पितृ पक्ष में मौली क्यों नहीं बाँधी जाती? (Why Mauli not Tied in Pitru Paksha?)

पितृ पक्ष की पूजा के दौरान मौली (पूजा के दौरान कलाई पर बाँधा जाने वाला पवित्र लाल-पीला धागा) नहीं बाँधी जाती क्योंकि इस अवधि में किए जाने वाले अनुष्ठान केवल पितरों (पूर्वजों) के लिए होते हैं, न कि देवताओं के लिए।
मौली का महत्व
मौली आमतौर पर उपनयन संस्कार, विवाह, सत्यनारायण कथा, नवरात्रि पूजा आदि जैसे शुभ अवसरों पर देवताओं का आह्वान और पूजा करते समय बाँधी जाती है। यह आशीर्वाद, सुरक्षा और शुभता (मांगल्य) का प्रतीक है।

पितृ पक्ष की प्रकृति
पितृ पक्ष पूर्वजों के लिए श्राद्ध, तर्पण और अनुष्ठानों के लिए समर्पित अवधि है। इसे एक गंभीर और अशुभ समय (अनुष्ठान काल कहा जाता है) माना जाता है, जो उत्सव या शुभ प्रतीकों के लिए नहीं है।

मौली क्यों नहीं बाँधी जाती
चूँकि मौली शुभता और देव-पूजा का प्रतीक है, इसलिए पितृ अनुष्ठानों के दौरान इसे नहीं बाँधा जाता, क्योंकि पितृ अनुष्ठान समृद्धि के लिए ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त करने की अपेक्षा कृतज्ञता, स्मरण और तर्पण पर अधिक केंद्रित होते हैं।

वास्तव में, कई घरों में पितृ पक्ष के दौरान मंगलध्वनि (शंख बजाना, घंटियाँ बजाना) और उत्सव की सजावट जैसी चीज़ों से भी परहेज किया जाता है।

पितृ पक्ष पूजा के दौरान मौली नहीं बाँधी जाती क्योंकि ये अनुष्ठान पितरों के लिए होते हैं, देवों के लिए नहीं, और मौली बाँधना शुभता का प्रतीक है, जो पितृ पक्ष के अनुष्ठानों की गंभीर प्रकृति के अनुरूप नहीं है।
Why Mauli not Tied in Pitru Paksha? - Read in English
Mauli (the sacred red–yellow thread tied on the wrist during pujas) is not tied during Pitru Paksha puja because the rites performed in this period are meant exclusively for the Pitrus (ancestors) and not for the Devas.
Blogs Mauli BlogsShraaddh Paksha BlogsKanagat BlogsMahalaya Paksha BlogsSarvapitri Amavasya BlogsMahalaya Amavasya BlogsApara Paksha BlogsPitru Amavasya BlogsPeddala Amavasya BlogsPitar Paksha Blogs
अगर आपको यह ब्लॉग पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

ब्लॉग ›

गणेशोत्सव 2025

आइए जानें! श्री गणेशोत्सव, श्री गणेश चतुर्थी, अनंत चतुर्दशी एवं गणपति विसर्जन से जुड़ी कुछ जानकारियाँ, प्रसिद्ध भजन एवं सम्वन्धित अन्य प्रेरक तथ्य..

पितृ पक्ष में मौली क्यों नहीं बाँधी जाती?

पितृ पक्ष की पूजा के दौरान मौली (पूजा के दौरान कलाई पर बाँधा जाने वाला पवित्र लाल-पीला धागा) नहीं बाँधी जाती क्योंकि इस अवधि में किए जाने वाले अनुष्ठान केवल पितरों (पूर्वजों) के लिए होते हैं, न कि देवताओं के लिए।

पितृ पक्ष में किन भोजनों से परहेज किया जाता है?

हिंदुओं का मानना ​​है कि पितृ पक्ष मैं श्राद्ध करने से पूर्बजों को मुक्ति मिलती है और प्रसन्न होते हैं। श्राद्ध की रस्में हिंदू परंपराओं के अनुसार बहुत सारे प्रतिबंधों के तहत की जाती हैं। इस दौरान कुछ भोजनों से परहेज किया जाता है।

ISKCON एकादशी कैलेंडर 2025

यह एकादशी तिथियाँ केवल वैष्णव सम्प्रदाय इस्कॉन के अनुयायियों के लिए मान्य है | ISKCON एकादशी कैलेंडर 2025

बुढ़वा मंगल विशेष 2025

भादौं माह के अंतिम मंगलवार को माए जाने वाला त्यौहार बुढ़वा मंगल, मध्य उत्तर प्रदेश अर्थात व्रज मंडल में हनुमान जी का सबसे प्रसिद्ध उत्सव है।