Hanuman Chalisa
Sawan 2024 - Hanuman Chalisa - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Hanuman Chalisa -

जब श्री कृष्ण बोले, मुझे कहीं छुपा लो - प्रेरक कहानी (Jab Shri Krishan Bole Mujhe Kahin Chupa Lo)


जब श्री कृष्ण बोले, मुझे कहीं छुपा लो - प्रेरक कहानी
Add To Favorites Change Font Size
एक बार की बात है कि यशोदा मैया प्रभु श्री कृष्ण के उलाहनों से तंग आ गयीं और छड़ी लेकर श्री कृष्ण की ओर दौड़ी। जब प्रभु ने अपनी मैया को क्रोध में देखा तो वह अपना बचाव करने के लिबए भागने लगे।
भागते-भागते श्री कृष्ण एक कुम्हार के पास पहुँचे। कुम्हार तो अपने मिट्टी के घड़े बनाने में व्यस्त था। लेकिन जैसे ही कुम्हार ने श्री कृष्ण को देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ। कुम्हार जानता था कि श्री कृष्ण साक्षात् परमेश्वर हैं। तब प्रभु ने कुम्हार से कहा कि कुम्हार जी, आज मेरी मैया मुझ पर बहुत क्रोधित है। मैया छड़ी लेकर मेरे पीछे आ रही है। भैया, मुझे कहीं छुपा लो।

तब कुम्हार ने श्री कृष्ण को एक बडे से मटके के नीचे छिपा दिया। कुछ ही क्षणों में मैया यशोदा भी वहाँ आ गयीं और कुम्हार से पूछने लगी: क्यूँ रे, कुम्हार! तूने मेरे कन्हैया को कहीं देखा है, क्या?
कुम्हार ने कह दिया: नहीं, मैया! मैंने कन्हैया को नहीं देखा।
श्री कृष्ण ये सब बातें बडे से घड़े के नीचे छुपकर सुन रहे थे। मैया तो वहाँ से चली गयीं।

अब प्रभु श्री कृष्ण कुम्हार से कहते हैं: कुम्हार जी, यदि मैया चली गयी हो तो मुझे इस घड़े से बाहर निकालो।
कुम्हार बोला: ऐसे नहीं, प्रभु जी! पहले मुझे चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त करने का वचन दो।
भगवान मुस्कुराये और कहा: ठीक है, मैं तुम्हें चौरासी लाख योनियों से मुक्त करने का वचन देता हूँ। अब तो मुझे बाहर निकाल दो।

कुम्हार कहने लगा: मुझे अकेले नहीं, प्रभु जी! मेरे परिवार के सभी लोगों को भी चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त करने का वचन दोगे तो मैं आपको इस घड़े से बाहर निकालूँगा।
प्रभु जी कहते हैं: चलो ठीक है, उनको भी चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त होने का मैं वचन देता हूँ। अब तो मुझे घड़े से बाहर निकाल दो।

अब कुम्हार कहता है: बस, प्रभु जी! एक विनती और है। उसे भी पूरा करने का वचन दे दो तो मैं आपको घड़े से बाहर निकाल दूँगा।
भगवान बोले: वो भी बता दो, क्या कहना चाहते हो?
कुम्भार कहने लगा: प्रभु जी! जिस घड़े के नीचे आप छुपे हो, उसकी मिट्टी मेरे बैलों के ऊपर लाद के लायी गयी है। मेरे इन बैलों को भी चौरासी के बन्धन से मुक्त करने का वचन दो।

भगवान ने कुम्हार के प्रेम पर प्रसन्न होकर उन बैलों को भी चौरासी के बन्धन से मुक्त होने का वचन दिया।
प्रभु बोले: अब तो तुम्हारी सब इच्छा पूरी हो गयी, अब तो मुझे घड़े से बाहर निकाल दो।

