Download Bhakti Bharat APP
Sawan 2024 - Hanuman Chalisa - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Hanuman Chalisa -

श्री रुक्मणी मंदिर प्रादुर्भाव पौराणिक कथा (Rukmani Mandir Pauranik Katha)


श्री रुक्मणी मंदिर प्रादुर्भाव पौराणिक कथा
Add To Favorites Change Font Size
यदु वंशी श्रीकृष्ण दुर्वासा ऋषि को अपना कुलगुरु मानते थे। जब श्रीकृष्ण और रुक्मिणी का विवाह हुआ तो वे अशीर्वाद प्राप्ति के लिए दुर्वासा ऋषि से मिलने के लिए उनके आश्रम पधारे, जो द्वारका से दूरी पर स्थित था।
श्री कृष्ण ने ऋषि दुर्वासा को महल आने का निमंत्रण दिया, जिसे दुर्वासा ऋषि ने स्वीकार तो किया लेकिन एक शर्त पर?
ऋषि दुर्वासा ने कहा: आप दोनों जिस रथ से आए हैं मैं उस रथ पर नहीं जाऊंगा, मेरे लिए एक अलग रथ मंगवाइए।
भगवान कृष्ण ने ऋषि दुर्वासा की बात सहर्ष स्वीकार की, उन्होंने रथ के घोड़े निकलवा दिए और रुक्मिणी के साथ स्वयं रथ खींचने में जुत गए।

लंबी दूरी तय करने के बाद रुक्मिणी को प्यास सताने लगी। भगवान ने रुक्मिणी को धैर्य रखने के लिए कहा और बोले कि कुछ दूर और रथ को खींच लो इसके बाद महल आ जाएगा। लेकिन रुक्मिणी का गला सूखने लगा और वे परेशान होने लगीं श्रीकृष्ण ने अपने पैरा का अंगूठा जमीन पर मारा और वहाँ से पानी की धार निकलकर आ गई। जिससे दोनों ने प्यास तो बुझा ली, लेकिन जल के लिए दुर्वासा ऋषि से नहीं पूछा, जिससे वे क्रोधित हो गए।

क्रोध में दुर्वासा ऋषि ने भगवान कृष्ण और देवी रुक्मणी को दो श्राप दिए।
पहला श्राप: भगवान और देवी रुक्मणी का 12 साल का वियोग होगा।
दूसरा श्राप: द्वारका की भूमि का पानी खारा हो जाएगा।

जिस स्थान पर 12 वर्ष रहने के दौरान रुक्मिणी ने भगवान विष्णु जी की तपस्या की थी आज वहीं उनका रुक्मणी देवी मंदिर स्थित है। दुर्वासा ऋषि के श्राप के कारण यहाँ जल का दान किया जाता है। मान्यता है कि यहाँ प्रसाद के रुप में जल दान करने से भक्तों की 71 पीढ़ियों का तर्पण का पुण्य प्राप्त हो जाता है।
यह भी जानें

Katha Vishnu Bhagwan KathaRukmani Mandir KathaPauranik KathaRukmani KathaDurwasa KathaDurwasa Rishi KathaDwarka Katha

अगर आपको यह कथाएँ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस कथाएँ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

श्री पूर्णत्रयेसा मंदिर पौराणिक कथा

भगवन विष्णु के श्री पूर्णत्रयेसा मंदिर की उत्पत्ति पौराणिक कथा | एक बार की बात है, द्वापर युग में, एक ब्राह्मण की पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया। दुर्भाग्य से, जन्म लेने और जमीन को छूने के तुरंत बाद, बच्चे की तुरंत मृत्यु हो गई।

शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा

संतोषी माता व्रत कथा | सातवें बेटे का परदेश जाना | परदेश मे नौकरी | पति की अनुपस्थिति में अत्याचार | संतोषी माता का व्रत | संतोषी माता व्रत विधि | माँ संतोषी का दर्शन | शुक्रवार व्रत में भूल | माँ संतोषी से माँगी माफी | शुक्रवार व्रत का उद्यापन

हिरण्यगर्भ दूधेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा!

पुराणों में हरनंदी के निकट हिरण्यगर्भ ज्योतिर्लिंग का वर्णन मिलता है। हरनंदी,हरनद अथवा हिरण्यदा ब्रह्मा जी की पुत्री है...

अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा | बृहस्पतिदेव की कथा

भारतवर्ष में एक राजा राज्य करता था वह बड़ा प्रतापी और दानी था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्‌मणों...

श्रावण संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। श्रावण के कृष्ण चतुर्थी की रात्रि में चंद्रोदय होने पर पूजन करना चाहिए।

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा

कोटि रुद्र संहिता के अनुसार कथा | कोटि रुद्र संहिता के अनुसार कथा | बैजू नामक चरवाहे की कथा | रावणोश्वर बैद्यनाथ कथा

श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा

दारूका नाम की एक प्रसिद्ध राक्षसी थी, जो पार्वती जी से वरदान प्राप्त कर अहंकार में चूर रहती थी। उसका पति दरुका महान् बलशाली राक्षस था।...

Hanuman Chalisa -
Hanuman Chalisa -
×
Bhakti Bharat APP