तुलसीदास जी रचित श्री रामचरितमानस के प्रथम श्रोता - सत्य कथा (Goswami Tulsidas Rachit Shri Ramcharit Manas Ke Pratham Shrota)


श्री रामचरितमानस के प्रथम श्रोता संत:
मनुष्यों में सबसे प्रथम यह ग्रन्थ सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ मिथिला के परम संत श्रीरूपारुण स्वामीजी महाराज को। वे निरंतर विदेह जनक के भाव में ही मग्न रहते थे और श्रीरामजी को अपना जामाता समझकर प्रेम करते थे। गोस्वामी जी ने उन्ही को सबसे अच्छा अधिकारी समझा और श्री रामचरितमानस सुनाई। उसके बाद बहुतो ने रामायण की कथा सुनी। उन्ही दिनों भगवान् की आज्ञा हुई कि तुम काशी जाओ और श्रीसुलसीदास जी ने वहाँ से प्रस्थान किया तथा वे काशी आकर रहने लगे।

गोस्वामी जी ने काशी आकर भगवान् विश्वनाथ और माता अन्नपूर्णा को श्री रामचरितमानस सुनाई। काशी में ब्राह्मणों और विद्वानों ने इस ग्रन्थ का बहुत विरोध किया। वे कहने लगे कि कैसे इस बात का पता लगेगा कि रामचरितमानस में लिखी बातें शास्त्रीय है या नहीं, इसका प्रमाण कुछ है ही नहीं।

निश्चय हुआ कि ग्रन्थ को विश्वनाथ जी के मंदिर में रात भर रखा जाए और भगवान शंकर को स्वयं प्रातः निश्चय करने दिया जाए। समस्त सहस्त्र और वेदों के निचे मानस जी को रखा गया। सबेरे जब पट खोला गया तो रामचरितमानस सबसे ऊपर थी और उसपर लिखा हुआ पाया गया सत्यम शिवम् सुन्दरम् और नीचे भगवान् श्री शंकर की सही थी।

इसका अर्थ है कि इसमें जो लिखा है वह सब सत्य है, शिव है और जीवन को सुंदर बनाने वाला है। उस समय उपस्थित लोगो ने सत्यं शिवं सुंदरम् की आवाज भी कानों से सुनी।

मानस के प्रचार से काशी के संस्कृत पण्डितों के मन में बडी चिंता हुई। उन्होंने सोचा हमारा तो सब मान-माहात्म्य ही खों जायगा। वे दल बांधकर तुलसीदास जी की निन्दा करने लगे और उनकी पुस्तक को ही नष्ट कर देने का षड्यंत्र रचने लगे।
Prerak-kahani Shri Ram Prerak-kahaniShri Hanuman Prerak-kahaniTulsidas Prerak-kahaniKashi Prerak-kahaniKashi Vishwanath Prerak-kahaniRamcharit Manas Prerak-kahaniTrue Story Prerak-kahaniTrue Prerak-kahani
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

कर्म महत्वपूर्ण है - प्रेरक कहानी

उसकी नजर एक मरे हुए सांप पर पड़ी। उसने एक लाठी पर सांप को लटकाया और घर की और जाते हुए सोचने लगा, इसे देखकर पत्नी डर जाएगी और आगे से काम पर जाने के लिए नहीं कहेगीं।...

एक जोड़ी, पैरों के निशान? - प्रेरक कहानी

आपने तो कहा था. कि आप हर समय मेरे साथ रहेंगे, पर मुसीबत के समय मुझे दो की जगह एक जोड़ी ही पैर ही दिखाई दिए...

बस! अपने मां बाप की सेवा करो - प्रेरक कहानी

एक छोटा सा बोर्ड रेहड़ी की छत से लटक रहा था, उस पर मोटे मारकर से लिखा हुआ था...
घर मे कोई नही है, मेरी बूढ़ी माँ बीमार है, मुझे थोड़ी थोड़ी देर में उन्हें खाना, दवा और टायलट कराने के लिए घर जाना पड़ता है, अगर आपको जल्दी है तो अपनी मर्ज़ी से फल तौल ले...

वृंदावन के वृक्ष को मर्म न जाने कोय - प्रेरक कहानी

क्येांकि संत को वो वृदांवन दिखता है जो साक्षात गौलोंक धाम का खंड है। हमें साधारण वृदांवन दिखता है।...

सुदामा जी को गरीबी क्यों मिली? - प्रेरक कहानी

अगर अध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो सुदामा जी बहुत धनवान थे। जितना धन उनके पास था किसी के पास नहीं था। लेकिन अगर भौतिक दृष्टि से देखा जाये तो सुदामाजी बहुत निर्धन थे। आखिर क्यों?