। इस मंदिर को कांची कामाक्षी अम्मन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह तमिलनाडु के पवित्र शहर कांचीपुरम में स्थित है - सात मोक्ष-पुरियों (मुक्ति प्रदान करने वाले पवित्र शहर) में से एक। इस मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जहां माना जाता है कि देवी सती की नाभि गिरी थी। कामाक्षी अम्मन शक्ति (दिव्य स्त्री शक्ति) का प्रतिनिधित्व करती है।
कांची कामाक्षी मंदिर का इतिहास और वास्तुकला
देवी कामाक्षी की मुख्य मूर्ति पद्मासन (कमल की स्थिति) मुद्रा में दिखाई देती है - जो शांति और समृद्धि का प्रतीक है। वह एक गन्ना धनुष, पुष्प बाण, एक फंदा (पाशा), और एक अंकुश रखती है। मंदिर का निर्माण पल्लव राजाओं द्वारा (लगभग छठी शताब्दी ई.पू.) द्वारा द्रविड़ शैली में किया गया था।
श्री चक्र (मेरु) देवी के सामने स्थापित है — देवी की ऊर्जा का एक शक्तिशाली ज्यामितीय प्रतिनिधित्व करती है। कामाक्षी नाम का अर्थ है \"वह जिसकी आँखें इच्छा और करुणा जगाती हैं\" — काम (इच्छा) + अक्षि (आँखें)।
मंदिर परिसर में चार प्रवेश द्वार, गर्भगृह के ऊपर स्वर्ण-मंडित विमान (टॉवर) और विशाल मंदिर कुंड (पुष्करिणी) हैं। गर्भगृह हमेशा शांत रहता है, चंदन और कपूर की सुगंध से भरा रहता है। पास ही आदि शंकराचार्य के मंदिर हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने यहाँ श्री चक्र की स्थापना की थी।
कामाक्षी की कथा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति, धैर्य और प्रेम कठोरतम हृदय को भी पिघला सकते हैं - और ईश्वरीय कृपा उन लोगों को प्राप्त होती है जो कठिनाइयों के बावजूद भी अपने विश्वास में दृढ़ रहते हैं।
यह भारत के तीन प्रमुख शक्ति केंद्रों में से एक है:
❀ मदुरै - मीनाक्षी
❀ कांची - कामाक्षी
❀ काशी (वाराणसी) - विशालाक्षी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने कांचीपुरम में एक आम के पेड़ के नीचे, ज़मीन पर बने एक श्री चक्र पर तपस्या की थी। भगवान शिव उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर एकम्बरेश्वर के रूप में प्रकट हुए और उनसे विवाह किया - जो शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है।
आदि शंकराचार्य से संबंध
बाद के समय में, महान संत-दार्शनिक आदि शंकराचार्य ने कामाक्षी मंदिर का दौरा किया और देवी की उग्र ऊर्जा को स्थिर करने के लिए उनके समक्ष एक श्री चक्र (मेरु रूप) स्थापित किया - जिससे वे ललिता त्रिपुरसुंदरी के रूप में अपने वर्तमान सौम्य (शांत) रूप में प्रकट हुईं।
कांची कामाक्षी मंदिर का दर्शन समय
मंदिर पूरे सप्ताह खुला रहता है और दर्शन का समय: सुबह 5:30 बजे से दोपहर 12:15 बजे तक और शाम 4:00 बजे से रात 8:15 बजे तक। मंदिर दर्शन का सर्वोत्तम समय: फरवरी-मार्च (पंगुनी उत्सव के दौरान) या नवरात्रि है।
कांची कामाक्षी मंदिर के प्रमुख त्यौहार
नवरात्रि (दशहरा) - नौ दिनों तक चलने वाला सबसे भव्य त्यौहार है। आदि उत्सव और पंगुनी उथिरम - विशेष जुलूस और अनुष्ठान मनाया जाता है। वार्षिक रथ उत्सव (थेर तिरुविझा) - देवी को कांचीपुरम की सड़कों पर एक सुंदर सुसज्जित रथ पर ले जाया जाता है।
कांची कामाक्षी मंदिर कैसे पहुँचें
कांची कामाक्षी अम्मन मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है। कांचीपुरम चेन्नई से 75 किमी दूर है। यह स्थान सड़क मार्ग से बहुत अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। कांचीपुरम रेलवे स्टेशन 850 मीटर की दूरी पर स्थित है, जहाँ से मंदिर पहुँचने में मुश्किल से तीन मिनट लगते हैं।
ध्यान देने योग्य बातें:
❀ जब आप कांची कामाक्षी जाने की योजना बना रहे हों, तो एकम्बरेश्वर मंदिर कांचीपुरम और ववरदराज पेरुमल मंदिर भी अवश्य जाएँ।
❀ कांचीपुरम तमिलनाडु की प्रतिष्ठित कांजीवरम साड़ी के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर दर्शन के बाद आप खरीदारी के लिए जा सकते हैं। स्वादिष्ट कांचीपुरम इडली का स्वाद लेना न भूलें।
5:30 AM - 8:30 PM
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