पितृ पक्ष - Pitru Paksha

राजधर्म और तपस्या का फर्क - प्रेरक कहानी (Rajadharm Aur Tapasya Ka Fark)


Add To Favorites Change Font Size
सम्राट भरत, जिनके बारे में कहा जाता है कि उनके नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा, वे बड़े प्रतापी और सुयोग्य शासक थे। राजा भरत शासन करते हुए भी कठोर तपस्या किया करते थे जिससे उनका शरीर दुर्बल हो गया था। एक बार एक किसान उनके पास आया और पूछने लगा, 'महाराजा आप चक्रवती सम्राट हैं करोड़ो लोगों की रक्षा और निर्वाह की व्यवस्था आपको करना पड़ती है। ऐसी दशा में आप तपस्या कैसे कर पाते हैं?'
राजा भरत ने तेल से भरा हुआ कटोरा उसके हाथ में दिया और अपने कुछ सिपाही उसके साथ करते हुए कहा कि 'इस कटोरे को हाथ में लेकर तुम हमारी सेना को देखने जाओ। मेरे सिपाही तुमको सब चीज दिखलाएंगे, लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि कटोरे से तेल की एक बूंद भी बाहर गिरना नहीं चाहिए। अगर तेल गिर गया तो तुमको मृत्युदंड दिया जाएगा।'

सिपाही किसान को सेना दिखाने लेकर गए। वहां पर हजारों हाथी, अनगिनत घोड़े, तरह-तरह के अदभुत अस्त्र-शस्त्र भरे हुए थे। किसान सबको देखता तो रहा, लेकिन उसका ध्यान पूरे समय तेल से भरे कटोरे पर ही रहा कि कहीं उसमें से तेल गिर न जाए। किसान सब जगह घूमकर फिर से महाराज भरत के पास आया तो उन्होंने किसान से पूछा, 'तुम सेना देख आए हो? अच्छा बताओ तुम्हे क्या अच्छा लगा। उसमें से किस चीज को पाने की इच्छा तुमको हुई?'

किसान ने कहा कि 'महाराज मैने देखा तो सब कुछ, लेकिन मेरा ध्यान कहीं नहीं अटका। मेरा ध्यान तो इस कटोरे की तरफ ही लगा हुआ था।' यह सुनकर राजा भरत ने कहा कि 'इसी तरह राज्य कार्य करते हुए मेरा ध्यान मेरी आत्मा में लीन रहता है।'
यह भी जानें
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

पिता और पुत्र की रोचक कहानी - प्रेरक कहानी

एक बार पिता और पुत्र जलमार्ग से यात्रा कर रहे थे, और दोनों रास्ता भटक गये। फिर उनकी बोट भी उन्हें ऐसी जगह ले गई...

ज्ञान का सार्थक प्रयोग - प्रेरक कहानी

किसी ब्राह्मण के चार पुत्र थे। उनमें परस्पर गहरी मित्रता थी। चारों में से तीन शास्त्रों में पारंगत थे, लेकिन उनमें बुद्धि का अभाव था।

राम से बड़ा राम का नाम क्यों - प्रेरक कहानी

श्री राम दरबार में हनुमानजी महाराज श्री रामजी की सेवा में इतने तन्मय हो गये कि गुरू वशिष्ठ के आने का उनको ध्यान ही नहीं रहा!...

मैं तो स्वयं शिव हूँ - प्रेरक कहानी

एक था भिखारी! रेल सफर में भीख माँगने के दौरान एक सूट बूट पहने सेठ जी उसे दिखे। उसने सोचा कि यह व्यक्ति बहुत अमीर लगता है...

दद्दा की डेढ़ टिकट - प्रेरक कहानी

एक देहाती बुजुर्ग ने चढ़ने के लिए हाथ बढ़ाया। एक ही हाथ से सहारा ले डगमगाते कदमों से वे बस में चढ़े, क्योंकि दूसरे हाथ में थी भगवान गणेश की एक अत्यंत मनोहर बालमूर्ति थी।

गणेश विनायक जी की कथा - प्रेरक कहानी

एक गाँव में माँ-बेटी रहती थीं। एक दिन वह अपनी माँ से कहने लगी कि गाँव के सब लोग गणेश मेला देखने जा रहे हैं..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Ganesh Aarti Bhajan - Ganesh Aarti Bhajan
Bhakti Bharat APP