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🪓परशुराम जयंती - Parshuram Jayanti

Parshuram Jayanti Date: Friday, 10 May 2024
परशुराम जयंती

भगवान परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के दिन हुआ था अतः उनकी शस्त्रशक्ति भी अक्षय है। भगवान शिव के दिव्य धनुष की प्रत्यंचा पर केवल परशुराम ही बाण चढ़ा सकते थे, यह उनकी अक्षय शक्ति का ही परिचय है। इन्हें विष्णु का छठा अवतार भी कहा जाता है।

भगवान परशुराम को नियोग भूमिहार ब्राह्मण, चितपावन ब्राह्मण, त्यागी, मोहयाल, अनाविल और नंबूदिरी ब्राह्मण समुदाय मूल पुरुष या स्थापक के रूप में पूजते हैं।

भगवान परशुराम के गायत्री मंत्र इस प्रकार हैं:
❀ ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात् ॥
❀ ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात् ॥
❀ ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम: ॥

आमतौर पर अक्षय तृतीया एवं परशुराम जयंती एक ही दिन होती है, परन्तु तृतीया तिथि के प्रारंभ होने के आधार पर परशुराम जयंती, अक्षय तृतीया से एक दिन पूर्व भी हो सकती है।

भगवान परशुराम के प्रसिद्ध मंदिर:
* भगवान परशुराम मंदिर, त्र्यम्बकेश्वर, ‎नासिक, महाराष्ट्र
* परशुराम मंदिर, अट्टिराला, जिला कुड्डापह ,आंध्रा प्रदेश
* परशुराम मंदिर, सोहनाग, सलेमपुर, उत्तर प्रदेश
* अखनूर, जम्मू और कश्मीर
* कुंभलगढ़, राजस्थान
* महुगढ़, महाराष्ट्र
* परशुराम मंदिर, पीतमबरा, कुल्लू, हिमाचल प्रदेश.
* जनपव हिल, इंदौर मध्य प्रदेश
* परशुराम कुंड लोहित जिला, अरुणाचल प्रदेश - एसी मान्यता है, कि इस कुंड में अपनी माता का वध करने के बाद परशुराम ने यहाँ स्नान कर अपने पाप का प्रायश्चित किया था.

संबंधित अन्य नामपरशुराम जन्मोत्सव
शुरुआत तिथिवैशाख शुक्ला तृतीया
उत्सव विधिविष्णु सहस्रनाम पाठ, भजन-कीर्तन

Parshuram Jayanti in English

Lord Parasurama was born on Akshaya Tritiya, therefore his weapon is also Akshay.

भगवान परशुराम के बारे में

परशुराम जी की माता रेणुका तथा पिता का नाम मुनि जमदग्नि है। भगवान परशुराम को रामभद्र, भार्गव, भृगुपति, भृगुवंशी तथा जमदग्न्य नाम से भी जाना जाता है।

परशुराम दो शब्दों से मिलकर बना है, परशु अर्थात कुल्हाड़ी तथा राम। इन दो शब्दों को मिलाकर अर्थ निकलता है कुल्हाड़ी के साथ राम

भगवान परशुराम शस्त्र विद्या के श्रेष्ठ जानकार थे। परशुरामजी का उल्लेख रामायण, महाभारत, भागवत पुराण और कल्कि पुराण इत्यादि अनेक ग्रन्थों में किया गया है। कल्कि पुराण के अनुसार परशुराम, भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि के गुरु होंगे और उन्हें युद्ध की शिक्षा देंगे। भीष्म, गुरु द्रोण एवं कर्ण उनके जाने-माने शिष्य थे।

भगवान परशुराम शिवजी के उपासक हैं। उन्होनें सबसे कठिन युद्धकला कलारिपायट्टू की शिक्षा शिवजी से ही प्राप्त की थी।

हिन्दू धर्म में परशुराम के बारे में यह मान्यता है, कि वे त्रेता युग एवं द्वापर युग से कलयुग के अंत तक अमर हैं।

संबंधित जानकारियाँ

आवृत्ति
वार्षिक
समय
1 दिन
शुरुआत तिथि
वैशाख शुक्ला तृतीया
समाप्ति तिथि
वैशाख शुक्ला तृतीया
महीना
अप्रैल / मई
उत्सव विधि
विष्णु सहस्रनाम पाठ, भजन-कीर्तन
महत्वपूर्ण जगह
श्री परशुराम मंदिर, श्री विष्णु मंदिर
पिछले त्यौहार
22 April 2023, 3 May 2022, 14 May 2021

फोटो प्रदर्शनी

फुल व्यू गैलरी
भगवान परशुराम जन्मोत्सव हार्दिक शुभकामनाएँ

भगवान परशुराम जन्मोत्सव हार्दिक शुभकामनाएँ

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