आशुतोष शशाँक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू..
गौरा ढूंढ रही पर्वत पर, शिव को पति बनाने को, पति बनाने को, भोले को,..
पार्वती तेरा भोला, जगत में सबसे निराला है । जो मै होती गंगा जैसी..
नगर मे जोगी आया, भेद कोई समझ ना पाया, अजब है तेरी माया, इसे कोई समझ ना पाया, यशोदा के घर आया...
भोले डमरू वाले तेरा, सच्चा दरबार है, तेरी जय जयकार भोले, तेरी जय जयकार है ॥