विनय पत्रिका: भैरवरूप शिव स्तुति: पद 3 (Vinay Patrika: Bhairavroop Shiv Stuti: Pad 3)


राग वसन्त
सेवहु सिव-चरन-सरोज-रेनु ।
कल्यान-अखिल-प्रद कामधेनू ॥ १ ॥
कर्पूर-गौर, करुना-उदार ।
संसार-सार,भुजगेन्द्र-हार ॥ २ ॥

सुख-जन्मभूमि, महिमा अपार ।
निर्गुन, गुननायक, निराकार ॥ ३ ॥

त्रयनयन,मयन-मर्दन महेस ।
अहँकार निहार-उदित दिनेस ॥ ४ ॥

बर बाल निसाकर मौलि भ्राज ।
त्रैलोक-सोकहर प्रमथराज ॥ ५ ॥

जिन्ह कहँबिधि सुगति न लिखी भाल ।
तिन्ह की गति कासीपति कृपाल ॥ ६ ॥

उपकारी कोऽपर हर-समान ।
सुर-असुर जरत कृत गरल पान ॥ ७ ॥

बहु कल्प उपायन करि अनेक ।
बिनु संभु-संभुकृपा नहिं भव-बिबेक ॥ ८ ॥

बिग्यान-भवन,गिरिसुता-रमन ।
कह तुलसिदास मम त्राससमन ॥ ९ ॥
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विनय पत्रिका

गोस्वामी तुलसीदास कृत विनयपत्रिका ब्रज भाषा में रचित है। विनय पत्रिका में विनय के पद है। विनयपत्रिका का एक नाम राम विनयावली भी है।

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