तारतम सागरश्री तारतम सागर श्री कृष्ण प्रणामी धर्म का प्रमुख ग्रन्थ है। इस महान ग्रन्थ को विभिन्न नामों से भी जाना जाता है जैसे तारतम सागर कुलजाम स्वरूप, तारतम वाणी, श्री मुखवाणी, श्री स्वरूप साहिब। इसे विक्रम संवत 1715 में महामती प्राणनाथ जी ने लिखा था।
अधूरा पुण्यदिनभर पूजा की भोग, फूल, चुनरी, आदि सामिग्री चढ़ाई - पुण्य; पूजा के बाद, गन्दिगी के लिए समान पेड़/नदी के पास फेंक दिया - अधूरा पुण्य
विविध: आर्य समाज के नियमईश्वर सच्चिदानंदस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनंत, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वांतर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है, उसी की उपासना करने योग्य है।
गोटीपुअ नृत्यगोटीपुअ नृत्य भारत के ओडिशा राज्य का एक पारंपरिक नृत्य है, जिसे शास्त्रीय ओडिसी नृत्य का अग्रदूत माना जाता है।
चरण स्पर्श नियमभारतीय संस्कृति में बड़ों के पैर छूना एक पारंपरिक भाव है जो सम्मान, विनम्रता और आशीर्वाद दर्शाता है। भक्तिभारती यहाँ कुछ बुनियादी "नियम" बताती है।