भक्तमाल | निषादराज
वास्तविक नाम - निषादराज गुहा
अन्य नाम - गुहा
आराध्य - भगवान राम
भाषा: मैथिली
प्रसिद्धि - वनवास काल में भगवान राम के भक्त
श्रृंगवेरपुर के निषाद राजा निषादराज गुहा, श्री राम के सबसे समर्पित मित्र थे। उन्होंने शुद्ध प्रेम से वनवास की रात में राम की रक्षा की, उनके पवित्र चरणों के लिए नाव धोई और तीनों को गंगा पार करने में सहायता की। गुहा की भक्ति मित्रता और समर्पण के शाश्वत प्रतीक के रूप में चमकती है।
निशादराज की प्रमुख विशेषताएं
❀ श्री राम के प्रति गहरी भक्ति
जब श्री राम, सीता और लक्ष्मण अपने वनवास के दौरान श्रृंगवेरपुर पहुंचे, तो गुहा ने उनका अत्यंत आदरपूर्वक स्वागत किया। एक आदिवासी राजा होने के बावजूद, उनकी भक्ति महान ऋषियों और राजाओं के समान थी।
❀ सामाजिक बाधाओं से परे सच्ची मित्रता
भक्तिभारत के अनुसार, गुहा राम को अपना सबसे करीबी मित्र मानते थे। राम ने भी उनके साथ अत्यंत स्नेहपूर्ण व्यवहार किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दिव्य प्रेम जाति, पद या सामाजिक मानदंडों से ऊपर है।
❀ रात्रिकालीन सुरक्षा
उन्होंने नदी किनारे सोते समय तीनों की रक्षा करने पर जोर दिया। लक्ष्मण को पहले गुहा पर संदेह हुआ, लेकिन गुहा ने स्पष्ट किया कि वे राम को किसी भी प्रकार का नुकसान न होने देने के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर देंगे।
❀ गंगा पार कराने में सहायता
गुहा ने एक नाव की व्यवस्था की और उसे सावधानीपूर्वक तैयार किया ताकि राम के चरणों को कोई अपवित्रता न छू सके—क्योंकि राम के चरणों का मात्र स्पर्श किसी भी चीज को पवित्र और रूपांतरित कर सकता है। यह
शबरी की भक्ति के समान है।
❀भरत की भक्ति के साक्षी
जब भरत बाद में अपनी सेना के साथ राम की खोज में आए, तो गुहा ने पहले सोचा कि यह शत्रुतापूर्ण आक्रमण है। लेकिन भरत के प्रेम और शोक को देखकर, उन्होंने महसूस किया कि भरत भी उतने ही महान भक्त हैं, जिससे गुहा की श्रद्धा और भी गहरी हो गई।