Updated: Mar 18, 2022 16:04 PM |
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Pitru Paksha Date: Pratipada Shradh: Saturday, 10 September 2022
पितृ पक्ष जिसे श्राद्ध या कानागत भी कहा जाता है, श्राद्ध पूर्णिमा के साथ शुरू होकर सोलह दिनों के बाद सर्व पितृ अमावस्या के दिन समाप्त होता है। हिंदू अपने पूर्वजों (अर्थात पितरों) को विशेष रूप से भोजन प्रसाद के माध्यम से सम्मान, धन्यवाद व श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
श्राद्ध तिथियाँ 2022:
शनिवार 10 सितंबर, 2022: पूर्णिमा श्राद्ध
शनिवार 10 सितंबर, 2022: परबा / एकम् / प्रतिपदा श्राद्ध
रविवार 11 सितंबर, 2022: दोज / द्वितिया श्राद्ध
सोमवार 12 सितंबर, 2022: तृतीया श्राद्ध
मंगलवार 13 सितंबर, 2022: चतुर्थी श्राद्ध / महा-भरणी श्राद्ध
बुधवार 14 सितंबर, 2022: पंचमी श्राद्ध
गुरूवार 15 सितंबर, 2022: षष्ठी श्राद्ध
शुक्रवार 16 सितंबर, 2022: सप्तमी श्राद्ध
रविवार 18 सितंबर, 2022: अष्टमी श्राद्ध
सोमवार 19 सितंबर, 2022: नवमी श्राद्ध / मातृ नवमी / अविधवा श्राद्ध
मंगलवार 20 सितंबर, 2022: दशमी श्राद्ध
बुधवार 21 सितंबर, 2022: एकादशी श्राद्ध
गुरूवार 22 सितंबर, 2022: द्वादशी श्राद्ध / मघा श्राद्ध
शुक्रवार 23 सितंबर, 2022: त्र्योदशी श्राद्ध
शनिवार 24 सितंबर, 2022: चतुर्दशी / चौदश श्राद्ध
रविवार 25 सितंबर, 2022: अमावस श्राद्ध
ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध के समय, पूर्वजों को अपने रिश्तेदारों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। श्राद्ध कर्म की व्यख्या रामायण और महाभारत दोनों ही महाकाव्य में मिलती है।
पितृ पक्ष का महाभारत से एक प्रसंग:
श्राद्ध का एक प्रसंग महाभारत महाकाव्य से इस प्रकार है, कौरव-पांडवों के बीच युद्ध समाप्ति के बाद, जब सब कुछ समाप्त हो गया, दानवीर कर्ण मृत्यु के बाद स्वर्ग पहुंचे। उन्हें खाने मे सोना, चांदी और गहने भोजन के जगह परोसे गये। इस पर, उन्होंने स्वर्ग के स्वामी इंद्र से इसका कारण पूछा।
इस पर, इंद्र ने कर्ण को बताया कि पूरे जीवन में उन्होंने सोने, चांदी और हीरों का ही दान किया, परंतु कभी भी अपने पूर्वजों के नाम पर कोई भोजन नहीं दान किया। कर्ण ने इसके उत्तर में कहा कि, उन्हें अपने पूर्वजों के बारे मैं कोई ज्ञान नही था, अतः वह ऐसा करने में असमर्थ रहे।
तब, इंद्र ने कर्ण को पृथ्वी पर वापस जाने के सलाह दी, जहां उन्होंने इन्हीं सोलह दिनों के दौरान भोजन दान किया तथा अपने पूर्वजों का तर्पण किया। और इस प्रकार दानवीर कर्ण पित्र ऋण से मुक्त हुए।
संबंधित अन्य नाम | श्राद्ध पक्ष, कनागत, महालय पक्ष, सर्वपितृ अमावस्या, महालय अमावस्या, अपरा पक्ष, पितृ अमावस्या, पितर पक्ष |
सुरुआत तिथि | भाद्रपद शुक्ला पूर्णिमा |
Pitru Paksha also known as Shraaddha or Kanagat start with Purnima Shraddha, ends after 16 days on Sarva Pitru Amavasya which is also known as Sarvapitri Amavasya or Mahalaya Amavasya.
