हे बनवारी, हे गिरधारी, लाज रखो हे कृष्ण मुरारी
लाज रखो हे कृष्ण मुरारी,हे गिरधारी हे बनवारी
कहता है खुद को तू बलशाली,
खींच रहा अबला की साड़ी,
लाज रखों हे कृष्ण मुरारी,
हे गिरधारी हे बनवारी ॥
अब मैं समझी एक है अंधा,
यहाँ तो सारी सभा है अंधी
हे गिरधारी हे बनवारी,
लाज रखों हे कृष्ण मुरारी ॥
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