🔱दत्त जयन्ती - Datta Jayanti
Datta Jayanti Date: Thursday, 4 December 2025
भारत के राज्य महाराष्ट्र मे हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा को दत्त जयंती, देव दत्तात्रेय के अवतरण / जन्म दिवस के रूप मे बड़ी ही धूम-धाम से मनायी जाती है। भगवान दत्तात्रेय एक समधर्मी देवता है और उन्हें त्रिमूर्ति अथार्त ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश का अवतार माना जाता है।
दत्तात्रेय शीघ्र कृपा करने वाले, भक्त वत्सल, भक्त के स्मरण करते ही उन पर प्रशन्न हो जाते हैं। इसीलिए इन्हें स्मृतिगामी तथा स्मृतिमात्रानुगन्ता भी कहा जाता है। दक्षिण भारत में प्रसिद्ध दत्त संप्रदाय, भगवान दत्तजी को ही अपना प्रमुख आराध्य मानता है।
दत्तात्रेय ऋषि अत्रि और उनकी पत्नी अनसूया के पुत्र थे। देवी अनसूया को पतिव्रता स्त्रियों मे सबसे श्रेष्ठ माना गया है। वनवास के समय माता सीता ने भी देवी अनसूया का आशीर्वाद ग्रहण किया तथा पतिव्रता धर्म के बारे मे शिक्षा प्राप्त की थी। दत्तात्रेय जन्म कथा विस्तार से जानिए!
संबंधित अन्य नाम | दत्तात्रेय जयन्ती |
शुरुआत तिथि | मार्गशीर्ष शुक्ला पूर्णिमा |
कारण | दत्तात्रेय के अवतरण दिन |
उत्सव विधि | व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन |
The full moon of the month of Margashirsha is celebrated as Datta Jayanti, the birthday of Dev Dattatreya.
दत्त जयन्ती कब है? | Datta Jayanti Kab Hai?
दत्त जयन्ती 2025 - बृहस्पतिवार, 4 दिसम्बर 2025 [दिल्ली]
पूर्णिमा तिथि : 4 दिसम्बर 2025 8:37AM - 5 दिसम्बर 2025 4:43AM
दत्त जयंती पूजा विधि
❀ दत्त जयंती के दिन भक्त जल्दी उठते हैं, पवित्र जल में स्नान करते हैं और दिन भर उपवास रखते हैं।
❀ भगवान दत्तात्रेय के तीन सिर और छह भुजाएं हैं। दत्तात्रेय जयंती पर उनके बाल स्वरूप की पूजा की जाती है।
❀ पूजा समारोह के दौरान विशिष्ट फूल, अगरबत्ती, दीपक और मिठाइयाँ अर्पित की जाती हैं।
❀ पूजा के दौरान देवता की मूर्ति या तस्वीर पर चंदन सिन्दूर और हल्दी लगानी चाहिए।
❀ यह भी महत्वपूर्ण है कि पूजा शुरू होने के बाद, भक्तों को भगवान दत्त की मूर्ति के चारों ओर सात चक्कर लगाने चाहिए और पूजा में सभी को प्रसाद और आरती वितरित करनी चाहिए।
❀ भगवान दत्तात्रेय के मंदिर इस दिन उत्सव का केंद्र होते हैं। मंदिरों को सजाया जाता है। कुछ स्थानों पर अवधूत गीता और जीवनमुक्त गीता भी पढ़ी जाती है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसमें स्वयं भगवान की वाणी है।
दत्त जयंती महत्व
भगवान दत्तात्रेय को समर्पित कई मंदिर हैं, खासकर दक्षिणी भारत में। वह महाराष्ट्र राज्य के एक प्रमुख देवता भी हैं। वास्तव में, प्रसिद्ध दत्त संप्रदाय का उदय दत्तात्रेय के पंथ से हुआ है। दत्त जयंती कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में भगवान दत्तात्रेय मंदिरों में बहुत खुशी और धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति दत्तात्रेय जयंती के दिन पूरी श्रद्धा के साथ भगवान दत्तात्रेय की पूजा करता है और व्रत रखता है, तो उसकी सभी इच्छाएं और इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।
भक्तों को अपनी आत्मा और मन को शुद्ध और प्रबुद्ध करने के लिए ओम श्री गुरुदेव दत्त और श्री गुरु दत्तात्रेय नमः जैसे मंत्रों का जाप करना चाहिए।
संबंधित जानकारियाँ
शुरुआत तिथि
मार्गशीर्ष शुक्ला पूर्णिमा
कारण
दत्तात्रेय के अवतरण दिन
उत्सव विधि
व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन
महत्वपूर्ण जगह
दत्तात्रेय मंदिर, महाराष्ट्र
पिछले त्यौहार
14 December 2024
Updated: Oct 13, 2025 11:59 AM
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