मध्य प्रदेश के
मुरैना जिले के ऐंती ग्राम के निकट
शनि पर्वत पर स्थित
शनिचरा मंदिर शनिदेव महाराज की तपोभूमि है। शनि पर्वत का उल्लेख त्रेता युग से ही मिलता है। परंतु मंदिर एवं मूर्ति की स्थापना चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य ने कराई थी। इसके उपरांत शनि देव की महिमा एवं चमत्कारों से प्रभावित होकर ग्वालियर के तत्कालीन महाराजा दौलतराव सिंधिया ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
मंदिर में शनि महाराज की तांत्रिक रूप में तपस्या लीन भेष-भूषा में हैं, जिसके अंतर्गत यग्योपवीत, हृदय मे नीलमणि, रुद्राक्ष माला, एक हाथ में सुमिरनी तथा दूसरे हाथ में दंड धारण किए हुए है।
17वीं शताब्दी में महाराष्ट्र के
सिगनापुर शनि मंदिर में प्रतिष्ठित शनि शिला को इसी शनि पर्वत से ले जाकर प्रतिष्ठित किया गया था। यह मंदिर तांत्रिक गतिविधियों के अनुसार अत्यंत सिद्ध मंदिर है।
शनि जयंती पर मंदिर में विशाल मेला लगता है जिसके अंतर्गत दर्शन हेतु लाखों भक्त मंदिर पधारते हैं। मंदिर दर्शन के उपरांत भक्तों द्वारा मंदिर परिक्रमा की महिमा है।
मंदिर प्रांगण में एक छोटा सा पौराणिक पवित्र जल कुंड है, जिसे
गुप्त गंगा धारा के नाम से जाना जाता है। जिसमें हर समय जल देखा जासकता है जबकि मंदिर एक बीहड़ क्षेत्र में स्थापित है। मंदिर में अत्यंत प्राचीन त्यागी आश्रम स्थित है। मंदिर के निकट लेटे हनुमान अथवा
पौडे हनुमान जी का मंदिर भी स्थिर है।
वैसे तो मंदिर मुरैना जिले में स्थित है परंतु ग्वालियर के निकट होने के कारण बहुत से भक्त इसे
ग्वालियर के शनि मंदिर के नाम से भी जानते हैं। मंदिर के आस-पास पार्किंग की अच्छी सुविधा है, यह सुविधा मेले के समय अधिक जन-सैलाव होने के कारण कुछ कम होसकती है। मंदिर के बाहर प्रसाद एवं खाने-पीने की पर्याप्त दुकानों की व्यवस्था है।
प्रचलित नाम: शनि पर्वत, शनिचरा मंदिर मुरैना, शनि मंदिर मुरैना, शनिचरा मंदिर ग्वालियर
बुनियादी सेवाएं
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धर्मार्थ सेवाएं
त्यागी आश्रम, यात्रीजन सुविधा, पवित्र कुंड, बगीचा