Shri Krishna Bhajan

महात्मा की समझ से लौटी सेना? - प्रेरक कहानी (Mahatma Ki Samajh Se Lauti Sena)


Add To Favorites Change Font Size
एक दिन महात्मा जी भिक्षा मांगने जा रहे थे, सड़क पर एक सिक्का दिखा, जिसे उठाकर उन्होंने झोली में रख लिया। उमके साथ जा रहे दोनों शिष्य इससे हैरान हो गए। वे मन में सोच रहे थे कि काश सिक्का उन्हें मिलता, तो वे बाजार से मिठाई ले आते।
महात्मा जी जान गए। वह बोले यह साधारण सिक्का नहीं है, मैं इसे किसी योग्य व्यक्ति को दूंगा, पर कई दिन बीत जाने के बाद भी उन्होंने सिक्का किसी को नहीं दिया।

एक दिन महात्मा जी को खबर मिली कि सिंहगढ़ के महाराज अपनी विशाल सेना के साथ उधर से गुजर रहे हैं। महात्मा जी ने शिष्यों से कहा, सोनपुर छोड़ने की घड़ी आ गई।

शिष्यों के साथ महात्मा जी चल पड़े। तभी राजा की सवारी आ गई। मंत्री ने राजा को बताया कि ये महात्मा जा रहे हैं। बड़े ज्ञानी हैं। राजा ने हाथी से उतर कर महात्मा जी को प्रणाम किया और कहा, कृपया मुझे आशीर्वाद दें।

महात्मा जी ने झोले से सिक्का निकाला और राजा की हथेली पर उसे रखते हुए कहा, हे नरेश, तुम्हारा राज्य धन-धान्य से संपन्न है। फिर भी तुम्हारे लालच का अंत नहीं है। तुम और पाने की लालसा में युद्ध करने जा रहे हो। मेरे विचार में तुम सबसे बड़े दरिद्र हो। इसलिए मैंने तुम्हें यह सिक्का दिया है। राजा इस बात का मतलब समझ गया। उन्होंने सेना को वापस चलने आदेश दिया।

लालच इंसान को इतना अंधा कर देता है कि उसे अच्छे और बुरे में फर्क दिखाई नहीं देता।
यह भी जानें
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

हे कन्हैया! क्या बिगाड़ा था मैंने तुम्हारा - प्रेरक कहानी

एक औरत रोटी बनाते बनाते ॐ भगवते वासूदेवाय नम: का जाप कर रही थी, अलग से पूजा का समय कहाँ निकाल पाती थी बेचारी, तो बस काम करते करते ही..

आखिर कर्म ही महान है - प्रेरक कहानी

बुद्ध का प्रवचन सुनने के लिए गांव के सभी लोग उपस्थित थे, लेकिन वह भक्त ही कहीं दिखाई नहीं दे रहा था।.

कोयला और चंदन

चौधरी पहलवान का पूरा जीवन जरूरतमंदों की सहायता के लिए समर्पित हुआ था। जब उनका अंतिम समय नजदीक आया तो उन्होंने अपने बेटे को पास बुलाया।

प्रणाम का महत्व - प्रेरक कहानी

महाभारत का युद्ध चल रहा था, एक दिन दुर्योधन के व्यंग्य से आहत होकर भीष्म पितामह घोषणा कर देते हैं कि: मैं कल पांडवों का वध कर दूँगा..

नाम जप की महत्ता - प्रेरक कहानी

प्रभु नाम के जप ने एक भिखारी को सच्चा दाता बना दिया है। यह सुनकर अकबर बड़े हैरान हुये। ये है नाम जप का प्रभाव जो भिखारी से सच्चा दाता बना दे।

गोस्वामी तुलसीदास की सूरदास जी से भेंट - सत्य कथा

श्री सूरदास जी से भगवान् का विनोद करना | तुलसीदास जी वाला पलड़ा भारी हो गया। अब सूरदास श्री को बड़ा दुःख हुआ | किशोरी जी जहाँ हो वहाँ का पलड़ा तो भारी होगा ही..

रामायण से, श्री कृष्ण के पंख की कहानी

वनवास के दौरान माता सीताजी को प्यास लगी, तभी श्रीरामजी ने चारों ओर देखा, तो उनको दूर-दूर तक जंगल ही जंगल दिख रहा था। कुदरत से प्रार्थना की, हे वन देवता..

Om Jai Jagdish Hare Aarti - Om Jai Jagdish Hare Aarti
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP