Updated: Jul 14, 2021 23:15 PM |
बारें में | संबंधित जानकारियाँ | यह भी जानें
Adhik Mas Date: Shravana: Tuesday, 18 July 2023
आधिक मास हिन्दू पंचांग में एक अतिरिक्त माहीने को कहा जाता है। आधिक-मास को प्रायः अशुभ महीना माना गया है, इस महीने में सभी प्रकार के शुभ कार्य करने पर प्रतिबंध होता है। इसे पुरुषोत्तम मास अथवा मलमास भी कहा जाता है। बृजभूमि मे इस माह के कारण संपूर्ण वर्ष को लौंद वाला साल भी कहते हैं। ज्योतिष शस्त्र के अनुसार अधिक-मास प्रत्येक तीन वर्ष के बाद आता है, परंतु कौनसा हिन्दी माह अधिक होगा वह ज्योतिष गणना से ही निकाला जाता है।
क्यों होता है अधिक मास?
हिंदू पंचांग में 12 महीने होते हैं, जिनका आधार चंद्रमा की गति है। सूर्य कैलेंडर मे एक वर्ष 365 दिन और लगभग 6 घंटे का होता है, जबकि हिंदू पंचांग चंद्रमा का एक वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। इन दोनो कैलेंडर वर्ष के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर है। यह 11 दिन का अंतर तीन साल में एक महीने के बराबर हो जाता है। इस अंतर को दूर करने के लिए, हर तीन साल के अंतराल में एक चंद्र महीना अस्तित्व में आता है। इस नये बढ़े हुए महीने को ही अधिक मास या मलमास कहा जाता है। भगवान विष्णु की पूजा आदिक मास में की जाती है।
संबंधित अन्य नाम | मलमास, पुरुषोत्तम मास, लौंद का महिना |
सुरुआत तिथि | प्रतिपदा |
कारण | सूर्य एवं चंद्र महीने के बीच का संतुलन स्थापित करने हेतु। |
उत्सव विधि | भगवान श्री विष्णु पाठ एवं स्तुति। |
Adhik Maas, Purushottam, Malmaas aur Laund is an extra month in the Hindu calendar. The month of Adhik Maas or Malmass is considered inauspicious.
पुरुषोत्तम मास नाम कैसे पड़ा?
कहा जाता है कि भगवान विष्णु, अधिक मास के भगवान हैं, तथा पुरुषोत्तम उनका एकमात्र नाम है। इसलिए, अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इसके पीछे भी एक कहानी है।
विश्वास के अनुसार, भारतीय मनीषियों ने अपनी गणना पद्धति से प्रत्येक चंद्र मास के लिए एक देवता निर्धारित किया। चूँकि अधिक मास सूर्य एवं चंद्र महीने के बीच का संतुलन स्थापित करता है, इसलिए कोई देवता इस अतिरिक्त महीने का शासक बनने के लिए तैयार नहीं था। ऐसी स्थिति में, ऋषि-मुनियों ने भगवान विष्णु से इस महीने का भार अपने ऊपर लेने का आग्रह किया। भगवान विष्णु ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और इस तरह यह माह पुरुषोत्तम माह बन गया।
कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य इस महीने में नहीं किए जाते हैं।
संबंधित जानकारियाँ
भविष्य के त्यौहार
Jyeshtha: 17 May 2026
आवृत्ति
3 वर्ष के अंतराल मे
कारण
सूर्य एवं चंद्र महीने के बीच का संतुलन स्थापित करने हेतु।
उत्सव विधि
भगवान श्री विष्णु पाठ एवं स्तुति।
पिछले त्यौहार
Ashvin: 18 September 2020
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