Download Bhakti Bharat APP
Hanuman Chalisa - Hanuman ChalisaDownload APP Now - Download APP NowAditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya StotraFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

राजा की सम्यक् दृष्टि - प्रेरक कहानी (Raja Ki Samyak Drashti)


Add To Favorites Change Font Size
एक राजा था, बहुत प्रभावशाली, बुद्धि और वैभव से संपन्न। आस-पास के राजा भी समय-समय पर उससे परामर्श लिया करते थे। एक दिन राजा अपनी शैया पर लेेटे-लेटे सोचने लगा, मैं कितना भाग्यशाली हूँ। कितना विशाल है मेरा परिवार, कितना समृद्ध है मेरा अंत:पुर, कितनी मजबूत है मेरी सेना, कितना बड़ा है मेरा राजकोष। ओह! मेरे खजाने के सामने कुबेर के खजाने की क्या बिसात? मेरे राजनिवास की शोभा को देखकर अप्सराएं भी ईर्ष्या करती होंगी। मेरा हर वचन आदेश होता है। राजा कवि हृदय था और संस्कृृत का विद्वान था।
अपने भावों को उसने शब्दों में पिरोना शुरू किया। तीन चरण बन गए, चौथी लाइन पूरी नहीं हो रही थी। जब तक पूरा श्लोक नहीं बन जाता, तब तक कोई भी रचनाकार उसे बार-बार दोहराता है। राजा भी अपनी वे तीन लाइनें बार-बार गुनगुना रहा था

चेतोहरा: युवतय: स्वजनाऽनुकूला: सद्बान्धवा: प्रणयगर्भगिरश्च भृत्या: गर्जन्ति दन्तिनिवहास्विरलास्तुरंगा:
मेरी चित्ताकर्षक रानियां हैं, अनुकूल स्वजन वर्ग है, श्रेष्ठ कुटुंबी जन हैं। कर्मकार विनम्र और आज्ञापालक हैं, हाथी, घोड़ों के रूप में विशाल सेना है।

लेकिन बार-बार गुनगुनाने पर भी चौथा-चरण बन नहीं रहा था। संयोग की बात है कि उसी रात एक चोर राजमहल में चोरी करने के लिए आया था।

मौका पाकर वह राजा के शयनकक्ष में घुस गया और पलंग के नीचे दुबक कर कर बैठ गया। चोर भी संस्कृत भाषा का विज्ञ और आशु कवि था। समस्यापूर्ति का उसे अभ्यास था। राजा द्वारा गुनगुनाए जाते श्लोक के तीन चरण चोर ने सुन लिए।

राजा के दिमाग में चौथी लाइन नहीं बन रही है, यह भी वह जान गया लेकिन तीन लाइनें सुन कर उस चोर का कवि मन भी उसे पूरा करने के लिए मचलने लगा। वह भूल गया कि वह चोर है और राजा के कक्ष में चोरी करने घुसा है। अगली बार राजा ने जैसे ही वे तीन लाइनें पूरी कीं, चोर के मुंह से चौथी लाइन निकल पड़ी, सम्मीलने नयनयोर्नहि किंचिदस्ति॥

अर्थात: राज्य, वैभव आदि सब तभी तक है, जब तक आंख खुली है। आंख बंद होने के बाद कुछ नहीं है। अत: किस पर गर्व कर रहे हो?

चोर की इस एक पंक्ति ने राजा की आंखें खोल दीं। उसे सम्यक् दृष्टि मिल गई। वह चारों ओर विस्फारित नेत्रों से देखने लगा। ऐसी ज्ञान की बात किसने कही? कैसे कही? उसने आवाज दी, पलंग के नीचे जो भी है, वह मेरे सामने उपस्थित हो।

चोर सामने आकर खड़ा हुआ। फिर हाथ जोड़ कर राजा से बोला, हे राजन! मैं आया तो चोरी करने था, पर आप के द्वारा पढ़ा जा रहा श्लोक सुनकर यह भूल गया कि मैं चोर हूँ। मेरा काव्य प्रेम उमड़ पड़ा और मैं चौथे चरण की पूर्ति करने का दुस्साहस कर बैठा। हे राजन ! मैं अपराधी हूँ। मुझे क्षमा कर दें।

