Shri Krishna Bhajan

क्रोध मे हम, चिल्लाते क्यों हैं? - प्रेरक कहानी (Krodh Me Ham Chillate Kyon Hain)


Add To Favorites Change Font Size
एक बार एक संत ने अपने शिष्यों से पूछा: हम गुस्से में चिल्लाते क्यो हैं? जब हम खिन्न होते हैं, तो एक दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं?
शिष्यों ने कुछ समय विचार किया और उनमें से एक शिष्य ने कहा: हम अपनी शांति खो देते हैं इसलिए चिल्लाते हैं।

संत ने पूछा: पर जब दूसरा व्यक्ति आपके पास ही खड़ा हों तो इतना चिल्लाना क्यों? क्या यह संभव नहीं कि हम उस व्यक्ति से नरम आवाज़ में बात करें? हम एक दूसरे पर क्यों चिल्लाते हैं जब हम क्रोधित होते हैं?

शिष्यों ने कई जवाब दिए पर किसी भी जवाब से संत संतुष्ट ना दिखाई दिये। अंत में उसने कहा, जब दो व्यक्ति एक दूसरे पर क्रोधित हों तो उनका हृदय बहुत दूर हों जाते हैं। इस दूरी को तय करने हेतु उन्हें चिल्लाना होता है ताकि वे एक दूसरे को सुन सके। वो जितना अधिक क्रोधित होते हैं उन्हें अपने हृदय की दूरी तय करने के लिये उतना ही चिल्लाना पड़ता हैं फिर संत ने पूछा, क्या होता है जब दो लोग एक दूसरे से प्रेम करते हैं?

वे एक दूसरे पर चिल्लाते नहीं बल्कि सौम्यता से बात करते हैं, क्योकि उनका हृदय बहुत करीब होता है। उनके बीच की दूरी बहुत कम होती हैं।

संत ने आगे कहा: जब वे लोग एक दुसरे से और ज्यादा प्रेम करते तब क्या होता हैं? वे कुछ बोलते नहीं बस फुसफुसाते हैं और एक दुसरे के प्रेम में और करीब आते जाते हैं। अंत में उन्हें फुसफुसाने की भी जरूरत नहीं होती, बस एक दुसरे को देखते हैं। इस तरह लोग करीब होते हैं जब वे एक दूसरे से प्रेम करते हैं। जब आप किसी से बहस करें तो इसका ध्यान रखें कि आपका हृदय उनसे दूर न हो जाए, ऐसे शब्द ना कहें जिससे दूरी और बढ़ जाए, वर्ना कभी ऐसा दिन आ जायेगा कि दूरी इतनी बढ़ जायेगी कि आपको आने का रास्ता नहीं मिलेगा।

क्रोध से, हमारे साथ साथ हमारे आस पास के लोगों के शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक स्वास्थ्य को खतरा हो जाता है। क्रोध पर विजय पाने का केवल एक रास्ता है और वो है कि हम अपनी नियंत्रण करने की प्रवृत्ति का त्याग करें और श्रीकृष्ण ही सबसे बड़े नियंत्रक हैं, ये स्वीकार करें।

हम प्रार्थना करें कि हम क्रोध का ग्रास ना बनें, तथा सभी जीवों से मित्रवत सम्बन्ध रखते हुए उन्हे परमात्मा के अंश के रूप में देख सके।
यह भी जानें

Prerak-kahani Krodh Prerak-kahaniAnger Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

जब चंद देव ने लगाया गुरु रामदास को गले - सत्य कथा

जब गुरु नानक देव जी के वृद्ध पुत्र एवं 'उदासी' संप्रदाय के संस्थापक बाबा श्री चंद जी सिख संप्रदाय के चतुर्थ गुरु रामदास जी से मिलने आए ...

प्रतिदिन बदलते लक्ष्य - प्रेरक कहानी

एक लड़के ने एक बार एक बहुत ही धनवान व्यक्ति को देखकर धनवान बनने का निश्चय किया। वह धन कमाने के लिए कई दिनों तक मेहनत कर धन कमाने के पीछे पड़ा

सबसे समर्थ और सच्चा साथी कौन?

एक छोटे से गाँव मे श्रीधर नाम का एक व्यक्ति रहता था, स्वभाव से थोड़ा कमजोर और डरपोक किस्म का इंसान था।..

देह दानी राजा शिवि महाराज - प्रेरक कहानी

शिवि की धर्मपरायणता, उदारता, दयालुता एवं परोपकार की ख्याति स्वर्गलोक में भी पहुंच गई थी। इन्द्र और अग्निदेव शिवि की प्रशंसा सुनने के बाद उनकी परीक्षा की योजना बनायी

जो मिला है उसकी महत्ता को समझें - प्रेरक कहानी

ज्ञानचक्षुओं के अभाव में हम सब भी भगवान के अपार दान को देखकर यह समझ नहीं पाते और हमेशा यही कहते रहते हैं कि हमारे पास कुछ नहीं है, हमें कुछ नहीं मिला, हम साधनहीन हैं।

सुकर्म का फल सूद सहित मिलता है - प्रेरक कहानी

इंसान यदि सुकर्म करे तो उसका फल सूद सहित मिलता है, और दुष्कर्म करे तो सूद सहित भोगना पड़ता है।

मुश्किल में पड़े व्यक्ति की मदद के बदले क्या लें? - प्रेरक कहानी

अस्पताल में एक एक्सीडेंट का केस आया। अस्पताल के मालिक डॉक्टर ने तत्काल खुद जाकर आईसीयू में केस की जांच की। दो-तीन घंटे के ओपरेशन के बाद डॉक्टर बाहर आया..

Ganesh Aarti Bhajan - Ganesh Aarti Bhajan
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP