Download Bhakti Bharat APP

सुदर्शन रूप में भक्त की प्रेत से रक्षा - सत्य कथा (Sudarshan Roop Main Bhakt Ki Pret Se Raksha)


सुदर्शन रूप में भक्त की प्रेत से रक्षा - सत्य कथा
Add To Favorites Change Font Size
संत अनंतकृष्ण बाबा जी के पास एक लड़का सत्संग सुनने के लिए आया करता था। संत से प्रभावित होकर बालक द्वारा दीक्षा के लिए प्रार्थना करने पर बाबा जी ने कहा कि महामंत्र का ११ लाख जप करके आओ उसके बाद विचार करेंगे।
लगभग कुछ महीनों के पश्चात जप की संख्या पूरी करने के बाद वह बाबा के पास पुनः आया। बाबा ने बालक को कहा ११ लाख और जप करके आना। अभी 3-4 वर्ष ही बीते थे साधक जीवन मे प्रवेश किए हुए, उसके मन मे श्रद्धा की कमी होने लगी । वह एक दिन कहीं जा रहा था रास्ते में एक तांत्रिक को कुछ सिद्धियों का प्रदर्शन करते हुए देखा। तांत्रिक ने उससे अपने बारे मे पूछा, उसने अपनी उपासना के बारे मे बताया ।

तांत्रिक ने पूछा कि तुम इतने वर्षों से इतनी संख्या में जप करते हो, साधना करते हो उससे तुम्हे कुछ अनुभूति हुई? उस लड़के ने कहा अनुभूति तो हुई नहीं। तांत्रिक ने कहा कि देखो तुम आदि जवान हो, हमारी तरह प्रेत सिद्ध कर लो, तुम्हारे सब काम प्रेत कर दिया करेगा, मै भी प्रेतों से सब काम करवाता कि और जीवन का आनंद लेता हूँ।

बालक ने तांत्रिक से साधन की विधि जानी और शीघ्र ही थोडे मंत्रो के जप से ही सिद्ध प्राप्ति कर ली। उसने विधि से तंत्रिक मंत्रो का जाप किया पर कुछ हुआ नहीं। उसने तांत्रिक से कहा कि मुझे तो कोई प्रेत सिद्ध हुआ नहीं। तांत्रिक ने कहा पुनः प्रयास करो। इस बार भी प्रेत प्रकट नहीं हुआ। तांत्रिक ने प्रेत को बुलाकर पूछा कि तुम इसके सामने क्यों नहीं प्रकट होते हो?

उस प्रेत ने कहा मैं तो जैसे ही इसके थोड़े निकट जाता हूँ, इसके पीछे एक सुदर्शन चक्र प्रकट हो जाता है। मैं महान बलवान होने पर भी उस चक्र के तेज के सामने टिक नही सकता। अवश्य ही कोई शक्ति इसकी रक्षा करती है।

इस घटना के कुछ समय पश्चात उसको बाबा की याद आयी। जब वह बाबा के पास आया तो बाबा बोले: बच्चा! तेरा पतन होने से साक्षात नाम भगवान ने सुदर्शन रूप से तुझे बचा लिया। नाम भगवान यदि तुझे नहीं बचाते तो हजारो वर्षो तक तू भी प्रेत योनि में कष्ट पाता फिरता। अतः नाम का प्रभाव प्रकट रूप से न दिखे तब भी नाम का प्रभाव होता ही है। नाम जपने वाले की रक्षा भगवान सदा ही करते हैं।

इस प्रसंग से शिक्षा मिलती है कि भक्त तंत्र भूत सिद्धियों के चक्कर मे ना पड़कर भगवान की ओर अपना ध्यान लगाए रखना चाहिए।
यह भी जानें

Prerak-kahani Shri Krishna Prerak-kahaniBrij Prerak-kahaniBaal Krishna Prerak-kahaniBhagwat Prerak-kahaniJanmashtami Prerak-kahaniLaddu Gopal Prerak-kahaniKumhar Prerak-kahaniKrishna Mahima Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

परमात्मा! जीवन यात्रा के दौरान हमारे साथ हैं - प्रेरक कहानी

प्रतिवर्ष माता पिता अपने पुत्र को गर्मी की छुट्टियों में उसके दादा-दादी के घर ले जाते । 10-20 दिन सब वहीं रहते और फिर लौट आते।..

ह्रदय से जो जाओगे सबल समझूंगा तोहे: सूरदास जी की सत्य कथा

हाथ छुड़ाए जात हो, निवल जान के मोये । मन से जब तुम जाओगे, तब प्रवल माने हौ तोये । - सूरदास जी

कर्म-योग क्या है? - प्रेरक कहानी

एक बार एक बालक रमन महर्षि के पास आया! उन्हे प्रणाम कर उसने अपनी जिज्ञासा उनके समक्ष रखी! वह बोला- क्या आप मुझे बता सकते है कि कर्म-योग क्या है?...

क्या कठिन परिस्थितियों या हालातों पर रोना चाहिए?

जब चिड़िया ने लगाई गरुड़ जी से दौड़ : एक दिन की बात है एक चिड़िया आकाश में अपनी उड़ान भर रही होती है। गरुड़ उस चिड़िया को खाने को दौड़ता है..

जो तुम करोगे, वही तुम्हारे साथ रहेगा - प्रेरक कहानी

एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोज़ाना भोजन पकाती थी और एक रोटी वह वहाँ से गुजरने वाले किसी भी भूखे के लिए पकाती थी। वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी, जिसे कोई भी ले सकता था।

प्रेरक कहानी: एक सत्संग ऐसी भी

सत्संग में भी हम सिर्फ उन बातों को पसंद करते है जिसमे हमारा स्वार्थ सिद्ध होता हैं। जबकि सत्संग जाकर हमें सत्य...

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Ganesh Aarti Bhajan - Ganesh Aarti Bhajan
Bhakti Bharat APP