तब कुम्हार कहता है: अभी नहीं, भगवन! बस, एक अन्तिम इच्छा और है। उसे भी पूरा कर दीजिये और वो ये है, जो भी प्राणी हम दोनों के बीच के इस संवाद को सुनेगा, उसे भी आप चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त करोगे। बस, यह वचन दे दो तो मैं आपको इस घड़े से बाहर निकाल दूँगा।

कुम्हार की प्रेम भरी बातों को सुन कर प्रभु श्री कृष्ण बहुत खुश हुए और कुम्हार की इस इच्छा को भी पूरा करने का वचन दिया।

फिर कुम्हार ने बाल श्री कृष्ण को घड़े से बाहर निकाल दिया। उनके चरणों में साष्टांग प्रणाम किया। प्रभु जी के चरण धोये और चरणामृत पीया। अपनी पूरी झोंपड़ी में चरणामृत का छिड़काव किया और प्रभु जी के गले लगकर इतना रोये क़ि प्रभु में ही विलीन हो गये।

जरा सोच करके देखिये, जो बाल श्री कृष्ण सात कोस लम्बे-चौड़े गोवर्धन पर्वत को अपनी इक्क्नी अंगुली पर उठा सकते हैं, तो क्या वो एक घड़ा नहीं उठा सकते थे। लेकिन बिना प्रेम रीझे नहीं नटवर नन्द किशोर। कोई कितने भी यज्ञ करे, अनुष्ठान करे, कितना भी दान करे, चाहे कितनी भी भक्ति करे, लेकिन जब तक मन में प्राणी मात्र के लिए प्रेम नहीं होगा, प्रभु श्री कृष्ण मिल नहीं सकते।
यह भी जानें

Prerak-kahani Shri Krishna Prerak-kahaniBrij Prerak-kahaniBaal Krishna Prerak-kahaniBhagwat Prerak-kahaniJanmashtami Prerak-kahaniLaddu Gopal Prerak-kahaniKumhar Prerak-kahaniKrishna Mahima Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

सेवभाव में स्नेह के आँसू - प्रेरक कहानी

सब्जी वाले ने तीसरी मंजिल की घंटी का बटन दबाया। ऊपर बालकनी का दरवाजा खोलकर बाहर आई महिला ने नीचे देखा।

जीवन का, जीवन बीमा - प्रेरक कहानी

दो मित्र थे, बड़े परिश्रमी और मेहनती। अपने परिश्रम से दोनों एक दिन बड़े सेठ बन गए। दोनों ने बड़ा व्यवसाय खड़ा कर लिया। पहले सेठ ने अपनी सारी संपत्ति का बीमा करवा लिया।...

असल में ज्ञानी कौन? - प्रेरक कहानी

सन्तोष मिश्रा जी के यहाँ पहला लड़का हुआ तो पत्नी ने कहा: बच्चे को गुरुकुल में शिक्षा दिलवाते है...

बुरी परिस्थितियों में भी आशा नहीं छोड़ें - प्रेरक कहानी

उसने राजा से कहा कि यदि मेरी जान बख्श दी जाए तो मैं एक साल में उसके घोड़े को उड़ना सीखा दूँगा।..

श्री गणेश एवं बुढ़िया माई की कहानी

एक बुढ़िया माई थी। मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। रोज बनाए रोज गल जाए। एक सेठ का मकान बन रहा था..

दद्दा की डेढ़ टिकट - प्रेरक कहानी

एक देहाती बुजुर्ग ने चढ़ने के लिए हाथ बढ़ाया। एक ही हाथ से सहारा ले डगमगाते कदमों से वे बस में चढ़े, क्योंकि दूसरे हाथ में थी भगवान गणेश की एक अत्यंत मनोहर बालमूर्ति थी।

तुलसीदास जी द्वारा भगवान् श्रीराम, लक्ष्मण दर्शन - सत्य कथा

चित्रकूटके घाट पर, भइ संतन की भीर । तुलसिदास चंदन घिसें, तिलक देन रघुबीर ॥..

Hanuman Chalisa -
Hanuman Chalisa -
×
Bhakti Bharat APP