Shri Krishna Bhajan

मैं मरूंगा ही नहीं तो चूड़ियां फोड़ेगी कैसे - सत्य कथा (Main Marunga Hi Nahi, To Chudiyan Fodegi Kaise)


Add To Favorites Change Font Size
शारदा उनकी पत्नी रोने लगी तो रामकृष्ण ने आंखें खोलीं और कहा, कि चुप, किसलिए रोती है?
मैं न कहीं गया, न कहीं आया, मैं जहां हूं वहीं रहूंगा। तो शारदा ने पूछा, तुम्हारी देह के चले जाने के बाद मेरी चूड़ियों का क्या करना?
ठीक बात पूछी- विधवा हो जाएगी तो चूड़ियां तो फोड़नी पड़ेगी।
रामकृष्ण ने कहा, कि मैं मरूंगा ही नहीं तो चूड़ियां फोड़ेगी कैसे! तू सधवा है और सधवा रहेगी।
सिर्फ भारत में एक ही विधवा हुई जिसने चूड़ियां नहीं फोडी, शारदा ने।
फोड़ने का कोई कारण ही न रहा। रामकृष्ण सबके लिए मर गए, शारदा के लिए नहीं मरे। शारदा का भाव ऐसा था रामकृष्ण के प्रति, कि रामकृष्ण की प्रतीति उस भाव में उसकी भी प्रतीति हो गयी। उसे भी दिख गया कि बात तो सच है, देह जाती है, देह से तो लेना-देना भी क्या था-देह के भीतर जो ज्योतिर्मय विराजमान था वह तो रहेगा, वह कैसे जाएगा !

मृत्यु का सत्य जीवन है। ध्यान में किसी दिन मृत्यु घट जाती है। जिस दिन ध्यान में मृत्यु घट जाती है, उस दिन ध्यान का नाम समाधि।
इसीलिए समाधि शब्द हम दोनों के लिए उपयोग करते है-जब कोई मर जाता है तो कहते हैं समाधि ले ली, संत की अचेतन शरीर को हम समाधि कहते हैं, और ध्यान की परम अवस्था को भी समाधि कहते हैं। क्यों?
क्योंकि दोनों में मृत्यु घटती है। ध्यान की परम अवस्था में तुम्हें दिखायी पड़ जाता है, मरणधर्मा क्या है और अ-मरणधर्मा क्या है।
मृत और अमृत अलग-अलग हो जाते हैं। दूध और पानी अलग- अलग हो जाते हैं।

इस दूध और पानी को अलग-अलग कर लेने वालों को हमने परमहंस कहा है। क्योंकि परमहंस का अर्थ होता है, वह जो दूध और पानी अलग-अलग कर ले। हंस के साथ कवियों ने यह भाव जोड़ दिया है कि हंस की यह क्षमता होती है कि दूध-पानी मिलाकर रख दो, तो वह दूध पी लेगा और पानी छोड़ देगा। ऐसे ही मिले हैं देह और चैतन्य; मिट्टी और आकाश का ऐसा ही मिलन हुआ है। तुम बने हो मिट्टी और आकाश के मेल से।

जिस दिन तुम्हारे भीतर परमहंस भाव पैदा होगा, ध्यान की उत्कृष्टता होगी, ध्यान की प्रखर धार काट देगी दोनों को अलग-अलग मिट्टी इस तरफ पड़ी रह जाएगी, अमृत उस तरफ हो जाएगा, उस दिन तुम जानोगे कि मृत्यु का सत्य जीवन है।

मृत्यु को जानकर ही असली उत्सव शुरू होगा फिर। फिर तुम नाचो। फिर नाचने के अतिरिक्त बचा ही क्या? फिर और करोगे क्या? मरना तो है नहीं। और जब मृत्यु ही न रही, तो फिर कैसा दुख! कैसा विषाद! कैसी चिंता!
फिर नृत्य में एक अभिनव गुण आ जाता है। फिर नृत्य तुम्हारा नहीं होता, परमात्मा का हो जाता है। फिर तुम नहीं नाचते, परमात्मा तुम्हारे भीतर नाचता है
यह भी जानें

Prerak-kahani Maa Sharda Prerak-kahaniRam Krishna Param Hansh Prerak-kahaniParam Hansh Prerak-kahaniRam Krishna Mission Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

बुढ़िया माई को मुक्ति दी - तुलसी माता की कहानी

कार्तिक महीने में एक बुढ़िया माई तुलसीजी को सींचती और कहती कि: हे तुलसी माता! सत की दाता मैं तेरा बिडला सीचती हूँ..

भरे हुए में राम को स्थान कहाँ? - प्रेरक कहानी

लोभ, लालच, ईर्ष्या, द्वेष और भली-बुरी बातों से जब दिल-दिमाग भरा रहेगा तो उसमें ईश्वर का वास कैसे होगा?

मानव सेवा में गोल्ड मेडेलिस्ट - प्रेरक कहानी

वासु भाई और वीणा बेन गुजरात के एक शहर में रहते हैं। आज दोनों यात्रा की तैयारी कर रहे थे।..

तोटकाचार्य कैसे बने शंकराचार्य के प्रिय शिष्य - सत्य कथा

वहाँ अवाक् बैठे सभी शिष्य तब और ज्यादा अवाक् हो गए जब उन्होंने देखा कि गुरु शंकराचार्य ने गिरी को आदेश देते हुए कहा कि आज उनकी जगह पर गिरी ब्रह्मसूत्र पर शंकराचार्य के मन्तव्य को समझाएंगे।

क्या भोग लगाना पाखंड है? - प्रेरक कहानी

1) उसमें से भगवान क्या खाते हैं? 2) क्या पीते हैं? 3) क्या हमारे चढ़ाए हुए पदार्थ के रुप रंग स्वाद या मात्रा में कोई परिवर्तन होता है?

श्री गणेश एवं बुढ़िया माई की कहानी

एक बुढ़िया माई थी। मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। रोज बनाए रोज गल जाए। एक सेठ का मकान बन रहा था..

भक्तमाल सुमेरु तुलसीदास जी - सत्य कथा

भक्तमाल सुमेरु श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज| वृंदावन में भंडारा | संत चरण रज ही नहीं अपितु पवित्र व्रजरज इस जूती पर लगी है | हां ! संत समाज में दास को इसी नाम से जाना जाता है..

Aditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya Stotra
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP