
ककनमठ मंदिर भग्नावस्था में स्थित अद्भुत शिव मंदिर है, मंदिर का नाम रानी ककनवती के नाम पर जाना जाता है। जो संभवतः कच्छपघात शासक कीर्तिराज की रानी थी उनके ही आदेश पर इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में किया गया था।
इस मंदिर के बारे में एक किंवदंती यह है कि इस मंदिर को भूतों ने एक ही रात में बनाया था, सुवह के समय स्थानीय महिला ने घर की रसोई के लिए चक्की चलाई और चक्की की आवाज सुनकर भूत मंदिर का कार्य बीच में ही छोड़ कर चले गये।
मंदिर की वास्तुकला से जुड़ी विशेषता में यह बहुत ही विचित्र बात है कि मंदिर निर्माण मे लगे बड़े-बड़े पत्थरों को जोड़ने में कोई सीमेंट अथवा लेप का प्रयोग नहीं किया गया है। इतिहास में रुचि रखने वाले व्यक्ति के लिए यह जानना अति अवश्य है कि, इसकी मंजिलों ऊँची संरचना आज के समय में बनाना कितना संभव है। तथा मंदिर की दीवारों से कुछ मूल्यवान, महत्वपूर्ण एवं सुंदर मूर्तियां आज भी गायब हैं।
ककनमठ मंदिर की वास्तुकला?
ककनमठ मंदिर वास्तुकला के रूप से खजुराहो शैली में बना जान पड़ता है। मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार के गाइड की सुविधा उपलब्ध नही है। मंदिर के आस-पास बिखरे हुए खंडहर तथा टूटे हुए अंश, मंदिर के आस-पास और भी मंदिर अथवा धार्मिक संरचना होने का प्रमाण दे रहे हैं।
ककनमठ मंदिर को अंदर से देखते हुए ऐसा लगता है कि कहीं कोई बड़ा सी शिला उपर से गिर ना जाए। परंतु यह संरचना पिछले 100 साल से जस की तस बनी हुई है। यह मंदिर फोटोग्राफ़ी के लिए बहुत अच्छी जगह है।
यह मंदिर राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक के अंतर्गत आता है। मंदिर के गर्भगृह में कोई भी आधिकारिक पुजारी अथवा महंत नियुक्त नहीं है। मंदिर में कार्यरत सभी व्यक्ति भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। के नियमित कर्मचारी ही हैं।
ककनमठ टेंपल किसने बनवाया?
मंदिर का निर्माण कच्छपघात शासक कीर्तिराज ने 11वीं शताब्दी में अपनी रानी ककनवती के नाम से करवाया था।
ककनमठ मंदिर कहाँ है?
ककनमठ मंदिर मध्य प्रदेश के मोरेना जिले के सिहोनिया गाँव के निकट स्थित है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा शिलालेख:
ककनमठ मंदिर के नाम से विख्यात यह अद्भुत मंदिर भग्नावस्था में भी अपने मूर्तिशिल्प को संजोये हुये है। एक बड़े चबूतरे पर निर्मित इस मंदिर की वास्तु योजना में गर्भगृह, स्तंभयुक्त मंडप एवं आकर्षक मुखमंडप है जिसमें प्रवेश हेतु सामने की ओर सीढ़ियों का प्रावधान है। गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग एस मंदिर का मुख्य आराध्य है। मंदिर के गर्भगृह के ऊपर विशाल शिखर (लगभग 100 फीट ऊँचा) है जो अब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है एवं इसके आंतरिक पाषाण ही अब दृष्टिगोचर है। वास्तविक स्वरूप में इस मंदिर के चारों ओर अन्य लघु मंदिरों का भी निर्माण किया गया था जिनके कुछ अवशेष देखे जा सकते हैं। मंदिर का नाम रानी ककनवती के नाम पर जाना जाता है जो संभवतः कच्छपघात शासक कीर्तिराज की रानी थी जिसके आदेश पर ही इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में किया गया था।

Corridor

Kakanmath Chabutara

Kakanmath D9

Kakanmath D11

Kakanmath D12

Kakanmath Dwar

Kakanmath Dwar Fracture

Kakanmath From

Kakanmath Front

Kakanmath Full View

Kakanmath Full View Outside

Kakanmath Mandap Shikhar

Kakanmath Side View

Mandapam

Kakanmath On Way

Kakanmath Shivratri

Kakanmath Shivratri1

Vat Vraksh

Kakanmath Back Side

Kakanmath Front M

Kakanmath Side



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