Download Bhakti Bharat APP

ब्रम्हा मुहूर्त क्या होता है? (What is Brahma Muhurta?)

वेदों में ब्रह्म मुहूर्त को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि ब्रह्म मुहूर्त में निद्रा त्यागने से विद्या, बुद्दि, स्वास्थ्य और बल प्राप्त होते हैं। किसी भी काम ब्रह्म मुहूर्त में शुरू करना बहुत उत्तम माना गया है।

ब्रम्हा मुहूर्त कब शुरू होता है?
शास्त्र के अनुसार सूर्योदय से ठीक पहले का समय ब्रह्म मुहूर्त का समय होता है। ब्रह्ममुहूर्त रात का 14वां मुहूर्त काल है। एक मुहूर्त 48 मिनट की अवधि है, जिसमें पूरी रात 15 मुहूर्त होती है। सूर्योदय का समय भौगोलिक स्थिति और वर्ष के समय के अनुसार हर दिन बदलता रहता है और ब्रह्ममुहूर्त का समय इसके साथ बदलता रहता है।

उदाहरण के लिए, यदि सूर्योदय सुबह 6:00 बजे है, तो ब्रह्ममुहूर्त 4:24 बजे शुरू होता है और 5:12 बजे समाप्त होता है।

ब्रम्हा मुहूर्त में उठने के लाभ:
❀ शास्त्रों में बताया गया है कि ब्रह्म मुहूर्त काल में देव और पितर घर में विराजमान होते हैं। जिससे घर और परिवार उन्नति करता है।
❀ ब्रह्म मुहूर्त में ध्यान का अभ्यास, आत्म चिंतन और विद्या अर्जित करने के लिए बहुत लाभकारी माना गया है।
❀ इस समय उठने से शारीरिक एवं मानसिक ताकत में वृद्धि होती है। साथ ही तनाव, चिंता, अनिद्रा जैसी अनेक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
❀ ब्रह्म मुहूर्त में वातावरण साफ़ होता है। इस समय योग का अभ्यास या सैर करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य निरोगी रहता है।
❀ शास्त्रों में में बताया गया है कि इस समय की प्रार्थना भगवान को भी सुनाई देती है। इसलिए पूजा पाठ के लिए यह समय उत्तम माना गया है।

ब्रम्हा मुहूर्त में क्या नहीं करना है?
❀ इस समय मन में नकारात्मक भाव नहीं लाने चाहिए, अन्यथा आपको पूरे दिन तनाव रहता है। जिससे आपको मानसिक रूप से परेशानी हो सकती है।
❀ कुछ लोग सुबह को उठते ही चाय नाश्ता करने लगते हैं, ये आदत सेहत के लिहाज से बहुत खराब होती है। सुबह को उठते ही या फिर ब्रह्म मुहूर्त में भूलकर भी भोजन नहीं करना चाहिए। इससे आपको बिमारियां घेरने लगती हैं।

मान्यता है कि ब्रह्म मुहूर्त को रात के अंतिम समय को कहा गया है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह समय परमात्मा का समय है। इसलिए इसका महत्व अधिक है।

What is Brahma Muhurta? in English

Brahma Muhurta is considered very important in the Vedas. It has been told in the scriptures that by giving up sleep in Brahma Muhurta, one gets knowledge, intelligence, health and strength. It is considered very good to start any work in Brahma Muhurta.
यह भी जानें

Blogs Brahma Muhurta BlogsDev Muhurta BlogsHindu Scripture BlogsVed Puran BlogsPractice Yoga BlogsWorship Time Blogs

अगर आपको यह ब्लॉग पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

इस ब्लॉग को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

मंदिर के शिखर दर्शन का महत्व

मंदिर में दर्शन के कई नियम हैं और उनका पालन करना जरूरी है। साथ ही यह भी माना जाता है कि यदि आप किसी कारण से मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं कर सकते हैं, तो आपको बाहर से इसके शिखर के दर्शन अवश्य करने चाहिए।

पूजा और व्रत में क्यों नहीं किया जाता प्याज और लहसुन का इस्तेमाल?

हमारे हिंदू धर्म में कई मान्यताएं प्रचलित हैं, जिनका हम पालन भी करते हैं। शास्त्रों के अनुसार खासतौर पर प्याज और लहसुन भगवान को चढ़ाने की मनाही है। यह जानते हुए भी कि प्याज-लहसुन गुणों की खान है, लेकिन इसके बाद भी व्रत में बनने वाले किसी भी तरह के खाने में प्याज-लहसुन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

राम नवमी का महत्व क्या है?

राम नवमी को भगवान राम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

नवरात्रि में कन्या पूजन की विधि

नवरात्रि में विधि-विधान से मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इसके साथ ही अष्टमी और नवमी तिथि को बहुत ही खास माना जाता है, क्योंकि इन दिनों कन्या पूजन का भी विधान है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि में कन्या की पूजा करने से सुख-समृद्धि आती है। इससे मां दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होती हैं।

वेल्लिंगिरी पर्वत

वेल्लिंगिरी पहाड़ी कोयम्बटूर शहर, तमिलनाडु से 40 किमी की दूरी पर स्थित है। वेल्लिंगिरी पर्वत सबसे कठिन ट्रेकिंग स्थलों में से एक है। वेल्लिंगिरी पर्वत स्वयंभू को समर्पित, भगवान शिव का एक रूप, वेल्लिंगिरी पहाड़ियों पर स्थित मंदिर संतों और सिद्धों के लिए एक पसंदीदा ध्यान स्थान है। यह सद्गुरु का पसंदीदा पर्वत है जहां उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया था। यह वह स्थान था जिसने सतगुरु को ध्यानलिंगम की प्राणप्रतिष्ठा करने के लिए प्रेरित किया।

चैत्र नवरात्रि विशेष 2023

हिंदू पंचांग के प्रथम माह चैत्र मे, नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि पर्व में व्रत, जप, पूजा, भंडारे, जागरण आदि में माँ के भक्त बड़े ही उत्साह से भाग लेते है। Navratri Dates 22 March - 30 March 2023

चैत्र नवरात्रि 2023 व्रत के आहार और लाभ

नवरात्रि का पवित्र पर्व मां दुर्गा को समर्पित है। यह हिन्दू धर्म का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। चैत्र नवरात्रि 2023, 22 मार्च से शुरू हो रहा है और 30 मार्च तक चलेगा। अगर आप नवरात्रि में पूरे 9 दिनों का उपवास करने की सोच रहे हैं, तो यहां कुछ स्नैक्स, फल और खाने की चीजें हैं जिनका सेवन आप नवरात्रि के दौरान कर सकते हैं। ये खाद्य पदार्थ आपके शरीर को आवश्यकता के अनुसार सही मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन प्रदान करते हैं।

Hanuman Chalisa -
Subscribe BhaktiBharat YouTube Channel
x
Download BhaktiBharat App