राजा ने कहा: तुम अपने जीवन में चाहे जो कुछ भी करते हो, इस क्षण तो तुम मेरे गुरु हो। तुमने मुझे जीवन के यथार्थ का परिचय कराया है। आंख बंद होने के बाद कुछ भी नहीं रहता। यह कह कर तुमने मेरा सत्य से साक्षात्कार करवा दिया। गुरु होने के कारण तुम मुझसे जो चाहो मांग सकते हो।

चोर की समझ में कुछ नहीं आया लेकिन राजा ने आगे कहा: आज मेरे ज्ञान की आंखें खुल गईं। इसलिए शुभस्य शीघ्रम् - इस सूक्त को आत्मसात करते हुए मैं शीघ्र ही संन्यास लेना चाहता हूँ। राज्य अब तृण के समान प्रतीत हो रहा है। तुम यदि मेरा राज्य चाह तो मैं उसे सहर्ष देने के लिए तैयार हूँ।

चोर बोला, राजन! आपको जैसे इस वाक्य से बोध पाठ मिला है, वैसे ही मेरा मन भी बदल गया है। मैं भी संन्यास स्वीकार करना चाहता हूँ। राजा और चोर दोनों संन्यासी बन गए।

एक ही पंक्ति ने दोनों को स्पंदित कर दिया। यह है सम्यक द्रूष्टि का परिणाम। जब तक राजा की दृष्टि सम्यक् नहीं थी, वह धन-वैभव, भोग-विलास को ही सब कुछ समझ रहा था। ज्यों ही आंखों से रंगीन चश्मा उतरा, दृष्टि सम्यक् बनी कि पदार्थ पदार्थ हो गया और आत्मा आत्मा।
यह भी जानें

Prerak-kahani Raja Prerak-kahaniKing Prerak-kahaniChor Prerak-kahaniSanyas Prerak-kahaniKavi Prerak-kahaniRaja Aur Chor Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

दूध से भरा कुआँ - प्रेरक कहानी

एक बार एक राजा के राज्य में महामारी फैल गयी। चारो ओर लोग मरने लगे। राजा ने इसे रोकने के लिये बहुत सारे उपाय करवाये मगर कुछ असर न हुआ और लोग मरते रहे।

विश्वास के आगे पंडितजी का नमन - प्रेरक कहानी

एक सेठ बड़ा धार्मिक था संपन्न भी था। एक बार उसने अपने घर पर पूजा पाठ रखी और पूरे शहर को न्यौता दिया।...

जब वैश्या ने कबीरदास जी की झोपड़ी में लगाई आग - प्रेरक प्रसंग

सतगुरु कबीरदास जी की कुटिया के पास एक वैश्या ने अपना कोठा बना लिया, एक ओर तो कबीरदास जी जो दिन भर मालिक के नाम कीर्तन करते और दूसरी और वैश्या जिसके घर में नाच गाना होता रहता

ज्ञानपिपासु विद्यार्थियों - प्रेरक प्रसंग

एक गुरु के दो शिष्य थे। एक पढ़ाई में बहुत तेज और विद्वान था और दूसरा फिसड्डी। पहले शिष्य की हर जगह प्रसंशा और सम्मान होता था।..

गेहूँ का दाना एक शिक्षक - प्रेरक कहानी

गेहूँ का दाना वह शिक्षक है जो मुझे सृष्टि के नियमों को सिखाता है, एक बार एक राजा युद्ध जीतकर लौट रहा था, तो वह संत के निवास के निकट जा पहुंचा। उसने इस रहस्यदर्शी संत के दर्शन करने की सोची। राजा ने संत के पास जाकर कहा..

विष्णु अर्पण - प्रेरक कहानी

कुछ पंडितों ने एक औरत को कहा - घर में तू विष्णु जी की फोटो रख ले और रोटी खाने से पहले उनके आगे रोटी की थाली रखना कर कहना है विष्णु अर्पण..

शांति कहाँ मिलेगी - प्रेरक कहानी

एक समय कि बात है, भगवान विष्णु सभी जीवों को कुछ न कुछ चीजें भेट कर रहे थे। सभी जीव भेंट स्वीकार करते और खुशी-खुशी अपने निवास स्थान के लिए प्रस्थान करते।

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Durga Chalisa - Durga Chalisa
×
Bhakti Bharat APP