घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग - Grishneshwar Jyotirlinga

मुख्य आकर्षण - Key Highlights

◉ घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग को अंतिम या बारहवां ज्योतिर्लिंग (प्रकाश का लिंग)माना जाता है।
◉ घृष्णेश्वर का उल्लेख शिव पुराण, स्कंद पुराण, रामायण और महाभारत में मिलता है।
◉ मंदिर के गर्भगृह (अंतरतम कक्ष) में शिव लिंग है जिसे भक्तों द्वारा छुआ जा सकता है।
घृष्णेश्वर मंदिर शिव का एक ज्योतिर्लिंग मंदिर है जो महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफाओं के पास स्थित है। इस मंदिर को अंतिम या बारहवां ज्योतिर्लिंग (प्रकाश का लिंग) माना जाता है। यह मंदिर शिवालय नामक एक धारा के तट पर स्थित है, जिसे पवित्र नदी गंगा की सहायक नदी माना जाता है। घृष्णेश्वर नाम का अर्थ है करुणा का स्वामी, और यह अपने भक्तों के प्रति भगवान शिव की उदारता को दर्शाता है। यह मंदिर एक राष्ट्रीय संरक्षित स्थल है, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल से डेढ़ किलोमीटर दूर है।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास और वास्तुकला
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो भगवान शिव की सबसे पवित्र अभिव्यक्तियाँ हैं। घृष्णेश्वर का उल्लेख शिव पुराण, स्कंद पुराण, रामायण और महाभारत में मिलता है।

घृष्णेश्वर मंदिर की वास्तुकला दक्षिण भारतीय और मराठा शैलियों का मिश्रण है। यह मंदिर लाल बलुआ पत्थर और काले बेसाल्ट से बना है और इसके शीर्ष पर पांच स्तरीय शिखर है। मंदिर में एक बड़ा प्रांगण है जिसमें मुख्य द्वार के सामने नंदी (बैल) की मूर्ति है। मुख्य प्रवेश द्वार पर खंभों और मेहराबों वाला एक बरामदा है जिसे फूलों की आकृतियों से सजाया गया है। मंदिर के गर्भगृह (अंतरतम कक्ष) में शिव लिंग है जिसे भक्तों द्वारा छुआ जा सकता है। शिव लिंग लगभग 60 सेमी ऊंचा और 45 सेमी चौड़ा है और इसके चारों ओर एक चांदी का सांप लिपटा हुआ है। गर्भगृह में शिव लिंग के पीछे भगवान विष्णु की एक मूर्ति भी है। मंदिर के आंतरिक कक्षों में भगवान विष्णु के दस अवतारों को चित्रित करने वाले भित्ति चित्र हैं।

मंदिर में 12 स्तंभों वाला एक हॉल भी है, जिनमें से प्रत्येक 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है। हॉल में चांदी की परत चढ़ा हुआ दरवाजा है जिस पर भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की तस्वीरें हैं। मंदिर में एक परिक्रमा पथ भी है जिसमें ब्रह्मा, सरस्वती, कार्तिकेय, पार्वती, गणेश, नंदी और हनुमान जैसे विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं।

इस मंदिर का निर्माण सबसे पहले 13वीं शताब्दी से पहले एक अज्ञात शासक ने करवाया था। बाद में इसे नष्ट कर दिया गया लेकिन समय के साथ 18वीं शताब्दी में इंदौर की रानी रानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसका जीर्णोद्धार कराया। मंदिर की वर्तमान संरचना का श्रेय उन्हीं को दिया जाता है और इसे उनके बेहतरीन कार्यों में से एक माना जाता है।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन का समय:
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रतिदिन सुबह 5:30 बजे से रात 9:30 बजे तक भक्तों के लिए खुला रहता है। प्रवेश शुल्क 10 रुपये प्रति व्यक्ति है।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्रमुख त्यौहार
महा शिवरात्रि, श्रावण मास, कार्तिक पूर्णिमा, महा शिवरात्रि यात्रा घृष्णेश्वर मंदिर के प्रमुख त्योहार हैं। ये अनुष्ठान और त्यौहार पूरे भारत और विदेशों से हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं जो भगवान शिव से आशीर्वाद मांगते हैं।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग तक कैसे पहुंचें?
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग औरंगाबाद शहर से लगभग 30 किमी और एलोरा गुफाओं से लगभग 2 किमी दूरी पर स्थित है। यह मंदिर अन्य शहरों से सड़क मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। निकटतम रेलवे स्टेशन औरंगाबाद है और निकटतम हवाई अड्डा औरंगाबाद में है।
प्रचलित नाम: घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
Grishneshwar Jyotirlinga - Read In English
Grishneshwar Temple is a Jyotirlinga temple of Shiva located near the Ellora Caves in Aurangabad district of Maharashtra. This temple is considered to be the last or twelfth Jyotirlinga.

जानकारियां - Information

दर्शन समय
5:30 AM - 9:30 PM
मंत्र
ओम नम शिवाय
त्योहार
Shivaratri, Kartik Purnima, Sawan Somvar | यह भी जानें: एकादशी
बुनियादी सेवाएं
पेयजल, प्रसाद, सीसीटीवी सुरक्षा, जूता स्टोर, पार्किंग स्थल
समर्पित
भगवान शिव
वास्तुकला
दक्षिण भारतीय और मराठा शैली

कैसे पहुचें - How To Reach

पता 📧
Ghrishneshwar Temple Rd Ellora Maharashtra
मेट्रो 🚇
सड़क/मार्ग 🚗
Dhule - Solapur Road
रेलवे 🚉
Daulatabad, Potul
हवा मार्ग ✈
Aurangabad Airport, Pune International Airport
नदी ⛵
Velganga
सोशल मीडिया
निर्देशांक 🌐
20.0249485°N, 75.1694323°E

क्रमवद्ध - Timeline

5:30 AM - 9:30 PM

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Updated: Mar 10, 2024 11:05 AM