सर्वपितृ अमावस्या
25 September 2022
पितृ पक्ष के अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या या महालया अमावस्या के रूप में जाना जाता है। महालया अमावस्या पितृ पक्ष का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। जिन व्यक्तियों को अपने पूर्वजों की पुण्यतिथि की सही तारीख / दिन नहीं पता होता, वे लोग इस दिन उन्हें श्रद्धांजलि और भोजन समर्पित करके याद करते हैं।
श्राद्ध तिथियाँ की महत्ता
पूर्णिमा
प्रोष्ठपदी/पूर्णिमा का श्राद्ध
बाकी सभी श्राद्ध तिथि के अनुसार ही हैं
प्रतिपदा श्राद्ध, द्वितीया श्राद्ध, तृतीया श्राद्ध, चतुर्थी श्राद्ध, पंचमी श्राद्ध, षष्ठी श्राद्ध, सप्तमी श्राद्ध, अष्टमी श्राद्ध, नवमी श्राद्ध, दशमी श्राद्ध, एकादशी श्राद्ध, त्रयोदशी श्राद्ध
द्वादशी
सन्यासियों का श्राद्ध
चतुर्दशी
चतुर्दशी तिथि के दिन शस्त्र, विष, दुर्घटना से मृतों का श्राद्ध होता है चाहे उनकी मृत्यु किसी अन्य तिथि में हुई हो।
अमावस
अमावस का श्राद्ध, अज्ञात तिथि वालों का श्राद्ध, सर्वपितृ श्राद्ध।
कनागत
पितरों के लिए श्रद्धा से किया गया तर्पण, पिण्ड तथा दान को ही श्राद्ध कहते है। मान्यता अनुसार सूर्य के कन्याराशि में आने पर पितर परलोक से उतर कर अपने पुत्र - पौत्रों के साथ रहिने आते हैं, अतः इसे कनागत भी कहा जाता है।
प्रत्येक मास की अमावस्या को पितरों की शांति के लिये पिंड दान या श्राद्ध कर्म किये जा सकते हैं, परंतु पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का महत्व अधिक माना जाता है।
पितृ पक्ष में पूर्वज़ों का श्राद्ध कैसे करें? जिस पूर्वज, पितर या परिवार के मृत सदस्य के परलोक गमन की तिथि अगर याद हो तो पितृपक्ष में पड़ने वाली उसी तिथि को ही उनका श्राद्ध करना चाहिये। यदि देहावसान की तिथि ज्ञात न हो तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध किया जा सकता है, जिसे सर्वपितृ अमावस्या को महालय अमावस्या भी कहा जाता है। समय से पहले यानि कि किसी दुर्घटना अथवा आत्मदाह आदि से अकाल मृत्यु हुई हो तो उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है।
श्राद्ध तीन पीढि़यों तक करने का विधान बताया गया है। यमराज हर वर्ष श्राद्ध पक्ष में सभी जीवों को मुक्त कर देते हैं, जिससे वह अपने स्वजनों के पास जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। तीन पूर्वज में पिता को वसु के समान, रुद्र देवता को दादा के समान तथा आदित्य देवता को परदादा के समान माना जाता है। श्राद्ध के समय यही अन्य सभी पूर्वजों के प्रतिनिधि माने जाते हैं।
श्राद्ध अनुष्ठानों के लिए भारत के पवित्र स्थान
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भारत में कुछ महत्वपूर्ण जगहें हैं जो निर्वासित आत्माओं की शांति और खुश रहने के लिए श्रद्धा अनुष्ठान करने के लिए प्रसिद्ध हैं।
वाराणसी, उत्तर प्रदेश
प्रयगा (इलाहाबाद), उत्तर प्रदेश
गया, बिहार
केदारनाथ, उत्तराखंड
बद्रीनाथ, उत्तराखंड
रामेश्वरम, तमिलनाडु
नासिक, महाराष्ट्रा
कपाल मोचन सरोवर, यमुना नगर, हरियाणा
संबंधित जानकारियाँ
आगे के त्यौहार(2022)
Pratipada Shradh: 10 September 2022Dwitiya Shradh: 11 September 2022Tritiya Shradh: 12 September 2022Chaturthi Shradh (Maha Bharani): 13 September 2022Panchami Shradh: 14 September 2022Shashthi Shradh: 15 September 2022Saptami Shradh: 16 September 2022Ashtami Shradh: 18 September 2022Navami Shradh: 19 September 2022Dashami Shradh: 20 September 2022Ekadashi Shradh: 21 September 2022Dwadashi Shradh (Magha Shradh): 22 September 2022Triodashi Shradh: 23 September 2022Chaturdashi Shradh: 24 September 2022Sarvapitri Amavasy: 25 September 2022
सुरुआत तिथि
भाद्रपद शुक्ला पूर्णिमा
समाप्ति तिथि
आश्विन कृष्ण अमावस्या
पिछले त्यौहार
Sarvapitri Amavasy: 17 September 2020, Shraddha Purnima: 1 September 2020
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पितृ पक्ष 2022 तिथियाँ
Festival | Date |
Pratipada Shradh | 10 September 2022 |
Dwitiya Shradh | 11 September 2022 |
Tritiya Shradh | 12 September 2022 |
Chaturthi Shradh (Maha Bharani) | 13 September 2022 |
Panchami Shradh | 14 September 2022 |
Shashthi Shradh | 15 September 2022 |
Saptami Shradh | 16 September 2022 |
Ashtami Shradh | 18 September 2022 |
Navami Shradh | 19 September 2022 |
Dashami Shradh | 20 September 2022 |
Ekadashi Shradh | 21 September 2022 |
Dwadashi Shradh (Magha Shradh) | 22 September 2022 |
Triodashi Shradh | 23 September 2022 |
Chaturdashi Shradh | 24 September 2022 |
Sarvapitri Amavasy | 25 September 2022 |